शामगढ़। (kailash vishwakarma)परासली रोड स्थित शामगढ़ स्टेडियम चोरी की घटना ने स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। करोड़ों की लागत से बने इस स्टेडियम को खेल गतिविधियों और प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया गया था, लेकिन सुरक्षा इंतजामों की अनदेखी ने इसे असामाजिक तत्वों और चोरों का आसान शिकार बना दिया। ताजा मामले में चोरों ने यहां से अल्युमिनियम की खिड़कियां, लकड़ी के फ्लश डोर और बिजली के तार तक उखाड़ लिए।


चोरी का खुलासा कैसे हुआ?
शुक्रवार शाम जब स्थानीय लोग स्टेडियम पहुंचे तो उन्होंने टूटी-फूटी खिड़कियों और दरवाजों को देखा। इसके बाद तुरंत प्रशासन को सूचना दी गई। लोगों ने बताया कि खिड़कियों के शीशे तोड़कर उन्हें जबरन बाहर निकाला गया और ले जाया गया। यह कोई साधारण चोरी नहीं बल्कि शामगढ़ स्टेडियम चोरी का ऐसा मामला है जिसने सरकारी संपत्ति की सुरक्षा व्यवस्था की असली तस्वीर उजागर कर दी।

चौकीदार की गैरमौजूदगी से असामाजिक तत्वों का डेरा
सबसे गंभीर बात यह है कि इस स्टेडियम में कोई चौकीदार तैनात नहीं है। चौकीदार की गैरमौजूदगी के कारण यहां नशेड़ी और असामाजिक तत्व आए दिन डेरा जमाते हैं। गवाहों का कहना है कि स्टेडियम के हिस्सों को धीरे-धीरे चोर उखाड़कर बेचते जा रहे हैं और किसी को इसका अंदाजा भी नहीं है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह चोरी पहली बार नहीं हुई है बल्कि शामगढ़ स्टेडियम चोरी का यह सिलसिला लंबे समय से जारी है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार नुकसान बड़ा हुआ है और लोगों की नजर में आ गया।
करोड़ों की लागत से बना लेकिन असुरक्षित
शामगढ़ से करीब 2 किलोमीटर दूर और केंद्रीय विद्यालय से लगभग 500 मीटर आगे स्थित यह स्टेडियम शासन द्वारा खेल को बढ़ावा देने और प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए तैयार किया गया था। इसमें बैठने की अच्छी व्यवस्था, भवन और अन्य सुविधाएं मौजूद थीं। लेकिन सुरक्षा की अनदेखी के कारण यह अब असामाजिक तत्वों का ठिकाना बनता जा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए तो आने वाले समय में यहां और भी बड़ी शामगढ़ स्टेडियम चोरी की घटनाएं हो सकती हैं।
प्रशासन का पक्ष
तहसीलदार किरण गहलोत ने कहा कि “थाना प्रभारी धर्मेंद्र शिवहरे को निर्देशित कर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया जाएगा।”
वहीं दूसरी ओर, शामगढ़ थाना प्रभारी ने शुक्रवार रात 8 बजे तक इस चोरी को लेकर किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज होने से इनकार किया।
स्थानीय लोगों के सवाल
इस घटना ने गांव और आसपास के लोगों के बीच गुस्सा और चिंता दोनों बढ़ा दी है। लोगों का कहना है कि:
- आखिर करोड़ों की लागत से बने स्टेडियम की सुरक्षा क्यों सुनिश्चित नहीं की गई?
- क्यों यहां चौकीदार तैनात नहीं है?
- और क्या गारंटी है कि अगली बार स्टेडियम के बाकी सामान चोरी नहीं होंगे?
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि तत्काल चौकीदार की नियुक्ति की जाए और नियमित निगरानी बढ़ाई जाए, ताकि शामगढ़ स्टेडियम चोरी जैसी घटनाएं दोबारा न हो सकें।
सरकारी धन की बर्बादी और अपराधियों के बढ़ते हौसले
सरकारी भवनों और संपत्तियों पर इस तरह के हमले न सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी हैं बल्कि अपराधियों के बढ़ते हौसले का भी सबूत हैं। शासन द्वारा बनाए गए ऐसे भवन यदि सुरक्षित नहीं रखे गए तो करोड़ों रुपये व्यर्थ चले जाएंगे और जनता को इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा।
शामगढ़ स्टेडियम चोरी सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि यह उन कई सरकारी भवनों का आईना है जिन्हें सुरक्षा और देखरेख की सख्त जरूरत है।

भविष्य की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम
इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि प्रशासन को अब गंभीरता से कदम उठाने होंगे। स्थानीय लोग और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि:
- स्टेडियम में स्थायी चौकीदार की नियुक्ति हो।
- भवन के चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।
- असामाजिक तत्वों और नशेड़ियों पर कार्रवाई की जाए।
- स्टेडियम की नियमित निगरानी के लिए पुलिस गश्त बढ़ाई जाए।
- चोरी से हुए नुकसान की भरपाई के लिए जिम्मेदार विभाग तुरंत कदम उठाए।
यदि ये कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में शामगढ़ स्टेडियम चोरी जैसी घटनाएं और बढ़ सकती हैं।
निष्कर्ष
शामगढ़ स्टेडियम चोरी की घटना ने साफ कर दिया है कि सरकारी भवनों की सुरक्षा व्यवस्था कितनी कमजोर है। यह घटना केवल चोरी नहीं बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और जिम्मेदारों की उदासीनता का बड़ा उदाहरण है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी दिखाता है और क्या दोषियों को पकड़कर सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाता है या फिर यह मामला भी बाकी घटनाओं की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।
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शामगढ़ स्टेडियम चोरी की सनसनीखेज घटना, चोरों ने खिड़कियां, दरवाजे और बिजली के तार तक उखाड़ लिए। सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल, प्रशासन की लापरवाही उजागर।
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