राजस्थान में मृत शरीर का सम्मान विधेयक पारित
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने मृत शरीर का सम्मान विधेयक पारित कर दिया है l इस विधेयक अंतर्गत कोई परिवार मृतक का शव लेने से इंकार करता है या सार्वजनिक स्थानों पर शव रख कर प्रदर्शन किया जाता है तो उक्त व्यक्तियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर जेल भेजा जाएगा l देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों से मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में इस प्रकार की घटनाएं बढ़ी है जिसमें पीड़ित परिवारों द्वारा शव को सार्वजनिक स्थान पर रखकर प्रशासन पर दबाव बनाकर उचित एवं अनुचित मांगे मनवाई गई है l पिछले महीनों में शामगढ़ के समीपस्थ ग्राम जमुनिया,सुवासरा एवं मेलखेड़ा में भी पीड़ित परिवारों द्वारा शव रखकर चक्का जाम कर दिया गया था l एवं पीड़ित परिवारों द्वारा मुआवजे की राशि भी एक करोड़ रुपए तक मांगी गई थी एवं सरकारी नौकरियों की भी मांग की गई थी l शव चौराहों एवं सार्वजनिक स्थानों पर रखने के बाद प्रशासन भी अपने आपको लाचार महसूस करता है साथ ही परिवार में व्यक्ति की मौत होने से समाज एवं राजनीतिक स्तर से उस परिवार के प्रति सहानुभूति स्वतः ही हो जाती है एवं प्रशासन को जायज एवं नाजायज मांगों को मानने पर मजबूर होना पड़ता है क्योंकि मध्यप्रदेश में अभी तक ऐसा कोई कानून नहीं लाया गया है जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर शव रखकर प्रदर्शन करने वालों के ऊपर कार्रवाई की जाए l अभी हाल ही में ताजा घटना संधारा के किसानों की हुई जहां पर दो किसानों ने जहर खा लिया था जिसमें से एक किसान की मृत्यु हो गई थी l पाटीदार समाज एवं ग्रामीण किसानों द्वारा किसान जगदीश पाटीदार के शव को भी लेदी चौराहे पर रखकर प्रदर्शन किया गया था l आखिर में शुक्रवार की देर शाम प्रशासन एवं पीड़ित परिवार के बीच समझौते के बाद शव उठाकर आंदोलन खत्म किया गया l इस आंदोलन के परिणाम स्वरूप कहीं ना कहीं शासन को मोखमपुरा स्थित उद्योग विभाग की भूमि पर अपना दावा फिलहाल स्थगित रखना पड़ा साथ ही जिला कलेक्टर द्वारा दस लाख की राशि पीड़ित परिवार के व्यक्ति को दी गई एवं उक्त भूखंडों में से कुछ भूखंड पीड़ित परिवार के लिए रखे गए l
*राजस्थान में क्यों जरूरत पड़ी इस कानून की..?*
राजस्थान के आदिवासी समुदाय में एक प्रथा है जिसे मौताना कहा जाता है मौत आने का मतलब एक तरह से मृत व्यक्ति की मौत का मुआवजा होता है जिसमें आरोपी व्यक्ति से मृत व्यक्ति की मौत का मुआवजा लिया जाता है और यह मौजा लाखों रुपए में होता है जब तक इस मुआवजे की राशि तय नहीं होती है तब तक पीड़ित परिवार शव को दाह संस्कार नहीं करता है l कई बार शव का दाह संस्कार ना करने से शव सड़ जाते हैं एवं बिचौलिए जिन्हें मोतबीर कहा जाता है वह जाकर आरोपी पक्ष से सौदा करते हैं l सौदा तय होने के बाद पीड़ित परिवार को राशि मिलने के बाद ही शव को उठाया जाता है lइस प्रकार मृत शरीर का सम्मान कहीं नहीं रह जाता है राजस्थान में मृत शरीर सम्मान विधायक आने के बाद आदिवासी समाज द्वारा इसका विरोध शुरू हो गया है l
किस तरह काम करेगा नया बिल?
दरअसल, राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक के तहत डेड बॉडी रखकर विरोध प्रदर्शन करने और समय पर अंतिम संस्कार नहीं करने वालों को 2 साल से लेकर 5 साल तक की जेल हो सकती है। वहीं अगर परिजन डेड बॉडी लेने से मना करें तो उन्हें एक साल की सजा हो सकती है। इसके तहत मृतक के परिवार का सदस्य अगर डेड बॉडी का इस्तेमाल विरोध जताने के लिए करता है या किसी नेता या गैर परिजन को ऐसा करने की अनुमति देता है तो उसे भी 2 साल तक की सजा हो सकती है।