
लखनऊ/फ्लोरिडा | 25 जून 2025
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 25 जून को एक्सियम मिशन-4 (Ax-4) के तहत इतिहास रचते हुए अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी। वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) तक पहुंचने वाले पहले भारतीय बनेंगे, और 1984 के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले केवल दूसरे भारतीय हैं। शुभांशु इस मिशन के पायलट हैं और उन्होंने स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से दोपहर 12 बजे (IST) उड़ान भरी।
✨ 41 साल बाद अंतरिक्ष में भारत का प्रतिनिधित्व
1984 में राकेश शर्मा के बाद पहली बार कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया है। उस समय राकेश शर्मा ने सोवियत स्पेसक्राफ्ट ‘सोयुज टी-11’ से उड़ान भरी थी। अब शुभांशु शुक्ला भारत की नई अंतरिक्ष यात्रा के प्रतीक बन चुके हैं।

🌌 Ax-4 मिशन: अंतरिक्ष अनुसंधान की नई दिशा
Ax-4 मिशन को स्पेसएक्स और एक्सियम स्पेस ने संयुक्त रूप से लॉन्च किया है, जिसमें 4 गगनयात्रियों का दल है। यह मिशन प्राइवेट स्पेस फ्लाइट्स को बढ़ावा देने के साथ-साथ कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन के निर्माण की दिशा में एक प्रयोग है।
- उड़ान की अवधि: 28.5 घंटे
- ISS से डॉकिंग का समय: 26 जून शाम 4:30 बजे (IST)
- मिशन अवधि: लगभग 14 दिन
- लॉन्च साइट: नासा कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा
📸 शुभांशु की अंतरिक्ष यात्रा के दृश्य
- शुभांशु के माता-पिता आशा शुक्ला और शंभु दयाल शुक्ला बेटे के लॉन्च को देखकर भावुक हो गए।
- ड्रैगन कैप्सूल से उड़ान भरते सभी एस्ट्रोनॉट्स की तस्वीरें सामने आई हैं।
- लॉन्च के 10 मिनट बाद ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ने फाल्कन-9 से सफलतापूर्वक अलग होकर कक्षा में प्रवेश किया।
कौन हैं शुभांशु शुक्ला ?
- जन्म: 1986, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
- शिक्षा: राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA)
- सेवा: 2006 से भारतीय वायुसेना में, फाइटर पायलट
- अनुभव: ISRO के गगनयान मिशन के लिए भी चयनित
- ट्रेनिंग: रूस, अमेरिका और यूरोप की स्पेस एजेंसियों (NASA, ESA, JAXA) के साथ अंतरिक्ष प्रशिक्षण
🔬 ISS पर शुभांशु क्या करेंगे?
शुभांशु वहां 14 दिन तक रहेंगे और भारतीय वैज्ञानिक संस्थानों के 7 प्रयोग और NASA के साथ 5 जॉइंट प्रयोग करेंगे। इनमें माइक्रोग्रेविटी में बायोलॉजिकल स्टडीज, मानव स्वास्थ्य और लंबे अंतरिक्ष मिशनों के डेटा जुटाना शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके वीडियो कॉल के जरिए संपर्क की भी योजना है।
🍛 भारतीय स्वाद के साथ अंतरिक्ष यात्रा
शुभांशु अपने साथ आम का रस, गाजर का हलवा और मूंग दाल का हलवा ले गए हैं, जिसे वे ISS पर अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ साझा करेंगे।
💰 भारत की लागत और निवेश
इस मिशन के लिए भारत ने लगभग ₹548 करोड़ का निवेश किया है। इसमें शुभांशु और उनके बैकअप एस्ट्रोनॉट प्रशांत नायर की ट्रेनिंग भी शामिल है। यह निवेश अंतरिक्ष अनुसंधान, भविष्य के गगनयान मिशन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए रणनीतिक है।
📅 छह बार टली लॉन्चिंग, आखिरकार सफल उड़ान
- मिशन को छह बार टाला गया, जिसमें तकनीकी दिक्कतें, मौसम खराब और अंतरिक्ष स्टेशन की तैयारी शामिल थी।
- आखिरकार 25 जून को दोपहर में लॉन्च सफल हुआ।
🌍 अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मिसाल
इस मिशन में अमेरिका, इटली, तुर्किये और भारत जैसे देशों के गगनयात्री हैं। यह अंतरिक्ष में वैश्विक सहयोग का प्रतीक है। शुभांशु की भागीदारी भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बड़ी उपलब्धि है।
🛰️ क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS)?
ISS पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला एक प्रयोगात्मक स्पेस स्टेशन है जिसमें माइक्रोग्रेविटी में विज्ञान, टेक्नोलॉजी और जीव विज्ञान से जुड़े प्रयोग किए जाते हैं। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है और 5 स्पेस एजेंसियों का साझा प्रोजेक्ट है: NASA (USA), Roscosmos (Russia), ESA (Europe), JAXA (Japan), और CSA (Canada)।
📌 निष्कर्ष
शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक उड़ान न केवल भारत के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह हमारे भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों जैसे गगनयान की नींव को भी मजबूत करती है। यह मिशन युवाओं को विज्ञान और अंतरिक्ष की ओर प्रेरित करेगा और भारत को वैश्विक स्पेस पावर के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।
