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October 10, 2025 3:50 pm

“धर्म रहेगा तो हम रहेंगे” – त्रैमासिक सत्संग में संत श्री दिव्येश रामजी राम महाराजका ओजस्वी प्रवचन, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कथा से किया भाव जागरण

शामगढ़, 21 जुलाई 2025 — शामगढ़ के पोरवाल मांगलिक भवन में चल रहे चातुर्मासिक त्रैमासिक सत्संग प्रवचन के अंतर्गत सोमवार को संत श्री द्वारा श्रद्धालुजनों के समक्ष भगवान भोलेनाथ के भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की दिव्य कथा का वर्णन किया गया। साथ ही उन्होंने धर्म रक्षा और सनातन संस्कृति पर हो रहे ऐतिहासिक और वर्तमान समय के आघातों पर भी गहन प्रकाश डाला।

भोलेनाथ: सरल, सहज और सच्चे भक्तों के दाता

संत श्री ने कहा कि भगवान शिव सबसे सरल और शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। उन्होंने अब तक पांच ज्योतिर्लिंगों की कथाएं सुना दी हैं और सोमवार को छठे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि किस तरह एक राक्षस भीम, जो कुंभकरण का पुत्र था, भगवान शिव की शक्ति से नष्ट हुआ और उस स्थान पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई।

“ईश्वर हमेशा साथ रहते हैं, बस हमें महसूस नहीं होता” – दृष्टांत से भाव-विभोर हुए श्रद्धालु

संत श्री ने एक जीव और भगवान के संबंध पर आधारित मार्मिक दृष्टांत सुनाया, जिसमें एक भक्त सोचता है कि जब वो मुसीबत में था, तो भगवान उसके साथ नहीं थे। अंत में भगवान प्रकट होकर कहते हैं – “जब तू लाचार था, तब मैंने तुझे अपनी गोद में उठा रखा था, वह पैर के निशान मेरे थे।” यह प्रसंग सुनकर सैकड़ों श्रद्धालुओं की आंखें भर आईं।

धर्म की रक्षा, तभी होगा अस्तित्व का विकास

संत श्री ने अपने प्रवचन में कहा –

“धर्म रहेगा तो हम रहेंगे, धर्म न रहा तो जीवन केवल एक बोझ बन जाएगा।”
उन्होंने धर्म को जीवन का आधार बताते हुए अनेक उदाहरण दिए। उन्होंने एक सेठ का उदाहरण दिया, जिसने सब कुछ खो दिया लेकिन धर्म को नहीं छोड़ा। अंततः वही धर्म उसके जीवन में सब कुछ पुनः लौटा लाया।

हिंदू संस्कृति पर ऐतिहासिक हमलों की चर्चा

संत श्री ने गंभीर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि हिंदू संस्कृति, ग्रंथ, शिक्षा प्रणाली और गुरुकुल सदियों से विदेशी आक्रांताओं के निशाने पर रहे हैं। उन्होंने कहा कि –

  • मुगलों ने मंदिर नष्ट किए,
  • अंग्रेजों ने गुरुकुलों को समाप्त कर मैकाले शिक्षा पद्धति थोपी,
  • और स्वतंत्र भारत में इतिहास से हमारे ऋषि-मुनियों, संतों, और योद्धाओं को हटा दिया गया।

उन्होंने कहा कि “आज भारत में हिंदू होकर अपने धर्म का पालन करना ही चुनौती बन गया है।”

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कथा का सार

भीम नामक राक्षस (कुंभकरण का पुत्र) ने ब्रह्मा से वरदान प्राप्त कर सभी ऋषियों-मुनियों पर अत्याचार करना शुरू किया। भगवान शिव ने उस राक्षस का संहार किया और भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां प्रकट हुए। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से भक्त भवसागर पार कर सकता है।

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