हाल ही में दक्षिण कोरिया में हुए विमान हादसे ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। मुआन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जेजू एयर के विमान की दुर्घटना में 179 लोगों की जान चली गई। यह घटना न केवल देश की सबसे भीषण विमान दुर्घटनाओं में शामिल हो गई है, बल्कि हवाई अड्डों की सुरक्षा प्रणाली पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
हादसे का मंजर: क्या हुआ?
फुटेज में देखा गया कि विमान रनवे से बाहर निकलकर 250 मीटर दूर स्थित एक कंक्रीट की दीवार से टकराया और तुरंत आग की चपेट में आ गया। इस दीवार का निर्माण नेविगेशन सिस्टम, जिसे ‘लोकलाइज़र’ कहा जाता है, को सहारा देने के लिए किया गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि इस दीवार की स्थिति और कठोरता हादसे की भयावहता बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकती है।
पायलट की प्रतिक्रिया और पक्षी से टकराने का मामला
पायलट ने उड़ान के दौरान विमान के पक्षी से टकराने की सूचना दी। इसके बाद उन्होंने प्राथमिक लैंडिंग को रद्द कर विपरीत दिशा से लैंडिंग करने की अनुमति मांगी। विमान ने रनवे पर फिसलते हुए लैंडिंग की, लेकिन इसका लैंडिंग गियर और पहिए इस्तेमाल में नहीं आए।
हवाई सुरक्षा विशेषज्ञ डेविड लियरमाउंट ने बताया कि लैंडिंग काफी नियंत्रित थी और विमान ने संतुलन बनाए रखा। उन्होंने कहा, “अगर यह दीवार वहां नहीं होती, तो विमान बिना किसी बड़े नुकसान के रुक सकता था, और अधिकांश यात्रियों की जान बचाई जा सकती थी।”
दीवार की संरचना पर उठते सवाल
चार मीटर ऊंची यह कंक्रीट की दीवार नेविगेशन सिस्टम को स्थिर रखने के लिए बनाई गई थी। हालांकि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी संरचनाएं हल्की और आसानी से टूटने वाली होनी चाहिए ताकि किसी भी टक्कर के दौरान विमान को ज्यादा नुकसान न पहुंचे।
लुफ्थांसा के पायलट क्रिश्चियन बेकेर्ट ने कहा, “रनवे के अंत में इस तरह की कठोर संरचना का होना असामान्य है। आमतौर पर ऐसी दीवारों को इस तरह डिज़ाइन किया जाता है कि वे टकराने पर टूट जाएं।” यह दीवार हादसे को और भी गंभीर बनाने का कारण बनी।
सरकार की प्रतिक्रिया और अगला कदम
दक्षिण कोरिया के परिवहन मंत्रालय ने पुष्टि की है कि देश के अन्य हवाई अड्डों और कुछ अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट्स पर भी ऐसी संरचनाएं मौजूद हैं। हालांकि, अब इनकी समीक्षा की जाएगी। मंत्रालय इस बात की जांच कर रहा है कि क्या इस तरह की दीवारों को हल्की और सुरक्षित सामग्री से बनाया जा सकता है।
विमान की संरचना और हादसे का असर
अनुभवी पायलट क्रिस किंग्सवुड का कहना है कि विमान हल्की संरचना वाले होते हैं ताकि उनकी उड़ान में दक्षता बनी रहे। उनका कहना है कि ऐसी कठोर संरचनाएं टकराव के दौरान विमान के लिए जानलेवा हो सकती हैं।
इस दुर्घटना में, विमान की तेज गति और दीवार से टकराने के कारण इसका ढांचा पूरी तरह से टूट गया। आग लगने की वजह से यात्रियों को बाहर निकलने का मौका भी नहीं मिला। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दीवार को इस तरह डिज़ाइन किया जाता कि वह टक्कर के दौरान टूट जाती, तो यह हादसा इतना भयावह नहीं होता।
भविष्य की दिशा: सुरक्षा में सुधार
यह हादसा हवाई अड्डों की संरचनात्मक सुरक्षा पर पुनर्विचार की आवश्यकता को दर्शाता है। परिवहन मंत्रालय अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप रनवे के आसपास की संरचनाओं को पुनः डिज़ाइन करने की योजना बना रहा है। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
दक्षिण कोरिया का यह विमान हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि यह एक चेतावनी है कि हवाई सुरक्षा में हर छोटे से छोटे पहलू का ध्यान रखना अनिवार्य है। इस घटना से मिले सबक से यह उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में ऐसे हादसों को टालने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।