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September 20, 2025 1:09 am

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तालाब में डूबने से तीन मासूमों की मौत, प्रजापति समाज में छाया मातम,शामगढ़ थाने के ग्राम हतई मे हुआ दर्दनाक हादसा

शामगढ़ हादसा, तालाब में डूबने से तीन बच्चों की मौत, प्रजापति समाज, मंदसौर समाचार

शामगढ़ (कैलाश विश्वकर्मा )। शुक्रवार शाम शामगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम हतई से दिल को झकझोर देने वाली त्रासदी सामने आई। गांव के पास बने तालाब में नहाने गए तीन मासूम बच्चों की डूबकर मौत हो गई। मृतकों में दो बच्चियां करीब 11 वर्ष की और एक मासूम बालक मात्र 7 वर्ष का बताया जा रहा है। तीनों बच्चे प्रजापति समाज से थे। इस दर्दनाक हादसे ने पूरे गांव को गमगीन कर दिया है और हर आंख नम हो उठी।

कैसे हुआ हादसा?

ग्रामवासियों के अनुसार शुक्रवार शाम चार बच्चे गांव के पास बने तालाब पर खेलने और नहाने पहुंचे थे। नहाने के दौरान अचानक तीन बच्चे गहरे पानी में चले गए और वापस नहीं लौटे। उसी समय तालाब किनारे मौजूद करीब 5 वर्षीय एक बच्ची ने यह सब देखा। वह घबराकर जोर-जोर से रोने लगी। ग्रामीण जब वहां पहुंचे और उससे पूछा तो उसने मासूम आवाज में कहा – “तीनों तालाब में डूब गए हैं।” यह सुनते ही पूरे गांव में हड़कंप मच गया।

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पुलिस व ग्रामीणों ने निकाले शव

घटना की सूचना मिलते ही चंदवासा चौकी प्रभारी मनोज महाजन पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों की मदद से मशक्कत कर तीनों बच्चों को तालाब से बाहर निकाला गया और तत्काल शामगढ़ सिविल अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने बच्चों को मृत घोषित किया। शवों को अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया है, जहां शनिवार को पोस्टमार्टम किया जाएगा।

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

अस्पताल में जब परिजन पहुंचे तो उनका दर्दनाक दृश्य हर किसी की आंखें नम कर गया। गमगीन माहौल में माताएं-बाप अपने मासूम बच्चों के शव देखकर बेसुध हो गए। बच्चियों के शव जब मोर्चरी ले जाए जा रहे थे तो ऐसा लग रहा था मानो वे गहरी नींद में सो रही हों। वहां मौजूद हर शख्स का दिल यह दृश्य देखकर दहल उठा।

गांव में पसरा मातम

हतई गांव में इस हादसे के बाद से मातम का माहौल है। जिन गलियों में बच्चों की हंसी-किलकारियां गूंजती थीं, वहां अब सन्नाटा छा गया है। पड़ोसी, रिश्तेदार और समाजजन परिजनों को ढांढस बंधाने पहुंचे, लेकिन वहां सिर्फ चीख-पुकार और रुलाई सुनाई दे रही थी। प्रजापति समाज के लोग घटना से गहरे सदमे में हैं और इसे अपूरणीय क्षति मान रहे हैं।

सुरक्षा पर उठे सवाल

गांव के लोग घटना के बाद तालाब की सुरक्षा पर सवाल उठा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह तालाब गांव से सटा हुआ है, लेकिन इसके चारों ओर सुरक्षा के इंतज़ाम नहीं हैं। न तो कोई बैरिकेडिंग है और न ही बच्चों को रोकने के लिए कोई उपाय। अगर सुरक्षा दीवार या घेराबंदी होती तो शायद यह बड़ा हादसा टल जाता।

पुलिस की जांच

पुलिस का कहना है कि मामला दुखद है और प्रारंभिक जांच में इसे हादसा ही माना जा रहा है। साथ ही, स्थानीय प्रशासन से तालाब की सुरक्षा और बच्चों को लेकर जागरूकता अभियान चलाने की सिफारिश की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।

समाज और प्रशासन के लिए संदेश

यह हादसा केवल हतई गांव या शामगढ़ क्षेत्र की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए चेतावनी है। मासूमों की सुरक्षा सुनिश्चित करना परिजनों और प्रशासन दोनों की ज़िम्मेदारी है। गांव के तालाब, कुएं या अन्य जलस्रोत बच्चों के लिए अकसर खतरनाक साबित होते हैं। यदि इनकी घेराबंदी और निगरानी समय पर हो, तो ऐसी घटनाओं को टाला जा सकता है।


निष्कर्ष

शामगढ़ का यह दर्दनाक हादसा हर दिल को झकझोर देने वाला है। तीन मासूम जिनके सपने अभी शुरू ही हुए थे, पलभर में काल के गाल में समा गए। गांव में पसरा मातम और परिजनों का विलाप यह सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर कब तक मासूमों की जान असुरक्षा की बलि चढ़ती रहेगी?

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