सीतामऊ। वर्तमान शिक्षा पद्धति में सनातन धर्म एवं देश के वास्तविक इतिहास से जुड़े तथ्यों का समावेश अत्यंत आवश्यक है, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी को वास्तविक रूप से शिक्षा के माध्यम से धर्म एवं इतिहास से जुड़े सही तथ्यों से अवगत कराया जा सके। आज देश की शिक्षा व्यवस्था विदेशी पद्धति के आधार पर बनी हुई है जिससे देश में शिक्षा का व्यापारिकरण हो रहा है शिक्षा में ठेकेदार पद्धति समाप्त होनी चाहिए। यह बात महामंडलेश्वर संत मधुसूदन शास्त्री ने सीतामऊ में एक पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हिंदू धर्म की युवतियों को लव जिहाद का शिकार बनाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है, शिक्षा पद्धति में बदलाव एवं परिवार द्वारा एक व्यवहारिक सुरक्षात्मक माहौल बच्चों को हमारे घर एवं समाज में दिया जाना चाहिए, जिससे उनका मन नहीं भटके। एक प्रश्न का जवाब देते हुए महामंडलेश्वर संत मधुसूदन शास्त्री ने बताया कि हमने चंबल नदी को गंगा नदी का दर्जा दिलाने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए थे। जिसमें हम काफी हद तक सफल भी था हुए, लेकिन देखने में आ रहा है की अपनी प्रकृति, नदियों एवं मंदिरों को सहेजने के प्रति राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी महसूस हो रही है। जिसकी पूर्ति के लिए हम सभी को पुनः जन जागरण के माध्यम से जन-जन के बीच जाना होगा। महामंडलेश्वर मधुसूदन शास्त्री ने बताया कि इसके लिए बसई चंबल तट से सनातन धर्म पथ यात्रा की शुरुआत की जाएगी। साथ ही आगामी समय में सीतामऊ के निकट बसई के पास चंबल नदी के तट पर पांच लाख दीप प्रज्वलित कर भव्य दीप महोत्सव का आयोजन भी किया जाएगा।
महामंडलेश्वर श्री मधुसूदन शास्त्री ने बताया कि हम यात्रा के माध्यम से सरकार से मांग करेगें की रामायण को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करके शिक्षा विभाग की नीतियों में इसको शामिल किया जाए, जितने भी पुराने पौराणिक एवम एतिहासिक मंदिर हैं उन सभी मंदिरों का जीर्णोद्वार कराया जाए साथ ही सरकार राष्ट्र हित के लिए एक सनातन आयोग की भी स्थापना करें। श्री मधुसूधन शास्त्री ने बताया की आजकल देश में जिस प्रकार से राजनीति हो रही है इसके लिए जनता का जागृत होना आवश्यक है। देश के नेताओं को पता चल गया है कि जनता को खरीदा जा सकता है। इसलिए जनता को राष्ट्र के प्रति समर्पित होना चाहिए इसके लिए जनता को चाहिए कि अच्छे जनप्रतिनिधियों को राजनीति में आगे लाए ताकि भ्रष्टाचार खत्म हो और देश में बड़े बदलाव लाए जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि जिन भी राजनेताओं ने सनातन धर्म के कार्यों का विरोध किया है उनको सनातन धर्म की ताकत ने पतन की राह बताई हैं।