किसान का गेहूं चोरी विवाद: CCTV में दोनों ट्रॉली दिखीं, लेकिन बोरी में आधा अन्न!

आगर, 22 अप्रैल | यशस्वी दुनिया स्पेशल रिपोर्ट
“जब खेत से लाई गई ईमानदारी को किसी वेयरहाउस के कोने में चुपचाप बदल दिया जाए, तो सिर्फ गेहूं नहीं, एक किसान का भरोसा भी चुराया जाता है।”

ग्राम बोरखेड़ी रेडका के किसान श्यामदास बैरागी इस वक्त टूटे हुए हैं। उनका आरोप है कि उन्होंने 18 अप्रैल को 80 क्विंटल गेहूं शामगढ़ तहसील के श्रीराम वेयरहाउस, आगर में जमा कराया, लेकिन रिकॉर्ड में सिर्फ 40 क्विंटल ही दर्शाया गया।
CCTV फुटेज बनाम वेयरहाउस का रिकॉर्ड: सच्चाई की जंग!
- पहली ट्रॉली आई दोपहर 12:30 से 1:00 बजे के बीच
- दूसरी ट्रॉली पहुँची शाम 5:30 से 6:00 बजे के बीच
- दोनों ट्रॉली वेयरहाउस के कैमरे से बचाकर एक कोने में खाली करवाई गईं — श्यामदास का आरोप
लेकिन जब वो 19 अप्रैल को रसीद लेने पहुँचे, तो 40 क्विंटल गेहूं का ही जिक्र मिला।
CTV में दिखीं दोनों ट्रॉलियां, फिर क्यों नहीं दिखा पूरा गेहूं?
चौकीदार सुरेंद्र सिंह ने खुद कहा—श्यामदास दो ट्रॉलियों में लगभग 20-20 बोरी लाए थे।
CCTV फुटेज इसकी पुष्टि भी करता है। चौकीदार सुरेंद्र सिंह के अनुसार दोनों ट्रालियों में 20-20 बोरी माल आया था जो कि लगभग 40 क्विंटल के आसपास ही बैठता है 80 क्विंटल गेहूं लाने की बात गलत है
फिर सवाल उठता है—“फुटेज में गेहूं आया, पर वेयरहाउस में नहीं दिखा… ये जादू है या चोरी?”
सबसे बड़ा खुलासा: “मेरे गेहूं को किसी व्यापारी के माल से बदल दिया गया!”
श्यामदास बैरागी ने यह भी दावा किया कि
“जिस ढेर को मेरा बताया गया, उसमें बारदान और रस्सियों के टुकड़े थे — ये मेरे खेत का नहीं, व्यापारी के माल का लक्षण है।”
खेत से आने वाले गेहूं में न बारदान के टुकड़े होते हैं, न रस्सी के फाइबर।
क्या किसी ने जानबूझकर किसान के माल को व्यापारी के माल से बदल दिया?
वेयरहाउस संचालक की सफाई और पुलिस की जांच
वेयरहाउस संचालक मनीष मेहता (निवासी शामगढ़) ने कहा,
“पुलिस आई है, जांच कर रही है। हम पूरा सहयोग दे रहे हैं।”
चंदवासा चौकी से हेड कांस्टेबल सूरजपाल सिंह की टीम ने
- CCTV
- गवाहों
- रजिस्टर
की गहन जांच शुरू कर दी है।
किसान की आह: “मेरे खून-पसीने की कमाई लूट ली गई!”
श्यामदास की आंखों में अब भी एक सवाल है —
“अगर वेयरहाउस में भी भरोसा टूटे, तो किसान जाए तो जाए कहां?”
गांव में आक्रोश है। लोग जमा हो रहे हैं। हर कोई बस यही कह रहा है —
“किसान के अन्न पर हाथ डालना, खुद भगवान की दी गई नियामत को चुराना है।”
निष्कर्ष:
किसान का गेहूं चोरी विवाद केवल एक केस नहीं, कृषि व्यवस्था की पारदर्शिता पर लगा एक बड़ा प्रश्नचिह्न है।
जब CCTV में सच्चाई दिख रही हो, और रजिस्टर में आधी कहानी लिखी हो, तो ये सिर्फ अनाज की चोरी नहीं — सिस्टम की आत्मा पर चोट है।
