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May 14, 2025 2:45 pm

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर सफर बना मौत का रास्ता… थकान और नींद के चलते बढ़ रहीं दुर्घटनाएं

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर सफर या मौत का रास्ता? थकान और नींद के चलते बढ़ रहीं दुर्घटनाएं

नारिया बुजुर्ग-कुरावन बना ‘डेथ ज़ोन’, बिना रेस्ट के चलते हादसों का सिलसिला जारी

(मध्य प्रदेश) शामगढ़ से कैलाश विश्वकर्मा एवं कुरावन से श्याम राठोर की संयुक्त रिपोर्ट

तेज़ रफ्तार, थकान और लगातार सफर—दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर हो रही दुर्घटनाओं की असली वजह यही है। सपनों के इस हाईवे पर सफर के नाम पर लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। खासकर मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के शामगढ़ तहसील में कुरावन से मेलखेड़ा तक के हिस्से में लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाएं एक बड़ी चिंता बन गई हैं। अब तक इस छोटे से हिस्से में 13 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।

आप सोच रहे होंगे, आखिर इस एक्सप्रेसवे पर इतनी मौतें क्यों हो रही हैं? इसका जवाब छुपा है लंबे सफर, थकान और झपकी लगने के कारण होने वाले हादसों में।

5 सितंबर को चार लोगों की दुर्घटना में मृत्यु
5 सितंबर को हरिपुरा के पास गरोठ थाना अंतर्गत भामखेड़ी के रहने वाले तीन लोग कर में सवार होकर भानपुरा से 8 लाइन पर चढ़े एवं गाव की ओर से जा रहे थे तभी सामने से आ रही राजस्थान की भवानी मंडी की पिकअप एवं कर में जोरदार टक्कर हो गई टक्कर इतनी जोरदार थी कि इसमें चार लोगों की मौत हो गई थी


गति नहीं, बल्कि थकान ले रही है लोगों की जान

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर 120 किमी प्रति घंटे की स्पीड लिमिट है, लेकिन हकीकत यह है कि कई वाहन 150-200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रहे हैं। हाईवे का डिजाइन ऐसा है कि एक बार कार दौड़ गई तो रुकने का मन ही नहीं करता। लेकिन यही सबसे बड़ी समस्या है—लोग बिना आराम किए गाड़ी चलाते जा रहे हैं, और जब झपकी लगती है तो मौत सामने खड़ी होती है।

“लोग सोचते हैं कि वे आराम के बिना भी लंबी दूरी तय कर सकते हैं, लेकिन यह उनकी सबसे बड़ी भूल साबित हो रही है,”

हादसे का पैटर्न लगभग एक जैसा है—रात का समय, तेज़ रफ्तार और अचानक नींद। कार डिवाइडर से टकराई, और कुछ सेकंड में सब खत्म।


रेस्ट एरिया हैं, लेकिन लोग नहीं रुक रहे

“हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि लोग रेस्ट एरिया का सही उपयोग करें। फिलहाल, लोग थकावट के बावजूद बिना रुके गाड़ी चला रहे हैं, जिससे दुर्घटनाएं हो रही हैं।”*

यानी, लोग आराम करने के बजाय जल्दी मंज़िल तक पहुंचने की कोशिश में अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।


तेज़ रफ्तार, शराबr और जानवरों की एंट्री की आशंका —तीनों बना रहे हैं एक्सप्रेसवे को खतरनाक

जांच में सामने आया कि कई दुर्घटनाओं में तेज़ गति और शराब के सेवन का भी योगदान था। एक्सप्रेसवे के कई हिस्सों में रात के समय जंगली जानवरों की एंट्री भी एक बड़ी समस्या बन गई है।

पत्रिका के कुरावन रिपोर्टर श्याम राठोर और यशस्वी दुनिया संपादक की ग्राउन्ड रिपोर्ट के अनुसार, “एक्सप्रेसवे के किनारे मवेशियों की हड्डियां मिली हैं, जो इस बात का सबूत हैं कि कई वाहन जानवरों से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं।”

यहां नीलगाय और जंगली सूअर बड़ी संख्या में पाए जाते हैं, और कई बार वे अचानक सड़क पर आ जाते हैं, जिससे तेज़ रफ्तार वाहनों के लिए ब्रेक लगाना नामुमकिन हो जाता है।


सीसीटीवी कैमरे सिर्फ नाम के, सुरक्षा पर उठे सवाल

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को हाईटेक सुरक्षा तकनीक से लैस करने का दावा किया गया था, लेकिन जब हादसे हो रहे हैं, तो सीसीटीवी फुटेज ही नहीं मिल रहा! एक्सप्रेसवे पर कई जगहों पर कैमरे काम ही नहीं कर रहे, जिससे हादसे की सही वजह जानना मुश्किल हो रहा है। उल्लेखनीय की 13 मार्च को हरियाणा की एक फॉर्च्यूनर भी एक्सप्रेस वे दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी जिसमें तीन लोगों की मौके पर ही मौत हुई

जिसकी लोकेशन दोपहर पर 1:00 बजे गायब हो गई थी एवं रात्रि 11:00 बजे यह गाड़ी एक्सप्रेस वे के बीच में बने नाले में पड़ी भी मिली कुल मिलाकर लोकेशन गायब होने के 10 घंटे बाद यह गाड़ी एक्सप्रेसवे के कर्मचारियों को सर्चिंग के बाद मिली इस घटना से एक्सप्रेसवे के सीसीटीवी कैमरा पर भी सवालिया निशान लगता है कुछ दिनों पूर्व पुलिस सूत्रों के हवाले से खबर लगी है कि इस फॉर्च्यूनर कर को किसी पिकअप ने टक्कर मारी थी इसके खिलाफ शामगढ़ पुलिस थाने में मामला दर्ज कर लिया है


अब क्या होना चाहिए? NHAI को उठाने होंगे ठोस कदम

इन हादसों को रोकने के लिए NHAI को तुरंत कुछ ठोस कदम उठाने होंगे—

सभी क्षतिग्रस्त बाउंड्री वॉल और गार्ड रेल की मरम्मत की जाए, ताकि जानवर हाईवे पर न आ सकें।
सीसीटीवी कैमरों की कार्यक्षमता में सुधार किया जाए और उनकी नियमित मॉनिटरिंग हो।
स्पीड गवर्नर और इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ITMS) लागू किया जाए, ताकि ओवरस्पीडिंग पर नजर रखी जा सके।
पुलिस और ट्रैफिक कंट्रोल टीम की संख्या बढ़ाई जाए ताकि दुर्घटनाओं पर तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके।

मंदसौर के गरोठ SDM चंद्र सिंह सोलंकी ने कहा,

“अगर एक्सप्रेसवे पर जानवरों के आने की आशंका है, तो तार की मजबूत बाउंड्री बनाकर इसे रोका जा सकता है। इस संबंध में एक्सप्रेसवे संचालकों को सुझाव दिया जाएगा।”


यात्रियों से अपील: रेस्ट एरिया का उपयोग करें, सुरक्षित यात्रा करें

सड़क सुरक्षा विभाग के अनुसार,

“99% दुर्घटनाओं में यह पाया गया कि चालक लगातार वाहन चलाने के कारण अत्यधिक थक जाते हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।”

अगर आप भी दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर सफर करने की योजना बना रहे हैं, तो एक बात ध्यान में रखें—

🚗 जल्दबाजी मत कीजिए।
🚗 हर 50 किलोमीटर पर बने रेस्ट एरिया में जरूर रुकें।
🚗 थकान महसूस हो तो ड्राइविंग ना करें।
🚗 सुरक्षित यात्रा करें, क्योंकि जिंदगी की कोई स्पीड लिमिट नहीं होती!


दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का भविष्य और विकास कार्य

1380 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे का निर्माण 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद दिल्ली से मुंबई तक की दूरी महज 12 घंटे में पूरी हो सकेगी।

लेकिन जब तक सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम नहीं होंगे, यह हाईवे ‘डेथ ज़ोन’ बना रहेगा।

👉 *अब फैसला आपका है—तेज़ रफ्तार और लापरवाही या सतर्कता और सुरक्षित सफर?


रविंद्र सिंह असिस्टेंट मैनेजर एक्सप्रेसवे ने बताया की एक्सप्रेसवे पर नारिया बुजुर्ग से लेकर कुरावन तक हादसे हो रहे हैं यहां पर सेंटर प्वाइंट है l बिना रेस्ट के वहां चला रहे हैं जिससे नींद आ रही है l 99 फ़ीसदी हाथों में चालक को नींद आने या हादसा होना सामने आया है इसके अलावा सभी में और स्पीड भी पाई गई है समय पर जागरूक भी किया जा रहा है प्रत्येक 50 किलोमीटर पर रेस्ट एरिया भी बनाए गए हैं सभी चालक इनका उपयोग करें और मानक से अधिक तेज वहां नहीं चलाएं

 99% हादसों की जांच में सामने आया कि चालकों को नींद आने के कारण हादसे हुए 10 किलोमीटर की दूरी के बीच में यह सभी हादसे हुए एक्सप्रेसवे के नियमों का पालन करें एवं रेस्ट एरिया का उपयोग करें ताकि इस तरह के हादसे ना हो

 

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