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टाटा जुडियो आउटलेट फ्रेंचाइजी दिलाने के बहाने ठगी पुलिस ने किया अंतरराज्यीय साइबर ठगी गिरोह का भंडाफोड़

7 days ago 0 19

अंतरराज्यीय साइबर ठगी गिरोह गिरफ्तार: मंदसौर पुलिस की बड़ी सफलता

मंदसौर (मध्य प्रदेश): मंदसौर पुलिस ने 13 दिन के अथक प्रयासों के बाद अंतरराज्यीय साइबर ठगी गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह ने मंदसौर के एक व्यापारी से ₹38.67 लाख की ठगी को अंजाम दिया था। गिरफ्तार किए गए चार आरोपियों में मुख्य सरगना जितेंद्र सिंह भी शामिल है। यह गिरोह फर्जी वेबसाइट और कॉल के माध्यम से देशभर में लोगों को धोखा दे रहा था

कैसे हुई ठगी? व्यापारी को निशाना बनाने की कहानी

मामला तब सामने आया जब मंदसौर निवासी व्यापारी सूरज गुप्ता ने पुलिस अधीक्षक श्री अभिषेक आनंद को शिकायत दर्ज कराई। सूरज गुप्ता ने बताया कि उन्हें “टाटा जुडियो आउटलेट फ्रेंचाइजी” लेने में रुचि थी। उन्होंने एक वेबसाइट के जरिए संपर्क किया, जिसके बाद कॉल और दस्तावेजों के माध्यम से ठगों ने उनका भरोसा जीता।

आरोपियों ने फ्रेंचाइजी दिलवाने के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाकर सूरज से ₹38,67,710 बैंक खातों में जमा करवाए। जब व्यापारी को ठगी का अहसास हुआ, तो उन्होंने तुरंत पुलिस से संपर्क किया।

पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए साइबर सेल को जांच सौंप दी। शुरुआती जांच में पता चला कि यह एक संगठित गिरोह का काम है, जो फर्जी वेबसाइट और मोबाइल सिम का उपयोग कर ठगी को अंजाम देता था।


जांच की चुनौतियां और सफलता

मंदसौर पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दो टीमें गठित कीं। पहली टीम बिहार के पटना और दूसरी टीम पश्चिम बंगाल के कोलकाता भेजी गई। 13 दिनों तक पुलिस टीम ने गहन छानबीन और तकनीकी साक्ष्य एकत्रित किए।

आरोपियों ने अपनी पहचान छिपाने के लिए फर्जी मोबाइल सिम और बैंक खातों का इस्तेमाल किया था, जो अलग-अलग राज्यों से संचालित थे। इससे जांच में बाधा आई।

कड़ी मेहनत के बाद मुख्य आरोपी जितेंद्र सिंह की पहचान की गई। जितेंद्र हरियाणा का रहने वाला है और वर्तमान में कोलकाता में रह रहा था। कोलकाता एयरपोर्ट से जितेंद्र को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद, पुलिस ने बिहार के नवादा जिले से गिरोह के तीन अन्य सदस्यों – सचिन रंजन, अमितेश और नीतीश कुमार – को भी गिरफ्तार कर लिया।

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टाटा जुडियो आउटलेट फ्रेंचाइजी दिलाने के बहाने ठगी पुलिस ने किया अंतरराज्यीय साइबर ठगी गिरोह का भंडाफोड़

गिरोह का ठगी करने का तरीका

यह गिरोह पूरी योजना के साथ लोगों को ठगता था।

  1. फर्जी वेबसाइट बनाकर फ्रेंचाइजी देने के नाम पर लोगों को संपर्क करते।
  2. कॉल के जरिए खुद को कंपनी का अधिकृत कर्मचारी बताते और भरोसा जीतते।
  3. फर्जी दस्तावेज तैयार कर बैंक खातों में पैसे जमा करवाते।
  4. ठगी के लिए अलग-अलग राज्यों के फर्जी बैंक खाते, मोबाइल सिम और एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते।

आरोपी जितेंद्र सिंह गिरोह का मास्टरमाइंड था, जो कोलकाता में रहकर गिरोह का संचालन करता था। उसने फर्जी वेबसाइटें बनवाने के लिए बिहार और अन्य राज्यों से डोमेन खरीदे थे।


पुलिस द्वारा जब्त संपत्ति और उपकरण

पुलिस ने आरोपियों के पास से बड़ी मात्रा में नकदी और तकनीकी उपकरण जब्त किए हैं।

  • ₹23,31,400 नकद
  • 11 मोबाइल फोन
  • 38 फर्जी सिम कार्ड
  • 30 एटीएम कार्ड
  • 14 बैंक पासबुक

इन सामग्रियों का उपयोग ठगी को अंजाम देने में किया गया था।


गिरफ्तार आरोपियों का विवरण

  1. जितेंद्र सिंह (31) – हिसार, हरियाणा; वर्तमान में कोलकाता निवासी।
  2. सचिन रंजन उर्फ अमित (33) – नवादा, बिहार।
  3. अमितेश कुमार (23) – नवादा, बिहार।
  4. नीतीश कुमार (23) – नवादा, बिहार।

पुलिस टीम की कड़ी मेहनत

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पुलिस अधीक्षक श्री अभिषेक आनंद ने इस सफल ऑपरेशन के लिए पूरी टीम की प्रशंसा की। इस मामले को सुलझाने में पुलिसकर्मियों ने उच्च स्तर की तकनीकी विशेषज्ञता, कार्यकुशलता और साहस का प्रदर्शन किया।

जांच टीम में प्रमुख योगदान देने वाले अधिकारी:

  • निरीक्षक पुष्पेंद्र सिंह राठौर
  • उप निरीक्षक अभिषेक बौरासी
  • साइबर शाखा के प्रमुख आशीष बैरागी
  • पटना और कोलकाता में तैनात पुलिसकर्मी

आम जनता के लिए चेतावनी

यह घटना एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि साइबर अपराधियों के जाल में न फंसे।

  • किसी भी अनजान वेबसाइट से डील करने से पहले पूरी जानकारी जुटाएं।
  • किसी कॉल या संदेश पर तुरंत विश्वास न करें।
  • फ्रेंचाइजी और निवेश के मामलों में सतर्क रहें।
  • किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें।

निष्कर्ष

मंदसौर पुलिस की इस सफलता ने साइबर अपराधियों के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया है। यह घटना दर्शाती है कि साइबर अपराधों के खिलाफ सतर्कता और त्वरित कार्रवाई कितनी महत्वपूर्ण है।

“सावधानी ही सुरक्षा है।”
पुलिस की अपील है कि लोग जागरूक रहें और साइबर अपराधों से बचने के लिए सतर्कता बरतें।

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