यदि आप ने कभी #कचौरी का नाम नही सुना, कभी खाई नही तो मैं बेहिचक मान लूंगा कि आप एलियन हैं।
कोई इस पृथ्वी पर जन्में और बिना कचौरी खाये मर जाये ये तो हो ही नही सकता।
मैदा से निर्मीत सुनहरी तली हुई कवर के साथ भरे मसालेदार दुष्ट दाल का दल है ये। जो सदियों से नशे की तरह दिल दिमाग पर हावी बनी हुई है।
हमारा राष्ट्रीय भोजन है ये। सुबह नाश्ते मे कचौरी हों, दोपहर मे भूख लगने पर मिल जाये ये या शाम को चाय के साथ ही इन के दर्शन हो जायें, किसी की मजाल नही जो इन्हे ना कह दे।
कचौरी का भूख से कोई लेना देना नही होता। पेट भरा है, ये नियम कचौरी पर लागू नही होता। कचौरी सामने हों तो दिमाग काम करना बंद कर देता है।
दिल मर मिटता है कचौरी पर। ये बेबस कर देती हैं आपको। कचौरी को कोई बंदा ना कह दे ऐसे किसी शख्स से मै अब तक मिला नही हूँ।
कचौरी मे बडी एकता होती है। इन में से कोई अकेली आप के पेट मे जाने को तैयार नही होती।
आप पहली कचौरी खाते हैं तो आँखे दूसरी कचौरी को तकने लगती है, तीसरी आपके दिमाग पर कब्जा कर लेती है और दिल की सवारी कर रही चौथी कचौरी की बात आप टाल नही पाते।
कचौरी को देखते ही आपकी समझदारी घास चरने चली जाती हैं। आप अपने डॉक्टर की सारी सलाह, अपने कोलेस्ट्राल की खतरनाक रिपोर्ट भूल जाते हैं। पूरी दुनिया पीछे छूट जाती है आपके और आप कचौरी के पीछे होते हैं।
कचौरी को गरम गरम बनते देखना तो और भी खतरनाक है। आप कहीं भी कितने जरूरी काम से जा रहे हो, सडक किनारे किसी दुकान की कढाई मे गरम गरम तेल मे छनछनाती, झूमती सुनहरी कचौरी आप के पाँव रोक ही लेंगी। ये जादूगर होती हैं। आप को सम्मोहित कर लेती हैं ये। आप दुनिया जहान को भूल जाते हैं।
आप खुद-ब-खुद खिंचे चले आते है कचौरी की दुकान की तरफ, और तब तक खडे रहते है जब तक दुकानदार दया कर के आप को कचौरी की प्लेट ना थमा दें।
किसी मशहूर कचौरी दुकान को ध्यान से देखिये, यहाँ जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्रियता, अमीरी, गरीबी का कोई भेद नही होता। कचौरी से प्यार करने वाले एक साथ धीरज से अपनी बारी का इंतजार करते हैं।
जिन बातो ने हमारे देश की एकता अखंडता बनाये रखने मे मदद की है उनमें कचौरी को बाइज्जत शामिल किया ही जाना चाहिये।
कचौरी, पीज्जा, बर्गर की दादी हैं। आदमी का पेट खराब करना पीज्जा, बर्गर ने कचौरी से ही सीखा है, पर जीभ के आगे पेट की सुनता कौन है।
चलो अब यह बताओ सबसे स्वादिष्ट ओर फ़ेमस कचौरी कहा कि है..?