शामगढ़ पुरातन धार्मिक ग्रंथों में कल्पवृक्ष का उल्लेख है कल्पवृक्ष वह होता है जिसके नीचे बैठकर किसी भी इच्छा या मन की बात को यदि सच्चे दिल से माना जाए तो वह जरूर पूरी होती है l शामगढ़ के लगभग 25 किलोमीटर दूर ग्राम कोटडा बुजुर्ग में सैकड़ों वर्ष पूर्व दो कल्पवृक्ष है l यहां पर शिव पार्वती के जोड़े के रूप में इन दोनों वृक्षों को माना जाता है और इन दोनों पेड़ो के बीच में भगवान गणपति भी इस पेड़ के ऊपर प्राकृतिक रूप से उकरे हुए हैं l क्षेत्रवासियों से चर्चा में पता लगा कि किसी ने भी इस वृक्ष को बढ़ते हुए नहीं देखा है l दसियों पीढ़ीया गुजर गई यह पहले भी ऐसा ही था जैसा आज आज लोगों को दिखाई दे रहा है l
ग्रामवासियों द्वारा एक समिति बनाकर इसके आसपास पूजा एवं परिक्रमा लायक स्थान बना दिया है जहां पर श्रावण मास में शिव पार्वती मानकर इन दोनो वृक्ष की श्रद्धालु प्रतिदिन उसकी पूजा-अर्चना करने कोटडा ग्राम पहुंच रहे हैं l इस पेड़ के ऊपर माता लक्ष्मी स्वरूप उल्लू का एक जोड़ा भी हैं जो दिन में भी दिखाई देते हैं l ऐसा एक कल्पवृक्ष इसी क्षेत्र में गरोठ के पास ग्राम ढाकनी में भी स्थित है l