रामेश्वरम, तमिलनाडु | 6 अप्रैल 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु के पवित्र नगर रामेश्वरम में एशिया के पहले वर्टिकल लिफ्ट रेलवे ब्रिज, नए पम्बन ब्रिज का भव्य उद्घाटन किया। 2.08 किमी लंबे इस ब्रिज की नींव नवंबर 2019 में खुद प्रधानमंत्री मोदी ने रखी थी।

नया पम्बन ब्रिज: समुद्र पर तकनीकी चमत्कार
यह ब्रिज भारत की मुख्य भूमि को रामेश्वरम (पम्बन द्वीप) से जोड़ता है। इसे डबल ट्रैक और हाई-स्पीड इलेक्ट्रिफाइड ट्रेनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। ब्रिज पर पॉलीसिलोक्सेन कोटिंग की गई है जो इसे जंग और खारे समुद्री पानी से बचाती है।

पुराना पम्बन ब्रिज 108 वर्षों तक सेवा में रहा लेकिन जंग के कारण 2022 में बंद कर दिया गया था।

वर्टिकल लिफ्ट मैकेनिज्म: सिर्फ 5 मिनट में 22 मीटर ऊपर
नया पम्बन ब्रिज 100 स्पैन से बना है और इसका सेंटर स्पैन इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम पर काम करता है। जहाजों के गुजरने के लिए ब्रिज का मध्य भाग सिर्फ 5 मिनट में 22 मीटर ऊपर उठ सकता है, वह भी सिर्फ एक ऑपरेटर द्वारा।
पुराना ब्रिज मैन्युअल था और उसे खोलने के लिए 14 लोगों की जरूरत होती थी।
हालांकि अगर समुद्री हवा की गति 58 किमी/घंटा से अधिक हो जाए, तो सुरक्षा के लिहाज से ब्रिज लिफ्ट नहीं होगा और ट्रेन सेवाएं अस्थाई रूप से रोकी जाएंगी।
कैसे काम करता है वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज
इस ब्रिज में काउंटर-वेट सिस्टम लगाया गया है। जब ब्रिज ऊपर उठता है तो विशाल ‘शिव्स’ पहियों की मदद से वजन संतुलित होता है। इससे यह वजन सहने में सक्षम और टिकाऊ बनता है। यही तकनीक इसे 100 वर्षों तक सुरक्षित संचालन के लिए सक्षम बनाती है।
ब्रिज ट्रायल्स और CRS की रिपोर्ट
- 12 जुलाई 2024: लाइट इंजन का ट्रायल रन
- 4 अगस्त 2024: ओवरहेड इक्विपमेंट टावर कार का ट्रायल
- 31 जनवरी 2025: रामेश्वरम एक्सप्रेस का सफल ट्रायल
हालांकि रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) ने कुछ आपत्तियाँ दर्ज की थीं, जैसे RDSO मानकों को फॉलो न करना, फिर भी सीमित शर्तों के साथ ब्रिज पर ट्रेन संचालन की अनुमति दी गई।
नए पम्बन ब्रिज की खास बातें
फीचर | विवरण |
---|---|
लंबाई | 2.08 किमी |
स्पीड लिमिट | 75 किमी/घंटा (लिफ्ट स्पैन पर 50 किमी/घंटा) |
स्ट्रक्चर | पूरी तरह ऑटोमेटेड वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज |
एयर क्लियरेंस | 22 मीटर (पुराने ब्रिज से 3 मीटर अधिक) |
सुरक्षा जीवन | 58 साल तक न्यूनतम रखरखाव में सुरक्षित |
इतिहास: पम्बन ब्रिज की विरासत
- 1911: पुराना पम्बन ब्रिज बनना शुरू हुआ
- 24 फरवरी 1914: रेल सेवा शुरू
- 1964: चक्रवात में क्षतिग्रस्त, 46 दिन में पुनर्निर्माण
- 2022: जंग के कारण सेवा समाप्त
यह भारत का पहला समुद्री रेलवे ब्रिज था जिसे जर्मन इंजीनियर शेरजर ने डिज़ाइन किया था।
ब्रिज निर्माण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ब्रिटिश शासन काल में श्रीलंका से व्यापारिक संबंधों और रामेश्वरम की धार्मिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए पम्बन ब्रिज की परिकल्पना की गई थी। तेज हवाओं और समुद्र की लहरों के कारण लोगों को नाव द्वारा यात्रा करना जोखिमभरा होता था। इसी वजह से एक मजबूत रेलवे ब्रिज की जरूरत महसूस की गई।
प्रधानमंत्री ने किए ₹8300 करोड़ के प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन
इस ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु में ₹8300 करोड़ से अधिक की लागत वाले रेल और सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन भी किया।
निष्कर्ष: नया पम्बन ब्रिज – भविष्य की ओर एक मजबूत कदम
नया पम्बन ब्रिज सिर्फ एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि यह भारत की इंजीनियरिंग प्रतिभा, धार्मिक महत्व, और भविष्य की रेल कनेक्टिविटी का प्रतीक है। यह ना केवल यात्रियों के लिए एक सुरक्षित मार्ग बनेगा बल्कि देश की समुद्री गतिविधियों को भी नई ऊंचाइयाँ देगा।
