भोपाल से यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की शिफ्टिंग शुरू, ग्रीन कॉरिडोर पर जाम की स्थिति
भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से 40 साल से जमा जहरीले कचरे की शिफ्टिंग प्रक्रिया आखिरकार शुरू हो गई है। बुधवार रात 9 बजे, 12 कंटेनर 337 मीट्रिक टन कचरे के साथ पीथमपुर की ओर रवाना हुए हैं। यह कचरा पीथमपुर में स्थित रामकी एनवायरो कंपनी में जलाया जाएगा। कचरे को पीथमपुर तक पहुंचाने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और ग्रीन कॉरिडोर का उपयोग किया जा रहा है। इस दौरान पूरे रास्ते में ट्रैफिक को रोकने की व्यवस्था की गई है, जिससे कई जगहों पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
कचरे की शिफ्टिंग के लिए ग्रीन कॉरिडोर और सुरक्षा
कचरे को शिफ्ट करने के लिए एक विशेष ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है, जिसकी वजह से जगह-जगह जाम की स्थिति बन गई है। कंटेनर्स के लिए बनाए गए ग्रीन कॉरिडोर के कारण सीहोर के क्रिसेंट चौराहा पर लगभग 2 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। इसके बाद आष्टा में भी करीब 4 किलोमीटर लंबा जाम देखा गया। यह जाम इसलिए लगा क्योंकि ग्रीन कॉरिडोर के तहत ट्रैफिक को रोककर कचरे से भरे कंटेनरों को सुरक्षित रूप से मार्ग पर चलने दिया जा रहा है। इसके अलावा, हर टोल पर गाड़ियों को आधे घंटे के लिए रोका जा रहा है ताकि कचरे से भरे ट्रक आसानी से आगे बढ़ सकें।
पुलिस ने पूरे रूट पर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की है। कंटेनर्स के साथ पुलिस की पांच गाड़ियां चल रही हैं। इसके अलावा, 100 पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए हैं ताकि कचरे की शिफ्टिंग के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। इन कंटेनरों के लिए रूट पर कई स्थानों पर ट्रैफिक को रोकने और सुनिश्चित करने के लिए एक कड़ा सुरक्षा कवच स्थापित किया गया है। ग्रीन कॉरिडोर की वजह से वाहनों की गति भी धीमी हो गई है, जिससे जाम की समस्या और बढ़ गई है।
चार दिन में पैक हुआ 337 मीट्रिक टन कचरा
कचरे की शिफ्टिंग की प्रक्रिया रविवार दोपहर से शुरू हुई थी और इस कार्य को पूरा करने में चार दिन लग गए। 337 मीट्रिक टन कचरे को पहले बैग्स में पैक किया गया और फिर उसे कंटेनरों में लोड किया गया। मंगलवार रात से कंटेनरों में कचरा लोड करना शुरू किया गया, और बुधवार दोपहर तक यह प्रक्रिया पूरी हो गई। फिर रात में इन कंटेनरों को पीथमपुर के लिए रवाना कर दिया गया। यह कचरा यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में पिछले 40 साल से जमा था, और अब इसे पीथमपुर में जलाने के लिए भेजा जा रहा है।
हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को 6 जनवरी तक इस जहरीले कचरे को हटा लेने के आदेश दिए थे। 3 जनवरी तक सरकार को हाईकोर्ट में इस प्रक्रिया की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। इस आदेश के तहत, सरकार और प्रशासन ने इस कचरे को समय पर हटाने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं। कचरे की शिफ्टिंग के दौरान यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी भी प्रकार का पर्यावरणीय नुकसान न हो।
कंटेनर्स की गति और सुरक्षा व्यवस्थाएं
कचरे को ले जाने वाले कंटेनर्स को लगभग 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चलाया जा रहा है। इस गति से कंटेनरों का यातायात आसानी से हो पा रहा है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से इन्हें कुछ स्थानों पर रोका भी जा रहा है। हर कंटेनर में दो ड्राइवर होते हैं, जो सुनिश्चित करते हैं कि कंटेनर सुरक्षित रूप से पीथमपुर पहुंच सके। इसके साथ ही पुलिस सुरक्षा बल, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और क्विक रिस्पॉन्स टीम भी पूरी प्रक्रिया के दौरान तैनात रहती है।
आगे की प्रक्रिया और चुनौतियां
कचरे की शिफ्टिंग की इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, इसे पीथमपुर में जलाने के लिए रामकी एनवायरो कंपनी में भेजा जाएगा, जहां इसे सुरक्षित तरीके से जलाया जाएगा। इस शिफ्टिंग प्रक्रिया को लेकर प्रशासन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, खासकर ग्रीन कॉरिडोर की वजह से उत्पन्न हो रहे जाम की समस्याओं से। हालांकि, यह शिफ्टिंग एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि पिछले 40 वर्षों से यह कचरा भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में पड़ा हुआ था और अब इसे हटाना संभव हो सका है।
इसके अलावा, इस प्रक्रिया के दौरान सरकारी अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि पूरे रास्ते पर पर्यावरणीय सुरक्षा के सभी उपाय किए गए हों, ताकि किसी प्रकार का प्रदूषण या हादसा न हो। यह शिफ्टिंग प्रक्रिया अब तक सुचारू रूप से चल रही है और उम्मीद जताई जा रही है कि यह कार्य निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरी तरह से पूरा हो जाएगा।
यही कारण है कि यह कदम पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है और इसके परिणामस्वरूप भोपाल को प्रदूषण मुक्त बनाने में मदद मिलेगी।