शीतकालीन संक्रांति क्या है?
शीतकालीन संक्रांति वह दिन है जब सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच दिन का समय सबसे छोटा होता है, और रात सबसे लंबी होती है। इस दिन सूर्य सीधा मकर रेखा के ऊपर होता है। पृथ्वी विज्ञान के अनुसार, यह खगोलीय घटना पृथ्वी और सूर्य के बीच एक अद्वितीय संबंध को दर्शाती है।
शीतकालीन संक्रांति का महत्व
शीतकालीन संक्रांति केवल एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और मानव जीवन के बीच संतुलन का प्रतीक है। प्राचीन काल से यह दिन उत्सव और आत्मचिंतन का अवसर रहा है। दुनिया भर में इसे प्रकृति के चक्र और रोशनी-अंधकार के संतुलन को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।
2024 में शीतकालीन संक्रांति कब है?
2024 में शीतकालीन संक्रांति शनिवार, 21 दिसंबर को पड़ेगी। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में दिन सबसे छोटा और रात सबसे लंबी होगी। यह घटना पृथ्वी के 23.5-डिग्री झुकाव के कारण होती है। इस दिन उत्तरी ध्रुव सूर्य से सबसे दूर होता है, जबकि दक्षिणी ध्रुव पर सबसे लंबा दिन होता है।
शीतकालीन संक्रांति का समय
भारत में शीतकालीन संक्रांति का सटीक समय 2:49 PM IST पर होगा। इस दिन सूर्योदय 7:10 AM IST और सूर्यास्त 5:29 PM IST पर होगा।
लदन में यह समय 9:49 AM GMT है।
न्यूयॉर्क में यह घटना 4:49 AM EST पर होगी।
शीतकालीन संक्रांति का खगोलीय महत्व
यह दिन हमारे ग्रह की अनोखी विशेषता को दर्शाता है, जहां पृथ्वी का झुकाव और उसकी सूर्य की परिक्रमा दिन-रात की लंबाई को प्रभावित करता है। यह घटना सर्दियों के मौसम की शुरुआत को चिह्नित करती है और नए बदलाव के लिए प्रेरणा का प्रतीक है।
शीतकालीन संक्रांति का संदेश
यह दिन हमें प्रकृति के चक्रों के साथ सामंजस्य बैठाने और जीवन के अंधकार और प्रकाश दोनों पहलुओं को स्वीकार करने की प्रेरणा देता है। चाहे प्राचीन संस्कृतियों के धार्मिक अनुष्ठान हों या आधुनिक जीवन की शांत चिंतन परंपराएँ, शीतकालीन संक्रांति हर पीढ़ी को जोड़ने का अवसर प्रदान करती है।