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13 जुलाई को होगी चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग

1 year ago 0 17

चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ के मुताबिक, अंतरिक्ष के क्षेत्र में ये भारत की एक और बड़ी कामयाबी होगी।

इस मिशन को लॉन्च करने की तैयारी अपने अंतिम चरणों में है। लॉन्चिंग की तैयारियों में लगी टीम भारत के सबसे भारी रॉकेट, लॉन्च व्हीकल मार्क-III पर मध्य जुलाई तक लॉन्चिंग के लक्ष्य को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।

क्या है चंद्रयान-3 ?
चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से एलवीएम3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-III) द्वारा लॉन्च किया जाएगा। इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का ही अगला प्रोजेक्ट है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। इसमें लैंडर और रोवर शामिल हैं।

यह चंद्रयान-2 की तरह ही दिखेगा, जिसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर होगा। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं, एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है और जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने में असफल हुआ, उन पर फोकस किया गया है।

चंद्रयान -3 के लॉन्च का एलान चंद्रयान -2 के लैंडर-रोवर के दुर्घटनाग्रस्त होने के चार साल बाद हुआ है। चंद्रयान-3 मिशन के जुलाई में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमा के उस हिस्से तक लॉन्च होने की उम्मीद है, जिसे डार्क साइड ऑफ मून कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं आता।

इसके चरण कौन-कौन से हैं?
चंद्रयान-3 को एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रणोदन मॉड्यूल को मिलाकर बनाया गया है जिसका कुल वजन 3,900 किलोग्राम है। अकेले प्रणोदन मॉड्यूल का वजन 2,148 किलोग्राम है जो लैंडर और रोवर को 100 किलोमीटर की चंद्र कक्षा में ले जाएगा। लैंडर मॉड्यूल लैंडर के कम्प्लीट कॉन्फिगरेशन को बताता है।

रोवर का वजन 26 किलोग्राम है। रोवर चंद्रयान -2 के विक्रम रोवर के जैसे ही होगा, लेकिन सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने में मदद के लिए इसमें सुधार किए गए हैं। प्रणोदन मॉड्यूल 758 वाट बिजली, लैंडर मॉड्यूल 738 वाट और रोवर 50 वाट उत्पन्न करेगा।

चंद्रयान -3 का उद्देश्य क्या है?
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान -3 का उद्देश्य, चंद्र सतह पर एक सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग और रोविंग क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। इसके अलावा, इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोग करना और इंटरप्लेनेटरी मिशन के लिए आवश्यक नई तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना भी इसके अहम उद्देश्य हैं।

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