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जाने कितने की होती है आपकी ₹20 की पानी की बोतल

1 year ago 0 3

जो पानी की बोतल आप 20 रुपये में खरीदते हैं, उसकी असली कीमत ये होती है, सुनकर भौचक्के रह जायेंगे lअक्सर जब हम घर के बाहर होते हैं तो प्यास लगने पर दुकान से बोतलबंद पानी खरीद लेते हैं. पिछले करीब 20-30 सालों से भारत में बोतलबंद पानी की डिमांड लगातार बढ़ती जा रहीलोग समझते हैं कि यह पानी शुद्ध होता है, लेकिन क्या ऐसा सच में है…? आमतौर पर बाजार में 20 रुपये में 1 लीटर पानी मिल जाता है. अब सवाल यह बनता है कि क्या वाकई उस पानी की बोतल की कीमत 20 रुपये है और वह उतना शुद्ध है जितना हम उसे मानते हैं? यहां हम आपको बताएंगे की जो बोतल आप 20 रुपये में खरीदते हैं, उसकी असली लागत क्या होती है और यह कितना शुद्ध है.

बाजार में कई प्रकार के बोतलबंद या प्रोसेस्ड पानी मिलते हैं, जिन्हें तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. प्यूरिफाइड पानी: यह नल का पानी होता है, जो कई प्रक्रियाओं से शुद्ध किया जाता है. इसमें कार्बन फिल्ट्रेशन और रिवर्स ऑस्मोसिस जैसी तकनीकें शामिल होती हैं. हालांकि, इस प्रक्रिया में अधिकांश मिनरल्स निकल जाते हैं.

2. डिस्टिल्ड पानी: इस प्रकार के पानी में भी अधिकांश मिनरल्स निकल जाते हैं. यह छोटे उपकरणों में इस्तेमाल के लिए अच्छा माना जाता है.

3. स्प्रिंग वॉटर: किसी भी प्रकार का पानी, चाहे वह ट्रीटेड हो या न हो, स्प्रिंग वॉटर श्रेणी में आता है. नेचुरल रिसोर्स डिफेंस कॉउंसिल के अनुसार, इसमें मिनरल्स की कमी और कई सामान्य समस्याएं हो सकती हैं. हालांकि, प्यूरिफाइड और डिस्टिल्ड पानी को सुनकर हम यह मान सकते हैं कि ये पानी सबसे स्वास्थ्यवर्धक और शुद्ध होता है, लेकिन ऐसा हमेशा सत्य नहीं होता.

नल के पानी से इतने गुना महंगा होता है बोतलबंद पानी

‘द अटलांटिक’ में बिजनेस एडिटर और अर्थशास्त्री डेरेक थॉम्पसन के अनुसार, आधा लीटर बोतलबंद पानी की कीमत, जितना पानी हम खाना पकाने, बर्तन धोने और नहाने में इस्तेमाल करते हैं, उसकी कीमत से बहुत ज्यादा होती है. इसके पीछे का गणित समझें तो थोक में प्लास्टिक की बोतल की कीमत 80 पैसे होती है, एक लीटर पानी की कीमत 1.2 रुपये, पानी को विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजारने की लागत 3.40 रुपये/बोतल आती है. इसके अलावा अतिरिक्त व्यय के रूप में 1 रुपये का खर्च आता है. इस प्रकार बोतलबंद पानी की एक बोतल की कुल लागत 6 रुपये 40 पैसे होती है. इसका मतलब है कि हम 7 रुपये के लिए 20 या उससे भी अधिक रुपये खर्च कर रहे हैं. इसके बावजूद, क्या हम सुरक्षित हैं और यदि हां, तो कितने सुरक्षित हैं? सर्वेक्षण में कमजोर मिले थे सैंपल पर्यावरण पर शोध करने वाली बहुत सारी संस्थाएं मानती हैं कि पानी के महंगे ब्रांड को खरीदना पानी की शुद्धता से संबंधित नहीं है. बल्कि, प्लास्टिक की बोतल पानी की शुद्धता से संबंधित है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने कुछ साल पहले एक सर्वे के दौरान बताया था कि साल 2014-15 में भारत सरकार ने बोतलबंद पानी पर गुणवत्ता की जांच की थी, और उसमें से आधे से ज्यादा की प्रामाणिकता कमजोर थी.

भारत में हैं 5000 से अधिक निर्माता

पिछले दो तीन दशकों में भारत में बोतलबंद पानी की मांग तेजी से बढ़ी है. अब हर जगह लोग होटलों और यात्राओं में इसे अधिक पी रहे हैं. पश्चिमी देशों में बोतलबंद पानी की शुरुआत 19वीं सदी में हुई, हालांकि भारत में यह 70 के दशक में आया और टूरिज्म के साथ-साथ बढ़ता रहा है. यूरोमॉनिटर के अनुसार, भारत में आजकल 5,000 से अधिक निर्माताओं हैं, जिनके पास ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड लाइसेंस है.पानी की बोतल को सुरक्षित मानने की वजह यह है कि इसके लिए हम कीमत चुकाते हैं. बोतलबंद पानी की मांग देश में लगातार बढ़ रही है, लेकिन साथ ही मिलावट भी बढ़ रही है. हम बोतलबंद पानी के लिए बहुत अधिक कीमत चुका रहे हैं जबकि हमें नल से प्राप्त होने वाला पानी मुफ्त मिल जाता है. विभिन्न पानी के ब्रांड की कीमतें अलग-अलग होती हैं, हालांकि आमतौर पर देश में एक लीटर बोतलबंद पानी की कीमत लगभग 20 रुपये होती है. यह नल से प्राप्त होने वाले पानी से लगभग 10,000 गुना महंगा होता है.
कितनी होती है एक बोतल की लागत
‘द अटलांटिक’ में बिजनेस एडिटर और अर्थशास्त्री डेरेक थॉम्पसन के अनुसार, आधा लीटर बोतलबंद पानी की कीमत, जितना पानी हम खाना पकाने, बर्तन धोने और नहाने में इस्तेमाल करते हैं, उसकी कीमत से बहुत ज्यादा होती है. इसके पीछे का गणित समझें तो थोक में प्लास्टिक की बोतल की कीमत 80 पैसे होती है, एक लीटर पानी की कीमत 1.2 रुपये, पानी को विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजारने की लागत 3.40 रुपये/बोतल आती है. इसके अलावा अतिरिक्त व्यय के रूप में 1 रुपये का खर्च आता है. इस प्रकार बोतलबंद पानी की एक बोतल की कुल लागत 6 रुपये 40 पैसे होती है. इसका मतलब है कि हम 7 रुपये के लिए 20 या उससे भी अधिक रुपये खर्च कर रहे हैं. इसके बावजूद, क्या हम सुरक्षित हैं और यदि हां, तो कितने सुरक्षित हैं?

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