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इस साल बसंत पंचमी पर्व 14 फरवरी 2024 बुधवार को उदया तिथि से मनाया जाएगा… जिया पाटीदार ज्योतिषाचार्य

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हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है मुख्य रूप से यह पर्व ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, वीणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजमान होकर प्रकट हुई थी। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। सनातन धर्म में मां सरस्वती की उपासना का विशेष महत्व है।
बसंत पंचमी पूजा विधि- बसंत पंचमी वाले दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साफ पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहने। उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प ले। पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें, मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं।
इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप-दीप, गंध आदि अर्पित करें। सरस्वती माता को गेंदे के फूलों की माला पहनाएं।
माता को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें। आप चाहे तो पूजा के समय सरस्वती कवच का पाठ भी कर सकते हैं। आखिर में हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर ले और “ओम श्री सरस्वत्ये नमः स्वाहा” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें, फिर अंत में खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें।
*विशेष*- इस दिन आप अपने बच्चे की जीव्हा पर शहर से ॐ लिखें। और अगर आपका बच्चा पढ़ाई में कमजोर है या पढ़ाई में मन नहीं लगता है तो आप इस दिन अपने बच्चे के पढ़ाई वाले रूम में बच्चों से मां सरस्वती की मूर्ति या फोटो की पूजा करके स्थापित करवाएं और साथ में पुस्तक व पेन की भी पूजा करवाएं।
आप सभी को बसंत पंचमी पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं
ज्योतिषाचार्य जिया पाटीदार (कुंडली विशेषज्ञ)

96448 89951

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