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June 20, 2025 7:59 pm

“आशा कार्यकर्ताओं को पुरुषों की कमर नापने का आदेश बना विवाद का कारण, उज्जैन में छेड़छाड़ की घटना से बढ़ी चिंता”


राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्य प्रदेश द्वारा जारी एक नए निर्देश ने प्रदेशभर की आशा कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस और असुरक्षा की भावना को जन्म दे दिया है। अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज (NAFLD) की स्क्रीनिंग के लिए आशा कार्यकर्ताओं को पुरुषों की कमर की परिधि मापने और BMI की गणना करने जैसे निर्देश दिए गए हैं। इस निर्देश के बाद फील्ड में काम कर रही महिला कार्यकर्ताओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

क्या है नया आदेश?

मध्य प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा हाल ही में एक पत्र भेजा गया है। इसमें बताया गया है कि गैर-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज की स्क्रीनिंग और प्रबंधन के तहत आशा कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर 30 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों की कमर की माप लेने, BMI की गणना करने, स्कोर का मूल्यांकन करने और संदिग्ध मामलों को निकटतम आयुष्मान आरोग्य मंदिर में रेफर करने का निर्देश है।

इसके लिए 21 मई को आशा कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण भी संपन्न हो चुका है।


उज्जैन में छेड़छाड़ की घटना ने मचाया बवाल

इसी आदेश के तहत उज्जैन जिले के बड़नगर तहसील में कार्यरत एक आशा कार्यकर्ता से स्क्रीनिंग के दौरान छेड़छाड़ की घटना सामने आई है। आशा कार्यकर्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि जब वह ग्राम सुखलाना में सर्वे के लिए पहुंची, तब दिलीप राठौर नामक व्यक्ति ने आपत्तिजनक व्यवहार किया, गाली-गलौज की और मारपीट की कोशिश की।

पीड़िता ने बताया:

“मैं जैसे ही सर्वे के लिए उसके घर पहुँची, उसने अश्लील टिप्पणी की और मेरे शरीर को छूने की कोशिश की। जब मैंने विरोध किया तो वह मारने दौड़ा। मैं जान बचाकर भागी और तुरंत पुलिस को कॉल किया।”


आशा कार्यकर्ताओं में आक्रोश और असमंजस

इस घटना के बाद क्षेत्र की सभी आशा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि महिलाओं को पुरुषों की कमर मापने जैसे आदेश देना व्यवहारिक नहीं है और यह उनके लिए असहजता व असुरक्षा पैदा करता है।

एक आशा कार्यकर्ता ने कहा:

“हमें सरकारी आदेश का पालन तो करना है, लेकिन बिना सुरक्षा के पुरुषों के घर जाकर उनकी कमर नापना हमारे लिए सुरक्षित नहीं है। यह आदेश व्यवहारिक नहीं है।”


पुलिस की लापरवाही पर भी उठे सवाल

पीड़िता द्वारा 3 जून को दर्ज कराई गई शिकायत के बावजूद आरोपी के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इससे पीड़िता और उसके परिजनों में डर है और उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो विरोध और तेज होगा।


स्वास्थ्य विभाग का पक्ष

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि आशा कार्यकर्ताओं को पुरुषों की कमर मापने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि वे टेप देकर स्वयं व्यक्ति से माप करवाने को कह सकती हैं। बावजूद इसके, फील्ड पर कार्यरत महिलाओं में भ्रम और डर बना हुआ है।


महिला सुरक्षा और व्यवहारिकता पर सवाल

यह मामला न सिर्फ महिला आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि योजनाएं बनाते समय फील्ड की व्यवहारिकता और सामाजिक संदर्भों को कितना ध्यान में रखा जा रहा है।


क्या है आशा कार्यकर्ताओं की मांग?

  1. उज्जैन की घटना में आरोपी की तुरंत गिरफ्तारी हो।
  2. सर्वे के दौरान महिला स्वास्थ्यकर्मियों के साथ पुरुष सहयोगी या पुलिस की व्यवस्था हो।
  3. भविष्य में कोई भी आदेश जारी करने से पहले महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और व्यवहारिकता को प्राथमिकता दी जाए।

निष्कर्ष:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की यह पहल जनस्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन जिस प्रकार से इसके क्रियान्वयन में व्यवहारिक पहलुओं की अनदेखी की गई है, वह चिंता का विषय है। यदि महिला स्वास्थ्यकर्मी स्वयं असुरक्षित महसूस करेंगी, तो कोई भी योजना ज़मीनी स्तर पर सफल नहीं हो सकेगी। शासन को चाहिए कि वह जल्द से जल्द आवश्यक संशोधन और सुरक्षा प्रबंध सुनिश्चित करे।


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