जबलपुर (यशस्वी दुनिया) मानसून के दौरान तेज बारिश, तूफ़ान तथा बाढ़ इत्यादि की संभावनाओं को देखते हुए भारतीय रेल में प्रत्येक वर्ष मानसून के पूर्व तैयारियां की जाती हैं । इसी क्रम में पश्चिम मध्य रेलवे ने मानसून के दौरान सुरक्षित ट्रेन संचालन हेतु व्यापक इंतजाम किए हैं l और आवश्यक सुरक्षा उपायों को लागू किया जा रहा है। इन सक्रिय उपायों का उद्देश्य रेलवे संपत्ति को किसी भी तरह के नुकसान से बचाना, यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और निर्बाध ट्रेन सेवाओं को बनाए रखना है।
भोपाल, जबलपुर तथा कोटा मंडल में घाट खंडों पर विशेष जोर दिया गया है। पश्चिम मध्य रेल प्रतिकूल मौसम की स्थिति के दौरान रेलवे के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और अपने यात्रियों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है ।पमरे महाप्रबंधक श्री सुधीर कुमार गुप्ता ने मानसून के दौरान संरक्षा को पहली प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है। उन्होंने संबंधित इंजीनियरिंग अधिकारियों को बारिश, तूफान या मौसम की स्थिति में बदलाव के दौरान तैयार रहने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ निगरानी और समन्वय बनाए रखने के निर्देश दिए हैं ।
प्री-मानसून पेट्रोलिंग:संवेदनशील रेलखंडों में संबंधित अनुभाग इंजीनियरों द्वारा समीक्षा और निरीक्षण किया जा रहा है और ऐसे सभी स्थानों पर चौकीदार/पेट्रोल मैन तैनात किए गए हैं। पानी के ठहराव को रोकने के लिए, विशेष रूप से यार्डों में, ट्रैक क्षेत्रों में जल निकासी व्यवस्था से मलबे या कचरे को खत्म करने के प्रयास किए गए हैं। बारिश के दौरान ट्रेनों का संचालन निर्बाध रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए सभी नालियों को उपयुक्त ढलान के साथ एवं आउटलेट के साथ बनाया गया है।
अनावश्यक पेड़ों की शाखाओं की पहचान करने के लिए अधिकारियों द्वारा विद्युतीकृत क्षेत्रों का संयुक्त निरीक्षण किया गया है, जो मानसून के दौरान ओवरहेड उपकरण (ओएचई), सिग्नल, ट्रैक या किसी अन्य रेलवे प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और यातायात को बाधित कर सकते हैं। ट्रैक की सुरक्षा के लिए ऐसे पेड़ों की कटाई/छटाई की गयी है।
जबलपुर, कोटा एवं भोपाल मंडल के छोटे एवं बड़े पुल, पुलियों के वाटर वे की सफाई करवा दी गई है, जिससे पानी की निकासी सुचारु रूप से हो सके एव मंडल में जहाँ-जहाँ पर रेल लाइन ऊंचे पहाड़ों की कटिंग से होकर गुजरती है, वहां पर ड्रेन क्लीनिंग का काम किया जा रहा है ताकि बारिश का पानी रेलवे ट्रैक पर न आ सके। इसी कड़ी में भोपाल मंडल के शिवपुरी-ग्वालियर रेल खंड पर लगभग 12 कि.मी. लम्बी और ऊंची कटिंगों में बनी नालियों की सफाई एवं कटिंगों में गिरे बड़े-बड़े पत्थरों को हटाया जा रहा है, जिससे बारिश का पानी रेलवे ट्रैक पर न आकर आसानी से ट्रैक के किनारे बनी नालियों से होकर बह सके।
इसके अलावा संचार उपकरणों का परीक्षण भी किया जा रहा है।आपातकालीन संचार के लिए उनकी तत्परता सुनिश्चित करने के लिए, वॉकी-टॉकी सेट को अच्छी तरह से चार्ज स्थिति में रखना सुनिश्चित किया जा रहा है l