
कोटा, 21 अप्रैल।
रेलवे संरचना के आधुनिकीकरण की दिशा में कोटा मंडल द्वारा एक अहम कदम उठाया गया है। मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) अनिल कालरा के नेतृत्व में यात्री सुविधाओं, संरक्षा और परिचालन दक्षता को मजबूत करने के उद्देश्य से रेलवे यार्ड की यात्री रनिंग लूप लाइनों का व्यापक उन्नयन किया जा रहा है। यह परियोजना न केवल यात्रियों की यात्रा को अधिक सुरक्षित और समयबद्ध बनाएगी, बल्कि भारतीय रेलवे के आधुनिक स्वरूप की ओर भी एक ठोस कदम मानी जा रही है।

यात्रियों के अनुभव में आएगा सकारात्मक बदलाव
लूप लाइनें रेलवे यार्ड की वे विशेष पटरियां होती हैं जिनका उपयोग ट्रेनों की क्रॉसिंग, ओवरटेकिंग और यातायात विनियमन में किया जाता है। उच्च यात्री घनत्व वाले मार्गों में ये लाइनों की गुणवत्ता सीधा प्रभाव ट्रेन परिचालन की दक्षता, सुरक्षा और समयबद्धता पर डालती है। कोटा मंडल की यह पहल यात्रियों की समग्र संतुष्टि को बढ़ावा देने वाली है।

रेलवे बोर्ड के सख्त दिशा-निर्देशों के तहत हो रहा कार्य
रेलवे बोर्ड के मार्गदर्शन में कोटा मंडल को कुल 90 यार्ड की यात्री लूप लाइनों को अपग्रेड करने का लक्ष्य सौंपा गया है। इस कार्य में ट्रैक रखरखाव के मानकों को पहले की अपेक्षा और अधिक कठोर बनाया गया है। पहले जहां लूप लाइन के गज में सहनशीलता -10 से +27 मिलीमीटर तक थी, उसे अब संशोधित कर -8 से +12 मिलीमीटर कर दिया गया है। साथ ही ट्विस्ट, जो पूर्व में 7 मिलीमीटर प्रति मीटर अनुमत था, अब उसे घटाकर 5 मिलीमीटर प्रति मीटर कर दिया गया है। ये दोनों बदलाव यात्रियों की अधिकतम सुरक्षा और पटरियों की दीर्घकालिक स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं।
42 यार्डों का अपग्रेड कार्य पूर्ण, शेष 48 पर तेजी से कार्य जारी
कोटा मंडल ने अप्रैल 2025 तक 42 यार्डों की लूप लाइनों को सफलतापूर्वक अपग्रेड कर लिया है। शेष 48 यार्डों पर कार्य युद्ध स्तर पर जारी है, जिसे दिसंबर 2025 से पहले पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह कार्य समयसीमा से पहले संपन्न करने की दिशा में डिवीजन पूरी प्रतिबद्धता और तत्परता से कार्य कर रहा है।

कोटा मंडल निभा रहा है अहम भूमिका
कोटा डिवीजन इस रणनीतिक परियोजना को न केवल समय पर, बल्कि सटीकता और उच्च गुणवत्ता मानकों के साथ पूरा करने की दिशा में कार्यरत है। इस पहल से यात्रियों को अधिक सुरक्षित, सुविधाजनक और तेज यात्रा अनुभव मिलेगा। साथ ही यह भारतीय रेलवे को एक आधुनिक, विश्वसनीय और कुशल परिवहन सेवा के रूप में सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
रेलवे अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के उच्च तकनीकी मानकों और सख्त दिशा-निर्देशों के पालन से भारतीय रेलवे की संरचना न केवल यात्रियों के लिए अधिक भरोसेमंद बनेगी, बल्कि परिचालन संबंधी अड़चनों को भी काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
🔹 प्रमुख तथ्य एक नजर में:
- 90 यार्डों के उन्नयन का लक्ष्य
- अब तक 42 यार्डों में कार्य पूर्ण
- दिसंबर 2025 तक शेष 48 यार्डों का कार्य पूरा होगा
- ट्रैक सहनशीलता सीमा घटाई गई – अधिक सुरक्षा सुनिश्चित
- यात्रियों की समयबद्ध, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का लक्ष्य
कोटा मंडल की यह पहल भारतीय रेलवे के बदलते परिदृश्य की ओर संकेत करती है, जहां तकनीकी दक्षता, संरक्षा और यात्रियों की प्राथमिकता को प्रमुखता दी जा रही है। यह कार्य न केवल कोटा मंडल के लिए, बल्कि समूची भारतीय रेलवे के लिए एक आदर्श मॉडल के रूप में देखा जा रहा है।
