
जम्मू-कश्मीर के शांत माने जाने वाले और टूरिज्म के लिए मशहूर पहलगाम में मंगलवार को उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब बैसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों के एक दल पर अचानक गोलियां बरसा दीं। इस हमले में 12 लोग घायल हो गए, जिनमें कुछ स्थानीय लोग भी शामिल हैं।


source dainik bhaskar
हमला उस वक्त हुआ जब पर्यटकों का एक समूह प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने बैसरन घाटी में घूम रहा था। यह इलाका पहलगाम से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है और पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है।
📞 घायल महिला की आपबीती: “मेरे पति के सिर में गोली लगी है”
हमले के बाद दहशत का माहौल इतना ज्यादा था कि लोग इधर-उधर भागने लगे। PTI को एक अज्ञात महिला ने फोन कर बताया कि उसके पति के सिर में गोली लगी है और कई लोग घायल हो चुके हैं। महिला ने अपना नाम उजागर नहीं किया लेकिन उसकी आवाज में डर और दर्द साफ झलक रहा था। आतंकवादी सेना की वर्दी में आए थे जब पर्यटक घोड़े की सवारी कर रहे थे तब नाम पूछ कर सर में गोली मार दी जिससे जयपुर के पर्यटक की मौत हो गई

.

source dainik bhaskar
🚨 सुरक्षा बलों ने बैसरन घाटी को घेरा, तलाशी अभियान जारी
हमले की जानकारी मिलते ही सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है और सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। चप्पे-चप्पे पर निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि हमलावरों को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके। पहलगाम जैसी शांत जगह में हुए इस हमले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या घाटी में आतंक का सफाया सच में हो पाया है?
🕊️ पहलगाम की शांति पर एक बार फिर ग्रहण
पहलगाम घाटी, जो अपने खूबसूरत नज़ारों और शांति के लिए मशहूर है, वहां इस तरह का हमला होना लोगों को झकझोर देने वाला है। टूरिज्म सीजन में यह इलाका हजारों पर्यटकों की मेज़बानी करता है, लेकिन इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
🔫 अखनूर में भी आतंकी हमला: 12 अप्रैल को JCO शहीद
यह हमला कोई अलग घटना नहीं है। 12 अप्रैल को जम्मू जिले के अखनूर में आतंकियों और सेना के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 9 पंजाब रेजीमेंट के JCO कुलदीप चंद शहीद हो गए थे। ये मुठभेड़ केरी बट्टल इलाके में हुई थी।
💣 11 अप्रैल: किश्तवाड़ में 3 आतंकी ढेर, जैश के टॉप कमांडर सैफुल्लाह की मौत
11 अप्रैल को किश्तवाड़ जिले के घने जंगलों में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच एनकाउंटर हुआ, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादी मारे गए। इनमें सैफुल्लाह, जो जैश का टॉप कमांडर था, भी शामिल था। यह मुठभेड़ सेना की एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।
⚔️ LoC पर घुसपैठ की कोशिशें लगातार जारी
घाटी में आतंकी गतिविधियों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। 4-5 अप्रैल की दरमियानी रात को जम्मू में RS पुरा सेक्टर पर BSF ने एक पाकिस्तानी घुसपैठिए को मार गिराया। वहीं, 1 अप्रैल को पुंछ में LoC के कृष्णा घाटी सेक्टर में 4-5 आतंकियों को सेना ने ढेर किया।
🔍 कठुआ में एक महीने में तीन मुठभेड़, जवानों की शहादत
कठुआ जिले में पिछले एक महीने में आतंकवादियों के खिलाफ तीन बड़े ऑपरेशन किए गए:
- 23 मार्च: हीरानगर सेक्टर में जैश के 5 आतंकियों के छिपे होने की खबर मिली, लेकिन वे भाग निकले।
- 28 मार्च: मुठभेड़ में 2 आतंकी मारे गए लेकिन इस दौरान SOG के 4 जवान शहीद हो गए। DSP धीरज सिंह समेत तीन जवान घायल भी हुए।
- 31 मार्च: पंजतीर्थी मंदिर के पास तीसरी मुठभेड़, एक आतंकी के मारे जाने की खबर, लेकिन पुष्टि नहीं हुई।
🛡️ सेना प्रमुख का बयान: ‘हम हर चुनौती के लिए तैयार हैं’
11 जनवरी को दिल्ली में सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने स्पष्ट किया था कि जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की कोशिशें लगातार जारी हैं। उन्होंने कहा,
“हमारी उत्तरी सीमा पर हालात संवेदनशील हैं और सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।“
उन्होंने यह भी कहा कि ड्रोन के जरिए सीमा पार से हथियार और सामान भेजने की कोशिशें हो रही हैं, जिन पर नजर रखी जा रही है।
🧭 निष्कर्ष: क्या फिर से 90 के दशक की ओर लौट रही है घाटी?
पहलगाम का हमला, कठुआ और किश्तवाड़ की मुठभेड़, LOC पर घुसपैठ… ये सब मिलकर एक बड़ी तस्वीर पेश कर रहे हैं कि घाटी में आतंकी गतिविधियां फिर से तेज़ हो रही हैं। टूरिज्म और आम जनजीवन को नुकसान पहुंचाना आतंकियों की पुरानी रणनीति रही है।
सवाल ये है कि क्या हम फिर से 90 के दशक जैसे दौर की ओर लौट रहे हैं, जब हर दिन गोलीबारी और धमाके आम बात थी?
सरकार और सेना को अब और ज्यादा सतर्कता और रणनीतिक सख्ती की जरूरत है, ताकि घाटी की शांति और विकास की राह पर कोई रुकावट न आए।
