इंदौर। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर इन दिनों एक बड़े भूमि विवाद को लेकर सुर्खियों में है। यह विवाद है होप टेक्सटाइल मिल की 22 एकड़ बेशकीमती जमीन का, जिस पर प्रशासन ने हाल ही में लीज निरस्त करते हुए कब्जा कर लिया। इस जमीन की कीमत आज के हिसाब से लगभग एक हजार करोड़ रुपए आँकी जा रही है।
अब सवाल यह है कि इस जमीन का भविष्य क्या होगा? प्रशासन ने साफ कर दिया है कि इस जमीन का उपयोग केवल जनहित के लिए किया जाएगा। नगर निगम ने इस पर कब्जा लेने के लिए आवेदन कर दिया है और प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।


प्रशासन की बड़ी कार्रवाई : 86 साल पुरानी लीज निरस्त
यह मामला साल 1939 का है, जब महाराजा होलकर ने सिक्का ऑर्डर के जरिए यह जमीन 99 साल की लीज पर होप टेक्सटाइल मिल चलाने के लिए दी थी। लेकिन मिल संचालकों ने समय के साथ न केवल लीज की शर्तों का उल्लंघन किया बल्कि जमीन का गलत उपयोग भी शुरू कर दिया।
एसडीएम जूनी इंदौर प्रदीप सोनी की जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर आशीष सिंह ने एक विस्तृत 16 पेज का आदेश जारी किया। आदेश में साफ कहा गया कि लीज की शर्तों का पालन नहीं किया गया है, इसलिए लीज तत्काल प्रभाव से निरस्त की जाती है। इसके बाद प्रशासनिक टीम ने मौके पर जाकर जमीन पर कब्जा ले लिया और बोर्ड लगवा दिया कि यह जमीन अब शासन की है।

निगम को मिलेगा 8 एकड़ से ज्यादा हिस्सा
इंदौर नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने इस जमीन को नगर निगम को आबंटित करने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है। आवेदन के अनुसार –
- 8 एकड़ से अधिक जमीन पार्किंग और प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY 2.0) के तहत मकानों के लिए आवंटित की जाएगी।
- मौजूदा समय में 4.93 एकड़ जमीन जिला न्यायालय के लिए अस्थायी पार्किंग हेतु दी गई है, जिसे कलेक्टर ने यथावत रखा है।
इस प्रक्रिया के लिए तहसीलदार जूनी इंदौर ने 16 सितम्बर तक दावे-आपत्तियां आमंत्रित किए हैं। इसके बाद जमीन का आवंटन नगर निगम को कर दिया जाएगा।
करोड़ों की जमीन पर कब्जे की बड़ी मुहिम
हाल ही में प्रशासन ने इंदौर में बेशकीमती जमीनों को मुक्त कराने की मुहिम तेज की है।
- महालक्ष्मी नगर मेन रोड पर खेड़ापति हनुमान मंदिर की लगभग 3 एकड़ जमीन कब्जे से मुक्त कराई गई।
- इसके बाद होप टेक्सटाइल और पोद्दार प्लाजा के नाम से जानी जाने वाली जमीन पर भी कार्रवाई हुई।
कलेक्टर आशीष सिंह के नेतृत्व में चल रही इस कार्रवाई को इंदौर की अब तक की सबसे बड़ी एंटी-एन्क्रोचमेंट मुहिम माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला
कलेक्टर के आदेश में साफ तौर पर सुप्रीम कोर्ट के कई अहम निर्णयों का हवाला दिया गया है। आदेश में कहा गया कि लीज पर दी गई जमीन का उपयोग केवल मिल संचालन के लिए होना था। लेकिन जमीन का दुरुपयोग हुआ और लीज शर्तों का पालन नहीं हुआ। ऐसे में प्रशासन का कदम न केवल न्यायसंगत है बल्कि जनहित में भी है।
अदालती चुनौती की तैयारी
हालांकि, यह मामला यहीं खत्म नहीं होता।
सूत्रों के अनुसार, इस जमीन पर वर्षों से बम परिवार का कब्जा रहा है और न्यू सियागंज के निर्माण में भी इसका हिस्सा रहा है। अब खबरें हैं कि बम परिवार प्रशासन के इस आदेश को अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।
यदि मामला अदालत में जाता है तो यह विवाद और लंबा खिंच सकता है। लेकिन प्रशासन अपनी ओर से पूरी तरह तैयार है और उसका दावा है कि जनहित में लिया गया यह फैसला मजबूत कानूनी आधार पर है।
जनहित में नए अवसर
इंदौर जैसे तेजी से बढ़ते शहर में पार्किंग और सस्ते आवास दो सबसे बड़ी ज़रूरतें हैं।
- पार्किंग की समस्या एमजी रोड और कोर्ट क्षेत्र में लंबे समय से बनी हुई है। यदि इस जमीन का एक हिस्सा पार्किंग के लिए इस्तेमाल होता है तो लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
- वहीं, प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 के तहत गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को किफायती घर मिल सकेंगे।
इस तरह, यह कदम न केवल शहर के विकास में सहायक होगा बल्कि हजारों परिवारों के लिए नई उम्मीद भी लेकर आएगा।
राजनीतिक और सामाजिक महत्व
इस पूरे मामले का राजनीतिक और सामाजिक असर भी गहरा है।
- प्रशासन द्वारा इतनी बड़ी कार्रवाई करना अपने आप में संदेश है कि सरकारी जमीन पर कोई भी अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं होगा।
- दूसरी तरफ, विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार से सवाल कर सकता है कि दशकों तक इस जमीन का गलत उपयोग क्यों होने दिया गया।
- शहर के आम नागरिक इस कदम का स्वागत कर रहे हैं, क्योंकि इसका सीधा फायदा जनता को मिलना तय है।
भविष्य की तस्वीर
यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो आने वाले समय में –
- एमजी रोड और कोर्ट क्षेत्र में आधुनिक पार्किंग सुविधा विकसित होगी।
- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को सस्ते मकान मिलेंगे।
- शहर को अवैध कब्जों से मुक्त कर प्रशासन अपनी सख्त छवि को और मजबूत करेगा।
निष्कर्ष
होप टेक्सटाइल जमीन विवाद इंदौर केवल एक भूमि विवाद नहीं, बल्कि यह एक ऐसा फैसला है जो शहर के भविष्य को बदल सकता है। प्रशासन ने 86 साल पुरानी लीज निरस्त कर जमीन को जनहित में लेने का जो निर्णय लिया है, वह ऐतिहासिक है। हालांकि अदालत में चुनौती मिलने की संभावना बनी हुई है, लेकिन यदि सब कुछ प्रशासन की योजना के मुताबिक हुआ तो इंदौर को पार्किंग और आवास जैसी बड़ी सौगातें मिलने वाली हैं।
यह मामला इंदौर के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है और आने वाले वर्षों में शहर की रफ्तार को और तेज कर सकता है।
