भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में आतंकी गतिविधियों को लेकर तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैक मामले में भारत पर आरोप लगाया, जिसे भारत ने पूरी तरह से निराधार बताया। इस मुद्दे को लेकर दोनों देशों की सरकारों और मीडिया में गरमागरम बहस छिड़ी हुई है।

पाकिस्तान का आरोप और भारत की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफाकत अली खान ने भारत पर आतंकी संगठनों का समर्थन करने का आरोप लगाया और कहा कि जाफर एक्सप्रेस हमले के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है। वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान अपनी आंतरिक समस्याओं के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश कर रहा है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि “पूरी दुनिया जानती है कि आतंकवाद को समर्थन कहां से मिलता है।

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बलूचिस्तान में बढ़ता असंतोष और CPEC पर असर
बलूचिस्तान में लंबे समय से अलगाववादी गुट सक्रिय हैं, जो पाकिस्तान सरकार और सेना पर दमनकारी नीतियों का आरोप लगाते रहे हैं। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने हाल ही में पाकिस्तान के सुरक्षा बलों को निशाना बनाया और जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक करने की जिम्मेदारी ली। यह क्षेत्र चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत महत्वपूर्ण परियोजनाओं का केंद्र है, जिस पर चीन भारी निवेश कर रहा है। इस हमले के बाद CPEC की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।

अजीत डोभाल के पुराने बयान क्यों हो रहे हैं वायरल?
सोशल मीडिया पर कई लोग भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के पुराने वीडियो साझा कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने 2014 में बलूचिस्तान को लेकर पाकिस्तान को चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि “अगर पाकिस्तान भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देगा, तो उसे भी इसका अंजाम भुगतना होगा।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने एक भाषण में बलूचिस्तान का जिक्र किया था, जिससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि भारत की नीति में बदलाव आया है।

क्या भारत ने बदले ‘रूल्स ऑफ द गेम’?
कुछ पाकिस्तानी विशेषज्ञों का मानना है कि 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत की पाकिस्तान नीति में बदलाव आया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि “आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते।” पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित का कहना है कि “भारत CPEC के खिलाफ है और अमेरिका भी इस परियोजना को लेकर सहज नहीं है।” वहीं, भारतीय विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान अपने अंदरूनी संघर्षों को भारत से जोड़कर पेश कर रहा है।
भारत की पाकिस्तान नीति में बदलाव
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने पाकिस्तान को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। पुलवामा हमले के बाद भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक कर यह संदेश दिया कि अब भारत केवल कूटनीतिक प्रतिक्रियाओं तक सीमित नहीं रहेगा। भारतीय सेना द्वारा उरी हमले के बाद की गई सर्जिकल स्ट्राइक भी इसी रणनीति का हिस्सा थी।
भारत का ध्यान अब केवल कश्मीर तक सीमित नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के अन्य कमजोर बिंदुओं पर भी नजर रखी जा रही है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, भारत ने अपनी खुफिया रणनीति को और मजबूत किया है, जिससे पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क को निशाना बनाया जा सके।

पाकिस्तान की अगली रणनीति क्या होगी?
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पाकिस्तान “रूल्स ऑफ द गेम” बदलने की कोशिश करता है, तो क्षेत्र में तनाव और बढ़ सकता है। पाकिस्तानी पत्रकार नजम सेठी के अनुसार, “पाकिस्तान अब BLA और TTP के ठिकानों पर बड़े हमले कर सकता है।” वहीं, भारत ने साफ किया है कि वह अपनी सुरक्षा और संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा।
इसके अलावा, पाकिस्तान अपनी कूटनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए चीन और तुर्की जैसे देशों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर सकता है। चीन पहले ही CPEC प्रोजेक्ट के कारण पाकिस्तान की सुरक्षा चिंताओं में भागीदार है।
वैश्विक परिदृश्य और भारत-पाक तनाव
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को अमेरिका, फ्रांस और रूस जैसे देशों का समर्थन मिलता रहा है, जबकि पाकिस्तान को मुख्य रूप से चीन और तुर्की का सहयोग प्राप्त है। हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा था, जबकि फ्रांस और जर्मनी ने भी पाकिस्तान को अपने आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने के लिए कहा है।
संयुक्त राष्ट्र में भी पाकिस्तान को कई बार भारत विरोधी प्रस्तावों पर झटका लगा है। भारत की कूटनीति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने में सफलता पाई है।
निष्कर्ष
भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद और सुरक्षा को लेकर विवाद नया नहीं है, लेकिन हालिया घटनाओं ने दोनों देशों के रिश्तों में और अधिक तनाव पैदा कर दिया है। पाकिस्तान का आरोप और भारत की प्रतिक्रिया इस बात को दर्शाते हैं कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच भरोसे की कमी बनी हुई है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या कूटनीतिक पहल से कोई समाधान निकलता है या फिर यह तनाव और बढ़ता है।
अगर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है, तो इसका असर न केवल क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ेगा, बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी दिखेगा। भारत अपनी सुरक्षा नीति में बदलाव कर रहा है और पाकिस्तान को इसका असर आने वाले समय में और अधिक देखने को मिलेगा।
