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“हरित कुंभ” की ओर कदम: गरोठ के समाजजनों ने 3000 थाली और थैला का संग्रह किया, प्रयागराज महाकुंभ के लिए भेजा

4 weeks ago 0 104

प्रयागराज महाकुंभ 2025 को “प्लास्टिक मुक्त” और “पर्यावरण अनुकूल” बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मालवा प्रांत, जिला गरोठ के नेतृत्व में “एक थाली-एक थैला अभियान” का सफल आयोजन हुआ। इस अभियान के तहत समाज के विभिन्न वर्गों के सहयोग से 3000 थालियां और 3000 थैले एकत्र कर महाकुंभ के तीर्थयात्रियों के लिए भेजे गए।
“हर घर से थाली और थैला” का संदेश
पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, मालवा प्रांत द्वारा आयोजित इस अभियान का उद्देश्य प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग को कम करना और महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों को पर्यावरण अनुकूल बनाना है। 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित होने वाले इस महाकुंभ में करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। अनुमान के अनुसार, इस आयोजन के दौरान 40,000 टन कचरा उत्पन्न हो सकता है।
ऐसे में प्लास्टिक और डिस्पोजल सामग्री के उपयोग को कम करने के लिए गरोठ जिला के नागरिकों ने “हर घर से एक थाली और एक थैला” अभियान के माध्यम से अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस पहल का लक्ष्य है कि तीर्थयात्रियों को भोजन के लिए अपनी थाली और सामान रखने के लिए थैला उपलब्ध हो, जिससे पॉलिथीन और अन्य हानिकारक कचरे का निर्माण कम हो।

अभियान में प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति
इस अभियान के समापन कार्यक्रम में कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि: अखिल भारतीय सह धर्म जागरण प्रमुख श्री अरुण कांत जी ,मध्य क्षेत्र धर्म जागरण प्रमुख: श्री सुरेंद्र त्रिपाठी जी,मालवा प्रांत धर्म जागरण प्रमुख: श्री अभिषेक गुप्ता जी,जिला संघ चालक: श्री धर्मेंद्र पाटीदार जी,जिला पर्यावरण संयोजक: श्री राजकुमार जैन जी,जिला कार्यवाह: श्री विवेक पांडे जी
इनके अलावा, समाज के प्रमुख सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवकों ने भी इस अभियान में उत्साहपूर्वक भाग लिया।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अद्भुत प्रयास
महाकुंभ, जो भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, को हरित और स्वच्छ बनाने की इस पहल की सराहना की जा रही है। इस पहल से यह संदेश जाता है कि बड़े स्तर के आयोजनों में भी पर्यावरण के प्रति जागरूक रहकर काम किया जा सकता है।
क्या है “हरित कुंभ” का महत्व?
महाकुंभ न केवल एक आध्यात्मिक संगम है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। ऐसे में इस आयोजन को प्लास्टिक मुक्त बनाना न केवल पर्यावरण के लिए जरूरी है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ भविष्य की ओर भी कदम है।
गरोठ की इस पहल से प्रेरणा लेकर अन्य जिलों और संगठनों को भी “एक थाली-एक थैला अभियान” से जुड़कर महाकुंभ 2025 को हरित और स्वच्छ बनाने में अपना योगदान देना चाहिए।

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