नीमच,रतलाम,मंदसौर जिला शिक्षा विभागमध्यप्रदेशदो जिला शिक्षा अधिकारी रतलाम के.सी.शर्मा और नीमच जिला शिक्षा अधिकारी सी.के.शर्मा के द्वारा मासूम बच्चो के क्रीड़ा शुल्क के साथ किए खिलवाड़ का खेल क्या हजम कर पाएंगे ? राजेश गुजेठिया सहित लोक शिक्षण संचनालय कोई जांच बिठा कर घर बिठाएगा ? या लोकायुक्त हथकड़ियां पहनाएगा ?
✍️राजपाल सिंह परिहार✍️
जिला ब्यूरोचीफ,डायरेक्टर राज न्यूज मंदसौर,मध्यप्रदेश 9109589960,9589411603
मामला नीमच,रतलाम ,मंदसौर शिक्षा विभाग का है जहा आर.टी.आई. की जानकारी में सामने आया की राजेश गुजेठिया ने जिन छात्रों को खेल खेलने के लिए जिन विद्यालयों के बच्चो का उल्लेख किया वो स्कूल आर.टी.आई. में लिखित में दे चुके है की इस नाम से हमारे यहां एडमिशन है ही नही है , राजेश गुजेठिया नीमच ने तो अपने बेटे और भाई के बेटे को भी नही छोड़ा उनका नाम भी फर्जी तरीके से गलत जानकारी देकर अन्य स्कूलों के नाम से सूची स्वीकृत करवाई जो काला झूठ अब पकड़ा गया है , क्या कर्ताधर्ता सी.के.शर्मा जिला शिक्षा अधिकारी और के.सी.शर्मा वर्तमान रतलाम जिला शिक्षा अधिकारी है ? नीमच जिला क्रीड़ा अधिकारी सावित्री मालवी का क्या रोल रहा ? क्या उनको मोहरा बनाया गया? पर क्या वो पढ़ी लिखी अनपढ़ थी जिन्होंने फर्जी बीलो पर स्वीकृति देते हुए हस्ताक्षर किए , क्या उनका हिस्सा भी बराबरी का था ? सूत्रों के अनुसार नीमच के चल्दु संकुल पर एक महिला अध्यापिका का कहना है की उनका पति किसी शासकीय जॉब में नही है वो प्रॉपर्टी ब्रोकर है पर जिला शिक्षा अधिकारी ने झूठी जानकारी भरवा कर उनका ट्रांसफर करवा दिया जो भी जॉच का विषय और कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है ।
सूत्र की माने तो रंगा बिल्ला इंदौर में सूर्य नमस्कार का रुपया भी डकार कर आए है जिसके प्रमाण भी सूत्र एक दो दिन में उपलब्ध करवा देंगे । आप सलग्न दस्तावेजों का अवलोकन कीजिए किस प्रकार स्कूल इन्कार कर रहे है की ये विद्यार्थी निम्न स्कूलों में अध्यनरत है ही नही, जबकी दोनो जिला शिक्षा अधिकारी सी.के.शर्मा और के.सी.शर्मा अपने चहेते राजेश गुजेठिया क्रीड़ा शिक्षक के हर काले कारनामे का गुप्त रूप से पूर्ण सहयोग करते रहे । नीमच दस वर्षो से अधिक जमे बैठे गोयल बाबू 60 हजार की रिश्वत और चपरासी को आत्महत्या करने पर मजबूर करने वाले मामले में क्या जिला शिक्षा अधिकारी सी.के.शर्मा का कोई रोल नहीं ? कोमप्लीसिटी से इनकार नहीं किया जा सकता क्यों की लंबे समय तक जिला शिक्षा अधिकारी ने उनके खिलाफ कोई जांच दल गठित ही नही किया, क्यों की आशंका ये जताई जा सकती है की कही गोयल बाबू ये न कह दे की,,,,, मुझे तो साहब ने ही कहा था,, की भी संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है ? वही रतलाम के जिला शिक्षा अधिकारी के.सी.शर्मा अपने कई बी.आर.सी. दागी आरोपियों अधिकारियों से ही क्यों चला रहे है? ये विचारणीय प्रश्न है , आलोट बी.आर.सी. प्रह्लाद सुरोनिया पर इतने गंभीर आरोप लगने के बावजूद मामला थाने पर पहुंचने के बावजूद जिला शिक्षा अधिकारी का इंसाफ देखिए , महिला अध्यापिका को शोकाज नोटिस दिया की आप थाने क्यों गई ? और प्रह्लाद सुरोनिया से समझोता कर उनका बाल भी बाका नही होने दिया बल्कि पुरुष्कार स्वरूप बी.आर.सी. पद पर आसीन कर दिया जो विभागीय जांच का विषय है । दोनो अधिकारी सी.के और के.सी. में नाम में अंतर नहीं है क्या कार्य में भी कोई अंतर नही है? मामला बड़ी बड़ी अनियमिताओ का है क्या चुनावी साल में इन आरोपी अधिकारियों और कर्मचारियों पर सरकार कोई कदम उठाकर घर बिठाएगी ? या हवालात के मेहमान बनाएगी ? मंदसौर में तीन तीन लाख रिपेयरिंग के शासन अनुदान में से 20 % खाने वालो पर क्या नोबत आएगी ये भी जॉच का विषय है क्यों की मौके की स्थितियां मुंह फाड़ जवाब दे रही है ?
✍️राजपाल सिंह परिहार✍️