रेती निकालने के लिए नदी में चल रहे फाइटर क्यों नहीं पकड़े?

टकरावद (पंकज जैन): लंबे समय से चंबल नदी में फाइटर मशीनों से अवैध रूप से रेती निकाली जा रही है, जिसे संजीत और अरनिया जटीया में खाली किया जाता है। यहां से ट्रैक्टरों द्वारा रेती का परिवहन किया जाता है। इस मुद्दे पर कई बार समाचार प्रकाशित हो चुके हैं, लेकिन खनिज विभाग ने अब तक फाइटर मशीनों को पकड़ने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इसके बजाय, विभाग ने केवल 4 ट्रैक्टर पकड़कर इतिश्री कर ली। बड़ा सवाल यह उठता है कि फाइटर मशीनों को जब्त करने की कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही, जबकि यही मशीनें नदी के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बनी हुई हैं।

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पुलिस की कानूनी पीड़ा: कार्रवाई में दोहरा मानदंड?
अवैध खनन की कार्रवाई खनिज विभाग द्वारा की जानी चाहिए, लेकिन विभाग लगातार शिकायतों के बावजूद निष्क्रिय बना हुआ है। ऐसे में, पुलिस और खनिज विभाग दोनों पर सवाल उठते हैं। पुलिस जब अवैध खनन करने वालों को पकड़ती है, तो खनिज विभाग समय पर नहीं पहुंचता, जिससे मजबूरी में पुलिस को आरोपियों को छोड़ना पड़ता है। हाल ही में संजीत में भी ऐसा ही हुआ, जहां नाहरगढ़ पुलिस रात 11 बजे तक खनिज विभाग के अधिकारियों का इंतजार करती रही, लेकिन विभाग के अधिकारी नहीं आए, जिससे पुलिस को अंततः आरोपियों को छोड़ना पड़ा।
पूर्व कलेक्टरों ने की थी सख्त कार्रवाई
गांधीसागर में फाइटर मशीनों से अवैध रेती निकालने पर पूर्व कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव ने 5 फाइटर मशीनें अरनिया जटीया और पारली क्षेत्र से जब्त की थीं। वहीं, पूर्व कलेक्टर मनोज पुष्प के कार्यकाल में भी फाइटर मशीनों को जब्त करने की कार्रवाई हुई थी। लेकिन, इसके बाद से अब तक किसी भी प्रशासन ने ऐसी कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। सवाल यह है कि क्या प्रशासन की निष्क्रियता के पीछे कोई दबाव है, या अवैध खनन करने वालों को विभाग का संरक्षण प्राप्त है?
सरकार और प्रशासन को जल्द करनी होगी ठोस कार्रवाई
इस मामले में स्थानीय प्रशासन और सरकार को जल्द ही कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है। चंबल नदी का अस्तित्व खतरे में है, और यदि अवैध खनन पर रोक नहीं लगाई गई तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। क्या खनिज विभाग अब भी नींद से जागेगा या केवल खानापूर्ति करता रहेगा?
