#भाजपा रूपी पौधे को अपने खून पसीने से सींच कर बरगद बनाने वाली जड़ो को काटने से बरगद हो रहा कमजोर
#नई-नई कोपलों पर भरोसा करना और जड़ों को काटना भाजपा के लिए बना मुसीबत
#सत्ता व संगठन का तालमेल नहीं होने से कांग्रेस को मिल रहा फायदा
मन्दसौर- दिग्विजयसिंह सरकार के कार्यकाल में एमपी की जनता सड़क बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसती थी। मध्यप्रदेश एक उजाड़ और पिछड़ा प्रदेश माना जाता था। रात-दिन बिजली गुल, सड़क की जगह बड़े-बड़े गड्ढे हुआ करते थे। सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह नाममात्र की थी। इसके बाद आई भाजपा की सरकार और उमा भारती एमपी की सीएम बनी, लेकिन ज्यादा दिन सीएम नहीं रह सकीं। बाबूलाल गौर को प्रदेश की कमान संभालने का मौका मिला पर वो भी कुछ खास नहीं कर पाए और उनके बाद शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के सीएम बने। शिवराज ने ऐसी योजनाओं को लागू किया जिससे वो सीधे जनता से जुड़ गए और मामा के नाम से फैमस हो गए। शिवराज को एक उजाड़ प्रदेश मिला था लेकिन उन्होंने प्रदेश की बिजली समस्या दूर कर क्रांतिकारी कार्य विद्युत के क्षेत्र में किया। जिस प्रदेश में सिंगल सड़के गड्ढेदार थी आज उस प्रदेश में गांव-गांव में सड़के है, हाइवे है, फोरलेन सड़क है इतना ही नहीं 8 लेन सड़क बनकर लगभग तैयार है। सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जो पहले साढ़े तीन हजार पाते थे आज लगभग 60 हजार ले रहे है। कई लोकलुभावनी योजनाएं चल रही है। हर क्षेत्र में विकास हुआ है, जनता ने शिवराजसिंह चौहान को आशीर्वाद दिया है, इसके बाद ऐसा क्या हुआ कि आज प्रदेश में सरकार बचाने के लिए भाजपा को जद्दोजहद करना पड़ रही है ? सरकार तो उनकी गिरती है जो काम ना करें फिर भाजपा को खतरा क्यों है ? इसका सीधा सा कारण है कि भाजपा रूप पौधा रोपा गया था उस पौधे को अपने खून पसीने से सींच कर पौधे को बरगद बनाने वाली जड़ों यानी वरिष्ठ भाजपाइयों को आज कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है, वो जड़ें सूखने लगी है इसलिए लहलहाता बरगद कमजोर दिख रहा है। नई-नई कोपलों पर भरोसा करना कि ये कपोलें बरगद को ओर फैला देगी यही प्रयोग भाजपा के लिए रोड़ा बन रहा है। युवाओं को मौका मिलना चाहिए इसका मतलब यह नहीं कि अनुभवियों को घर बैठा दिया जाए, उनके घर बैठने से भाजपा घर बैठ सकती है, क्योंकि नए-नए छोरे मैदान में नहीं लड़ पाएंगे उनके साथ बुजुर्ग अनुभवी सिपहसालार भी चाहिए जिनके अनुभव से छोरे लड़ सकें तब युद्ध जीतना आसान होगा। आज स्थिति यह है कि छोरो को महत्वपूर्ण पदों पर बैठ दिया गया और वरिष्ठ अनुभवी घर बैठे है उन्हें कोई पूछ नहीं रहा और यही बात भाजपा को कमजोर कर रही है। भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि किसी में दम नहीं जो भाजपा को हरा दे, भाजपा ही भाजपा को हरा सकती है। यह बात सौ टका सही है और वर्तमान में प्रदेश में यह बात जमीनी स्तर पर दिखाई दे रही है। भाजपा को सींचने वालों को दरकिनार करने की बजाए उनके लिए वरिष्ठजन प्रकोष्ठ बनाकर सक्रिय रखना पार्टी के लिए लाभदायक हो सकता था। भाजपा में हमेशा सत्ता और संगठन का तालमेल रहता था लेकिन इस बार यह तालमेल नहीं है इसका सीधा लाभ कांग्रेस को मिल रहा है क्योंकि भाजपा में भितरघात होगा तो कांग्रेस को ही लाभ होना है। आचार संहिता संभवतः 5 अक्टूबर के बाद लगेगी उससे पहले शिवराज अपने राज को कायम रखने लिए कई जनहित की योजनाएं लाएंगे लेकिन पार्टी में कलह दूर नहीं हुआ तो कमलनाथ कमल को तोड़ सकते है। क्योंकि कमलनाथ पूरे योजनाबद्ध ढंग से आगे बढ़ रहे है, अनुभवी राजनीतिज्ञ है उन्हें हल्के में नहीं लिया सकता ऐसे में भाजपा वालों को वरिष्ठजनों के पैर धोकर क्षमा मांगना पड़ेगी जो नाराज घर बैठे है उन्हें युद्ध के मैदान में सिपहसालार बनाकर जिम्मेदारी सौपना होगी और जहां किसी विधायक मंत्री से जनता नाराज है तो उनका टिकट काटना पड़ेगा, गुजरात पैटर्न पर चुनाव लड़ना पड़ेगा, अगर कर्नाटक पैटर्न पर चुनाव लड़ा ओर विरोध वाली सीटों पर टिकट नहीं बदले तो पटिये उलाट हो सकते है।
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चैतन्य सिंह राजपूत
जिला ब्यूरो चीफ बुद्ध पथ समाचार पत्र
7722918506