सैटेलाइट से रखी जा रही नजर, किसानों के लिए नई चुनौती
मंदसौर, 13 फरवरी 2025:kailash vishwakarma

खेतों में नरवाई जलाने की परंपरा अब किसानों के लिए भारी पड़ सकती है। प्रदेश में पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने धान और गेहूँ की फसल कटाई के बाद खेतों में अवशेष (नरवाई) जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री एदल सिंह कंषाना ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल के निर्देशों के तहत इस नियम का उल्लंघन करने पर किसानों के खिलाफ कार्रवाई होगी। साथ ही, पर्यावरण क्षति के रूप में जुर्माना भी लगाया जाएगा।


किसानों की दुविधा: फसल अवशेष का क्या करें?
नरवाई जलाने पर रोक लगने के बाद किसानों के सामने बड़ा सवाल यह है कि वे खेतों में बची पराली का क्या करें? छोटे किसान, जिनके पास आधुनिक कृषि उपकरण नहीं हैं, उनके लिए फसल अवशेषों को निपटाने का कोई सस्ता और सरल उपाय नहीं है। मंदसौर के किसान रामस्वरूप यादव ने बताया, “हम छोटे किसान हैं। पराली हटाने के लिए महंगे मशीनें लेना हमारे बस की बात नहीं। ऐसे में सरकार को हमें कोई वैकल्पिक उपाय देना चाहिए।”
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कितना लगेगा जुर्माना?
सरकार ने जुर्माने की राशि तय कर दी है। यदि किसी किसान के पास 2 एकड़ तक की भूमि है और वह नरवाई जलाता है तो ₹2500 का दंड लगेगा। 2 से 5 एकड़ के लिए ₹5000, और 5 एकड़ से अधिक भूमि होने पर ₹15,000 प्रति घटना के हिसाब से दंड भरना होगा।
कैसे होगी निगरानी?
कृषि विभाग के अधिकारी, ग्राम के हल्का पटवारी, पंचायत सचिव और पुलिस प्रशासन के सहयोग से निगरानी रखी जाएगी। साथ ही, आईसीएआर-क्रीम्स जैसी संस्थाएँ सैटेलाइट के माध्यम से खेतों पर नजर रखेंगी और आग लगने की घटनाओं की रिपोर्ट सरकार को भेजेंगी।
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किसान बोले: सरकार को देना चाहिए विकल्प
कई किसान इस निर्णय से असहमत हैं। गंगा सिंह चौहान, जो कि एक मध्यम किसान हैं, कहते हैं, “हम सरकार के नियमों का सम्मान करते हैं, लेकिन हमें कोई समाधान भी दिया जाए। क्या हमें मशीनें सस्ते में मिल सकती हैं? क्या सरकार पराली निस्तारण के लिए सब्सिडी दे सकती है? बस सजा देना ही हल नहीं है।”
क्या कहती है सरकार?
सरकार का कहना है कि किसानों को जागरूक करने और पराली निस्तारण के लिए वैकल्पिक उपायों पर भी काम किया जा रहा है। कृषि मंत्री ने कहा कि “कृषि विभाग की जिम्मेदारी है कि वह किसानों को पराली प्रबंधन के लिए प्रेरित करे और समाधान उपलब्ध कराए।”
आगे क्या होगा?
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ पराली प्रबंधन के लिए वित्तीय सहायता और उपकरण उपलब्ध कराए, तो यह समस्या हल हो सकती है। किसान उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगी।
