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October 10, 2025 3:42 pm

🕉️ ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कथा: विनम्रता से प्राप्त हुआ ईश्वर का साक्षात्कार

शामगढ़। नगर के पोरवाल मांगलिक भवन में चातुर्मास अवसर पर आयोजित त्रैमासिक शिव पुराण कथा के अंतर्गत संत श्री दिव्येश रामजी महाराज ने भगवान ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग की पावन कथा का अद्भुत और शिक्षाप्रद प्रसंग सुनाया। कथा का श्रवण करते हुए श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।

⛰️ अभिमान के विनाश की कथा: विंध्याचल पर्वत की सीख

संत श्री ने चौथे ज्योतिर्लिंग भगवान ओंकारेश्वर की उत्पत्ति का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि एक समय विंध्याचल पर्वत, जो अत्यंत समृद्ध और शक्तिशाली था, अपने ऐश्वर्य पर अत्यधिक गर्व करने लगा। उसने नारद मुनि से बार-बार अपनी प्रशंसा सुनने की लालसा की, परंतु जब नारद जी ने उसे बताया कि सुमेरु पर्वत उससे श्रेष्ठ है, तो विंध्याचल अत्यंत विचलित हो गया।

दिव्येश रामजी महाराज

अपमान और आत्मबोध से प्रेरित होकर विंध्याचल पर्वत ने भगवान शिव की 6 माह तक कठोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे वरदान दिया कि वे उसी पर्वत पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में सदैव विराजमान रहेंगे

🔱 ओंकारेश्वर और ममलेश्वर: एकात्म का प्रतीक

इस कथा में यह भी बताया गया कि ओंकारेश्वर और ममलेश्वर दो स्वरूप हैं परंतु दोनों ही एक ही ज्योतिर्लिंग के अभिन्न अंग हैं। एक ओर ओंकारेश्वर, दूसरी ओर ममलेश्वर के रूप में भगवान शिव आज भी विंध्यांचल की इस भूमि को पवित्र बनाए हुए हैं।

दिव्येश रामजी महाराज

🌟 अंधविश्वास पर तीखा प्रहार

संत श्री ने कथा के मध्य आध्यात्मिक और सामाजिक विषयों पर बेबाक विचार भी व्यक्त किए। उन्होंने कहा—

“आज धर्म के नाम पर गंडे, ताबीज, अंधविश्वास का व्यापार चल रहा है। जो लोग कहते हैं कि उनके शरीर में परमात्मा आते हैं, वो केवल भोली जनता को भ्रमित कर रहे हैं। परमात्मा केवल उन पर कृपा करते हैं जो सच्चे मन से तप, सेवा और भक्ति करते हैं।”

संत श्री की वाणी में सामाजिक चेतना भी देखने को मिली। उन्होंने कहा कि—

“धर्म दिखावे की चीज़ नहीं, जब तक हम उसे जीवन में आत्मसात नहीं करेंगे, तब तक हजारों कथाएं भी हमें बदल नहीं सकतीं। जैसे दवा खाने से ही बीमारी दूर होती है, वैसे ही धर्म का पालन करके ही आत्मिक कल्याण संभव है।”

दिव्येश रामजी महाराज

👁️ दिव्य दृष्टि और विराट दर्शन

कथा के एक अन्य प्रसंग में भगवद्गीता का संदर्भ देते हुए संत श्री ने बताया कि किस प्रकार अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने दिव्य नेत्र प्रदान कर विराट स्वरूप के दर्शन कराए। इसी प्रकार संजय ने भी महाभारत का युद्ध दिव्य दृष्टि से देखा और धृतराष्ट्र को सुनाया। यह प्रसंग भी श्रद्धालुओं के लिए ज्ञानवर्धक रहा।

🔮 भविष्य के मनीषी संत

संत श्री की अल्पायु में इतनी गहरी विद्वत्ता और धारदार वक्तव्य शैली ने सभी को प्रभावित किया। उनकी वाणी में ओजस्विता और निर्भीकता है। सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक विषयों पर जिस स्पष्टता से वे विचार रखते हैं, उससे यह प्रतीत होता है कि वे भविष्य में देश के एक महान संत, विचारक और समाज सुधारक बनेंगे।

📿 आगे की कथा: केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का वर्णन

कथा का समापन करते हुए संत श्री ने बताया कि अगले प्रवचन में भगवान केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा सुनाई जाएगी। श्रद्धालुओं से आग्रह किया गया कि वे केवल कथा सुनें ही नहीं, बल्कि उसे अपने जीवन में धारण और आत्मसात करें, तभी सच्चा कल्याण संभव है।


🛕 बोलिए ओंकारनाथ भगवान की जय!

🙏 हर हर महादेव! 🙏


📝 रिपोर्टर – हरि नारायण फरकीया, शामगढ़
📍 स्थान – पोरवाल मांगलिक भवन, शामगढ़


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