आए दिन शहर के प्रमुख मार्गो एवं चौराहों पर धरना, प्रदर्शन, नेताओं की रैलियां ,पुतला दहन, विभिन्न प्रकार के विरोध के कार्यक्रम विभिन्न प्रकार के संगठन एवं दल आयोजित करते रहते हैं l अमूमन अंदाजा लगाया जाए तो साल के 365 दिनों में से 200 दिन शहर के प्रमुख मार्ग कार्यक्रमों स्टेज एवं भीड़ से भरे रहते हैं l इस वजह से नियमित चलने वाला आवागमन लोगों का व्यापार एवं स्थानीय निवासियों की परेशानियां बढ़ जाती है l मजे की बात यह है की विभिन्न प्रकार के दलों को इस प्रकार के कार्यक्रम बिल्कुल शहर के बीचो-बीच चौपाटी एवं चौक पर ही करना रहते हैं ताकि लोगों का ध्यान ज्यादा से ज्यादा आकर्षित हो यदि इसी प्रकार के कार्यक्रम मुख्य मार्गो से परे आयोजित किए जाए तो पार्टियों के कार्यक्रम आधे से ज्यादा फेल हो जाएं इसी डर से आने जाने वाली भीड़ को अपने कार्यक्रम का हिस्सा मानकर विभिन्न प्रकार के दल एवं संगठन इस प्रकार के कार्यक्रम मुख्य मार्ग में चौराहों पर आयोजित करते हैं l
इस प्रकार के कार्यक्रमों पर प्रशासन को रोक लगाकर शहर में स्थान चिन्हित कर कार्यक्रम आयोजित किए जाने की अनुमति दी जाना चाहिए ताकि स्थानीय निवासियों का जीवन दो वरना हो एवं आए दिन होने वाले शोर-शराबे एवं भीड़ से लोगों को निजात मिल सके l राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के कार्यक्रम तो शहर के बाहर ही आयोजित किए जाते हैं परंतु राज्य स्तर एवं जिला स्तर तथा शहरी स्तर के कार्यक्रम नगर के बीचो बीच आयोजित किए जाने से लोगों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है लोग घंटों ट्रैफिक में फंसे रहते हैं आवागमन डायवर्शन से दुर्घटनाओं का अंदेशा हमेशा बना रहता है l