मंदसौर: बिजली विभाग के शासकीय कर्मचारियों के साथ अभद्रता और मारपीट का मामला सामने आया है। आरोपियों ने बकाया बिल वसूली करने आए कर्मचारियों को न केवल धमकाया, बल्कि उनके साथ धक्का-मुक्की भी की। यह घटना मन्दसौर के नयापुरा रोड क्षेत्र में घटी।
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बिजली बिल वसूली करने गए कर्मचारियों पर हमला
जानकारी के अनुसार, बिजली विभाग के सहायक यंत्री प्रेमचंद पवार (35) अपने साथी कर्मचारियों के साथ बकाया बिल वसूली के लिए गए थे। टीम में चार अन्य कर्मचारी भी मौजूद थे। जब वे एक उपभोक्ता के घर पहुंचे और बकाया राशि का भुगतान करने को कहा, तो आरोपी जगदीश चौधरी, और शैलेष चौधरी ने कर्मचारियों को गाली-गलौज करते हुए धमकी दी और उनके कार्य में बाधा पहुंचाई।
स्थिति तब बिगड़ गई जब आरोपियों ने कर्मचारियों को बंधक बना लिया और उनके साथ मारपीट की। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आरोपियों ने कर्मचारियों को धक्का दिया और उन्हें परिसर से बाहर निकालने की कोशिश की। इस दौरान एक कर्मचारी को हल्की चोटें भी आईं।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई, मामला दर्ज
घटना की सूचना मिलते ही बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने तुरंत पुलिस को जानकारी दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और बिजली विभाग के कर्मचारियों को सुरक्षित बाहर निकाला। शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 353 (सरकारी कर्मचारी पर हमला), 342 (गैरकानूनी रूप से बंधक बनाना), 332 (कर्मचारी को चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी), 294 (अश्लील भाषा का प्रयोग), और 34 (सामूहिक अपराध) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
प्रशासन ने दिया कड़ी कार्रवाई का आश्वासन
इस घटना के बाद बिजली विभाग के अधिकारियों ने पुलिस प्रशासन से आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। विभाग के प्रमुख अधिकारी ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है, ताकि वे बिना किसी डर के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।
इस घटना से बिजली विभाग के अन्य कर्मचारियों में भी डर और आक्रोश है। कर्मचारियों का कहना है कि अगर इस तरह की घटनाओं को रोका नहीं गया तो वे हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे। स्थानीय प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
निष्कर्ष
यह घटना सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर सवाल खड़ा करती है। सरकारी अधिकारी अपनी ड्यूटी निभाने जाते हैं, लेकिन कई बार उन्हें जनता के गुस्से का शिकार होना पड़ता है। प्रशासन को चाहिए कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
