मंदसौर के अद्भुत रॉक कट मंदिर में महाशिवरात्रि पर भक्तों का सैलाब

लाखों श्रद्धालु कर रहे दर्शन, शिव और विष्णु एक ही गर्भगृह में विराजित
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित धर्मराजेश्वर मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर एक ही चट्टान को काटकर ऊपर से नीचे की ओर बनाया गया है, जो आधुनिक इंजीनियरिंग को भी चुनौती देता है। महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं।



धर्मराजेश्वर मंदिर: अभियांत्रिकी और आस्था का संगम
यह मंदिर अपनी अद्वितीय बनावट के कारण पूरे भारत में प्रसिद्ध है। जब सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करती है, तो ऐसा प्रतीत होता है मानो सूर्य देव स्वयं शिव और विष्णु का अभिषेक कर रहे हों।
धर्मराजेश्वर मंदिर की एक और खास बात यह है कि यहां शिव और विष्णु एक ही गर्भगृह में स्थापित हैं। मंदिर के समीप बौद्ध गुफाएं भी हैं, जो इस स्थल के बहुसांस्कृतिक महत्व को दर्शाती हैं।

मंदिर से जुड़ी रोचक किवदंती
कहते हैं कि द्वापर युग में जब पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान यहां आए, तो भीम ने गंगा देवी से विवाह करने का प्रस्ताव रखा। गंगा ने शर्त रखी कि यदि भीम एक ही रात में चट्टान काटकर मंदिर बना लें, तो वह विवाह कर लेंगी। हालांकि इन किवदंतियों पर विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि गंगा तो भीम की मा समान थी क्योंकि भीष्म स्वयं गंगापुत्र थे l इसके बाद भीम ने 6 महीने की एक रात में इस मंदिर का निर्माण कर दिया। इतिहासकारों के अनुसार, यह मंदिर मूल रूप से विष्णु मंदिर था, लेकिन बाद में शैव संप्रदाय के अनुयायियों ने यहां भगवान शिव की स्थापना कर दी। यह मंदिर चौथी से पांचवीं शताब्दी का माना जाता है।
भारत के केवल चार राज्यों में हैं ऐसे मंदिर
धर्मराजेश्वर मंदिर रॉक कट टेंपल शैली में बना हुआ है। भारत में इस शैली के केवल चार प्रमुख मंदिर हैं:
- हिमाचल प्रदेश – कांगड़ा
- तमिलनाडु – महाबलीपुरम मंदिर समूह
- महाराष्ट्र – एलोरा की गुफाएं
- मध्यप्रदेश – मंदसौर के चंदवासा के पास स्थित धर्मराजेश्वर मंदिर
पुरातत्वविदों के अनुसार, धर्मराजेश्वर मंदिर का निर्माण एक विशाल चट्टान को 54 मीटर लंबी, 20 मीटर चौड़ी और 9 मीटर गहरी खुदाई करके किया गया। यह संरचना इसे अभियांत्रिकी का अद्भुत नमूना बनाती है।
पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश
धर्मराजेश्वर मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन संरक्षित धरोहर है। सरकार इस स्थल को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है। मंदिर परिसर में 7 छोटे और 1 बड़ा मंदिर तथा लगभग 200 गुफाएं मौजूद हैं। एक विशाल गुफा के बारे में कहा जाता है कि यह उज्जैन तक जाती है, हालांकि फिलहाल इसे पुरातत्व विभाग द्वारा बंद कर दिया गया है।
धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर का अद्भुत संगम
यह मंदिर न केवल शैव और वैष्णव संप्रदाय बल्कि बौद्ध धर्म के इतिहास को भी संजोए हुए है। यह मंदिर भारत की प्राचीन संस्कृति और कला का जीवंत उदाहरण है। सरकार द्वारा इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और आने वाली पीढ़ियाँ इस अद्भुत धरोहर से परिचित हो सकेंगी।
धर्मराजेश्वर मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की अद्भुत वास्तुकला और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां आना अपने आप में एक अलौकिक अनुभव है, जहाँ श्रद्धालु न सिर्फ आस्था बल्कि इतिहास और इंजीनियरिंग की कला से भी रूबरू होते हैं।
