उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के लिपुलेख पहाड़ियों से कैलाश पर्वत का साफ दृश्यमान होने का अवसर प्राप्त हो रहा है। इससे भारतीय श्रद्धालुओं को कैलाश मानसरोवर के दर्शन के लिए चीन के कब्जे वाले तिब्बत जाने की जरूरत नहीं होगी। यह बड़ी खुशखबरी है और इससे धार्मिक पर्यटन का स्कोप बढ़ा हैगा।
ग्रामीणों ने इस स्थान को खोजने में मदद की है और विशेषज्ञों ने इस दर्शन मार्ग की सम्भावनाओं को समझने के लिए सर्वेक्षण किया है। उन्होंने रोड मैप और यात्रियों के लिए ठहरने की व्यवस्था जैसी विभिन्न व्यवस्थाएं तैयार की हैं। इसके बाद, यह जानकारी पर्यटन मंत्रालय को सौंपी जाएगी और उनके नेतृत्व में नया दर्शन मार्ग विकसित किया जाएगा।
कृति चंद ने बताया कि लिपुलेख की पहाड़ी से पर्वत दिखाई देता है और यहां से कैलाश पर्वत के दर्शन करने के लिए लगभग 4-5 दिन की यात्रा की जा सकती है। श्रद्धालुओं को सड़क मार्ग से धारचूला और बूढ़ी के रास्ते नाभीढांग तक पहुंचना होगा और उसके बाद दो किलोमीटर की चढ़ाई को पैदल तय करना होगा। पर्यटन विभाग के अनुसार, यह चढ़ाई आसान नहीं है, लेकिन इसे सुविधाजनक बनाने के लिए रास्ता बनाया जा सकता है और स्नो स्कूटर का उपयोग भी किया जा सकता है।
इसके अलावा, स्थानीय लोगों के अनुसार, पिथौरागढ़ के ज्योलिंगकांग से 25 किलोमीटर ऊपर स्थित लिंपियाधुरा चोटी से भी कैलाश पर्वत के दर्शन किए जा सकते हैं। लिंपियाधुरा चोटी के पास ओम पर्वत, आदि कैलाश और पार्वती सरोवर भी हैं। इससे धार्मिक पर्यटन का उत्साहजनक विस्तार होगा और यह क्षेत्र पर्यटन के लिए अधिक प्रतिष्ठित होगा।