राजगढ़
राजगढ़ जिले में बाघेश्वर धाम की कथा के दूसरे दिन मंगलवार का दिव्य दरबार लगा। जिसमें बाघेश्वर धाम सरकार ने भक्तों की अर्जियाँ लगाई और लोगों के पर्चे बनाकर उनकी समस्या सुनी व निराकरण के उपाय बताये। दिव्य दरबार में सुबह से ही भक्तों की भीड़ भारी संख्या में एकत्रित हो गई थी। दिव्य दरबार के बीच हल्की बारीश भी हुई। बारीश के बावजूद विशाल जनसैलाब दिव्य दरबार देखने पहुँचा। लोग बारीश में भिगते हुए खड़े रहकर दिव्य दरबार में बड़ी संख्या में पहुँचे। पण्डित धीरेन्द्र दोपहर 12 बजे करीब दिव्य दरबार में पहुँचे और बारी-बारी से भक्तों को बुलाकर उनकी अर्जियाँ सुनी व पर्चे बनाये। 3 घण्टे से अधिक समय तक तक दिव्य दरबार लगा।
अर्जी लगाने आया भक्त, गमछा मांगकर ले गया
दिव्य दरबार में पहली अर्जी सीहोर जिले के पंकज नाम भक्त की लगी। पंकज ने मंच पर कहा, कि मैं यहाँ पाण्डाल में बैठा-बैठा हनुमान चालीसा का पाठ कर रहा था। मैंने यहाँ 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया, तब जाकर मेरी अर्जी लगी। पर्चा बनने के बाद भक्त ने बाघेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र शास्त्री से उनका गमछा मांगा, तो सहर्ष उन्होने भक्त को गमछा दे दिया। इसके अलावा कई श्रद्धालु महिलाऐं व बीमार दु:खी भी अपनी अर्जी लगाने पहुँचे। अंत में धीरेन्द्र शास्त्री ने सभी की सामुहिक अर्जी भी लगाई। कार्यक्रम के बीच तनु नाम की बालिका ने पण्डित धीरेन्द्र शास्त्री को स्वयं के द्वारा बनाई गई पेन्टिंग देकर आशीर्वाद लिया।
बाघेश्वर सरकार बोले-अंग्रेजों के मस्तक पर तिलक लगाऐंगे, सीताराम कहलवाऐंगे
दिव्य दरबार में पण्डित धीरेन्द्र शास्त्री बोले, कि आने वाले समय में कोई भगवान की नहीं मानेगा, संतों का अपमान करेगा, उनको झूठ और पाखण्ड बतलायेगा। ऐसे लोगों के मुँह पर तमाचा मारने के लिये ही दिव्य शक्तियों का दरबार बालाजी बाघेश्वरधाम सरकार का लगता है। आगे धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा, कि वर्तमान में अंग्रेज भी सीताराम जप रहे हैं। पुन: अंग्रेजों को ठिकाने लगाने व ठठरी बांधने हम 20 जुलाई को विदेश जा रहे हैं। फिर से सनातन धर्म के झण्डे को लेजाकर अंग्रेजों को हनुमान की कथा भी सुनाऐंगे और अंग्रेजों के मस्तक पर तिलक भी लगाऐंगे और उनसे सीताराम भी कहलवाऐंगे।
तिरंगे झण्डे को बाघेश्वर धाम ने दी सलामी
दिव्य दरबार के समापन के समय एक व्यक्ति धर्मध्वजा के साथ तिरंगा लेकर पहुँचा। बाघेश्वर धाम सरकार ने राष्ट्रध्वज तिरंगे झण्डे को सलामी देकर सेल्युट किया। अंत में पण्डित धीरेन्द्र शास्त्री ने सभी भक्तों का अभिवादन स्वीकार किया। लोगों ने हाथ उठाकर सीताराम का जय श्री राम के नारे लगाकर उनका अभिनन्दन किया। दोपहर 3 बजे बाद तक दिव्य दरबार लगा एवं इसके बाद सायं 5 बजे से हनुमंत कथा का वाचन पण्डित धीरेन्द्र शास्त्री के मुखारबिन्द से हुआ।