Menu

मध्यप्रदेश का शीर्ष स्थान बरकरार, देश में सभी प्रदेशों से अधिक वन क्षेत्र

2 weeks ago 0 4

मध्यप्रदेश में वन्य जीवन और जैव विविधता संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम

मध्यप्रदेश, जो देश में वन और वृक्ष आवरण के मामले में शीर्ष स्थान पर है, अपनी जैव विविधता और वन्य जीवन के संरक्षण में कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कदम उठा रहा है। राज्य का कुल वन और वृक्ष आवरण 85,724 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से 77,073 वर्ग किलोमीटर का वनावरण क्षेत्र है। प्रदेश में कुल 30.72 प्रतिशत वन क्षेत्र है, जो देश के कुल वन क्षेत्र का लगभग 12.30 प्रतिशत है। इन वनों की विशालता और जैव विविधता का संरक्षण न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास
मध्यप्रदेश में बाघों का संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता है, और यह राज्य बाघों के संरक्षण में देशभर में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। राज्य ने हाल ही में रातापानी अभयारण्य को प्रदेश का 8वां टाईगर रिजर्व घोषित किया है। रातापानी अभयारण्य रायसेन और सीहोर जिलों में स्थित है, और यह बाघों का प्राकृतिक आवास रहा है। रातापानी का कुल क्षेत्रफल 1272 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से 763 वर्ग किलोमीटर को कोर क्षेत्र के रूप में घोषित किया गया है। कोर क्षेत्र वह स्थान है जहाँ बाघ बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकते हैं। शेष 507 वर्ग किलोमीटर को बफर क्षेत्र के रूप में रखा गया है, जहाँ स्थानीय लोग अपनी आजीविका से जुड़ी गतिविधियाँ कर सकते हैं। इस कदम से न केवल बाघों का संरक्षण होगा, बल्कि इससे क्षेत्रीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।

बाघों और अन्य वन्य जीवों की प्रजनन दर में वृद्धि
मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए कई उत्कृष्ट प्रयास किए जा रहे हैं, जिनका परिणाम दिखने लगा है। पेंच टाईगर रिजर्व की प्रसिद्ध ‘कॉलर वाली बाघिन’ को विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए ‘सुपर-मॉम’ के नाम से भी जाना जाता है। इस बाघिन ने 8 प्रसवों में कुल 29 शावकों को जन्म दिया। इसके अलावा, प्रदेश के सतपुड़ा टाईगर रिजर्व को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की संभावित सूची में शामिल किया गया है, जो इसके जैव विविधता के अनुकूल पर्यावरण को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री की पहल से अफ्रीकी चीतों की पुनर्स्थापना
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की विशेष पहल पर, मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में अफ्रीकी चीतों की पुनर्स्थापना की गई है। यह पहल ऐतिहासिक है, क्योंकि चीतों की भारतीय उपमहाद्वीप में पुनः वापसी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है। अब चीतों का कुनबा बढ़ने लगा है, और यह जैव विविधता में एक नई दिशा लेकर आया है। इस परियोजना के सफलतापूर्वक चलने से मध्यप्रदेश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।

you can also read—- https://yashasviduniya.com/sogariya-station/

a

वन्य जीव संरक्षण के लिए वन्य जीव कॉरिडोर का निर्माण
मध्यप्रदेश में बाघों और तेंदुओं के बीच संघर्ष को कम करने के लिए वन्य जीव कॉरिडोर बनाए गए हैं। ये कॉरिडोर वन्य जीवों को उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित विचरण करने का अवसर प्रदान करते हैं। इसके साथ ही, राज्य सरकार ने 14 रीजनल रेस्क्यू स्क्वॉड और एक राज्य स्तरीय रेस्क्यू स्क्वॉड का गठन किया है, जो वन्य जीवों के मानव-वन्य जीव संघर्षों के दौरान उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए काम करते हैं। यह कदम वन्य जीवों के संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय समुदायों के लिए भी सहायक साबित हो रहा है।

जैव विविधता के संरक्षण में मध्यप्रदेश का योगदान
मध्यप्रदेश में न केवल बाघों का संरक्षण किया जा रहा है, बल्कि अन्य दुर्लभ वन्य प्रजातियाँ जैसे तेंदुए, घड़ियाल, गिद्ध और भालू भी सुरक्षित किए जा रहे हैं। प्रदेश के चंबल नदी में डॉल्फिन जैसी दुर्लभ मछली भी संरक्षित की जा रही है। मध्यप्रदेश का जैव विविधता में योगदान देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में महत्वपूर्ण है। प्रदेश में सफेद बाघों के संरक्षण के लिए मुकुंदपुर में महाराजा मार्तण्ड सिंह जू देव व्हाइट टाईगर सफारी की स्थापना की गई है, जिसे विश्वस्तरीय बनाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं।

हाथियों के प्रबंधन के लिए एलीफेंट-टॉस्कफोर्स का गठन
हाथियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, मध्यप्रदेश ने एक एलीफेंट-टॉस्कफोर्स का गठन किया है। इस टॉस्कफोर्स का उद्देश्य हाथियों के प्रबंधन और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। हाथी प्रबंधन योजना में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जिससे स्थानीय समुदायों की भागीदारी को भी सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके तहत, हाथी विचरण क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।

वन्य जीवन के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भूमिका
मध्यप्रदेश में वन्य जीवन के संरक्षण के लिए स्थानीय समुदायों को भी शामिल किया जा रहा है। राज्य सरकार ने स्थानीय निवासियों को वन्य जीवन से जुड़ी गतिविधियों में भागीदार बनाया है, जिससे न केवल वन्य जीवन का संरक्षण हो रहा है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है।

मध्यप्रदेश के ये प्रयास न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश और दुनिया के लिए एक मिसाल बने हुए हैं। इन कदमों से न केवल वन्य जीवन का संरक्षण हो रहा है, बल्कि यह प्रदेश की जैव विविधता को समृद्ध करने में भी सहायक साबित हो रहा है।

source https://www.mpinfo.org/Home/TodaysNews

Leave a Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *