शनिवार को चंद्रयान-3 मिशन का अपडेट देते हुए इसरो ने ट्वीट किया और बताया कि अंतरिक्ष यान पूरी तरह ठीक है और उनके निर्देशों का सही तरह से पालन कर रहा है।बेंगलुरु में ISTRAC/ISRO में अंतरिक्ष यान को पहली कक्षा से ऊपर दूसरी कक्षा में सफलतापूर्वक भेजा गया। इसरो ने बताया कि अंतरिक्ष यान अब 41762 किमी x 173 किमी कक्षा में है। बता दें कि इसे 14 जुलाई की दोपहर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
चंद्रयान का सफर
ये अंतरिक्ष यान (लैंडर के साथ प्रणोदन मॉड्यूल) चंद्र कक्षा की ओर बढ़ते हुए पृथ्वी से 170 किमी निकटतम और 36,500 किमी सुदूरतम बिंदु पर एक अण्डाकार चक्र में लगभग पांच-छह बार पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। समुचित गति प्राप्त करने के बाद चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के लिए एक महीने से अधिक लंबी यात्रा पर तब तक आगे बढ़ेगा जब तक कि यह चंद्र सतह से 100 किमी ऊपर नहीं पहुंच जाता। इस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद लैंडर मॉड्यूल, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए उतरना शुरू कर देगा।
चंद्रयान का सफर
ये अंतरिक्ष यान (लैंडर के साथ प्रणोदन मॉड्यूल) चंद्र कक्षा की ओर बढ़ते हुए पृथ्वी से 170 किमी निकटतम और 36,500 किमी सुदूरतम बिंदु पर एक अण्डाकार चक्र में लगभग पांच-छह बार पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। समुचित गति प्राप्त करने के बाद चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के लिए एक महीने से अधिक लंबी यात्रा पर तब तक आगे बढ़ेगा जब तक कि यह चंद्र सतह से 100 किमी ऊपर नहीं पहुंच जाता। इस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद लैंडर मॉड्यूल, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए उतरना शुरू कर देगा।
चंद्रयान का सफर
ये अंतरिक्ष यान (लैंडर के साथ प्रणोदन मॉड्यूल) चंद्र कक्षा की ओर बढ़ते हुए पृथ्वी से 170 किमी निकटतम और 36,500 किमी सुदूरतम बिंदु पर एक अण्डाकार चक्र में लगभग पांच-छह बार पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। समुचित गति प्राप्त करने के बाद चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के लिए एक महीने से अधिक लंबी यात्रा पर तब तक आगे बढ़ेगा जब तक कि यह चंद्र सतह से 100 किमी ऊपर नहीं पहुंच जाता। इस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद लैंडर मॉड्यूल, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए उतरना शुरू कर देगा।
चांद पर लैंडिंग
इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो इसकी सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त की शाम पांच बजकर 47 मिनट पर होगी। बता दें कि पिछली बार की तरह इस बार भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र को रिसर्च के लिए चुना गया है क्योंकि चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव उत्तरी ध्रुव की तुलना में बहुत बड़ा है। इसके आस-पास स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों में पानी की मौजूदगी की संभावना हो सकती है। चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए भी यही जगह चुनी गई है। साथ ही इसकी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए विशेष उपाय किये गये हैं। (नई दुनिया)