Explore

Search

May 14, 2025 2:25 pm

भारत का बड़ा कदम: सिंधु जल समझौते पर रोक

indus water treaty

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़ा कदम उठाते हुए सिंधु जल समझौते पर रोक लगा दी है। इस ऐतिहासिक निर्णय की घोषणा विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में की, जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों के चलते भारत को यह कठोर निर्णय लेना पड़ा।

क्या है सिंधु जल समझौता?

सिंधु जल समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था। इस समझौते के तहत सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का जल पाकिस्तान को जबकि रावी, ब्यास और सतलुज का जल भारत को आवंटित किया गया। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच जल बंटवारे को लेकर किसी भी विवाद को टालना था।

भारत की नई रणनीति: पानी रोको, आतंक रोको

भारत द्वारा यह कदम आतंकी हमलों के खिलाफ प्रत्यक्ष कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। 2016 के उरी हमले और 2019 के पुलवामा हमले के समय भी यह चर्चा में था, लेकिन इस बार भारत ने यह ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है।

पाकिस्तान में मचा हड़कंप, बढ़ी चिंता

भारत के इस कदम के बाद पाकिस्तान में जल संकट की आशंका गहराने लगी है। पाकिस्तान की लगभग 80 प्रतिशत कृषि भूमि सिंधु नदी के जल पर निर्भर है। यदि भारत सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों से बहने वाले जल को सीमित करता है, तो यह पाकिस्तान की कृषि, पीने के पानी और जल विद्युत परियोजनाओं के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकता है।

क्या चीन बनेगा पाकिस्तान का जल-सहारा?

पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक और भारत में उच्चायुक्त रह चुके अब्दुल बासित ने चीन से मदद की बात कही है। उनका कहना है कि जिस प्रकार कई नदियाँ चीन से भारत में आती हैं, उसी प्रकार चीन भी भारत पर दबाव बनाने के लिए नदियों के जल प्रवाह को प्रभावित कर सकता है।

तकनीकी बाधाएँ और भारत की सीमाएं

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास वर्तमान में इतना मजबूत जल-आधारभूत ढांचा नहीं है कि वह तुरंत प्रभाव से पानी को रोक सके। बगलिहार और किशनगंगा जैसे प्रोजेक्ट सीमित जल भंडारण क्षमता वाले हैं। लेकिन लंबे समय में भारत सिंचाई और जल विद्युत संरचनाओं के विस्तार से इस स्थिति को बदल सकता है।

विश्व मंच पर प्रभाव

भारत के इस कदम का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असर पड़ सकता है। सिंधु जल समझौता वैश्विक स्तर पर जल-साझेदारी का एक सफल उदाहरण रहा है। इसके निलंबन से विश्व समुदाय में यह संदेश जा सकता है कि जब आतंकवाद की बात हो, तो पारंपरिक समझौतों को भी चुनौती दी जा सकती है।

निष्कर्ष: संकट की घड़ी, फैसला ऐतिहासिक

भारत द्वारा सिंधु जल समझौते पर रोक लगाने का निर्णय न केवल पाकिस्तान के लिए चेतावनी है, बल्कि यह संदेश भी है कि अब आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति ‘शून्य सहिष्णुता’ की ओर बढ़ चुकी है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान इस संकट से कैसे निपटेगा और क्या चीन उसकी मदद के लिए सामने आता है।

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर