
रतलाम, 07 सितम्बर।(KAILASAH VISHWAKARMA)
रतलाम मंडल ऑटोमैटिक सिग्नलिंग के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। पश्चिम रेलवे के रतलाम ‘ई’ – नागदा खंड में लगभग 38 किलोमीटर लंबे खंड में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली का सफलतापूर्वक कमीशन किया गया है। यह उपलब्धि न केवल मंडल के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पूरे पश्चिम रेलवे के लिए तकनीकी प्रगति का बड़ा कदम भी है।

28 किलोमीटर से बढ़कर 66 किलोमीटर तक ऑटोमैटिक सिग्नलिंग कवरेज

छह घंटे में छह स्टेशन पर ऐतिहासिक कमीशनिंग
इस उपलब्धि का सबसे खास पहलू यह रहा कि रतलाम मंडल ऑटोमैटिक सिग्नलिंग का यह कार्य केवल 6 घंटे की रिकॉर्ड समयावधि में पूरा किया गया। रतलाम ‘ई’, बांगरोद, रूनखेड़ा, खाचरोद, बेड़ावन्या और नागदा — इन छह स्टेशनों पर एक साथ यह सिस्टम लागू किया गया। यह कार्य मंडल रेल प्रबंधक श्री अश्वनी कुमार के दूरदर्शी नेतृत्व तथा वरिष्ठ मंडल संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर (समन्वय) श्री आर.एस. मीना एवं मंडल संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर (स्पेशल वर्क्स) दिव्या पारिक के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
अत्याधुनिक तकनीक का समावेश
रतलाम मंडल ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम में ट्रेनों की सुरक्षा और दक्षता बढ़ाने के लिए कई आधुनिक तकनीकों को शामिल किया गया है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग विजुअल डिस्प्ले यूनिट और ऑटो सेक्शन इंडिकेशन विजुअल डिस्प्ले यूनिट जैसी अत्याधुनिक व्यवस्थाएं हैं। इसके साथ ही विश्वसनीय एक्सल काउंटिंग और ट्रेन डिटेक्शन के लिए सीमेंस कंपनी द्वारा निर्मित मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर का प्रयोग किया गया है।
सिस्टम की मजबूती बढ़ाने के लिए 100% रेडंडेंसी वाली आईपीएस आधारित पावर सप्लाई प्रणाली लागू की गई है। इसमें पावर, मीडिया और सेंसर सभी के लिए बैकअप उपलब्ध है, जिससे किसी भी आपात स्थिति में संचालन प्रभावित न हो।

सुरक्षा और क्षमता दोनों में बढ़ोतरी
रतलाम मंडल ऑटोमैटिक सिग्नलिंग के लागू होने से ट्रेन संचालन में कई बड़े फायदे होंगे।
- सबसे पहले, ट्रेन संचालन की सुरक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
- यह प्रणाली अधिक ट्रेनों के संचालन की अनुमति देती है और कम समय में ज्यादा गाड़ियों का परिचालन संभव बनाती है।
- मानवीय हस्तक्षेप कम होने से त्रुटियों की संभावना घटेगी और संचालन अधिक सटीक होगा।
- डेटा लॉगिंग और रीयल-टाइम मॉनिटरिंग से पूरे नेटवर्क पर निगरानी मजबूत होगी।
- ऊर्जा की खपत कम होगी और रेलवे आधुनिक तकनीक के साथ भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहेगा।
- यात्रियों को होगा सीधा लाभ
रतलाम मंडल ऑटोमैटिक सिग्नलिंग का सबसे बड़ा फायदा यात्रियों को मिलेगा। ट्रेनों के समय पर संचालन से यात्रा अधिक सुविधाजनक होगी। देरी की संभावना कम होगी और ज्यादा ट्रेनें चलने से यात्रियों को टिकट और यात्रा विकल्पों की बेहतर सुविधा मिल सकेगी।

भविष्य की उच्च गति वाली ट्रेनों के लिए तैयारी
यह प्रणाली न केवल वर्तमान जरूरतों को पूरा करती है बल्कि भविष्य की उच्च गति वाली ट्रेनों और अधिक आवृत्ति वाली सेवाओं के लिए भी उपयुक्त है। रेलवे नेटवर्क के आधुनिकीकरण की दिशा में यह कदम भारत को वैश्विक मानकों के करीब ले जाता है।
ऐतिहासिक टीमवर्क और समर्पण का नतीजा
रतलाम मंडल ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रोजेक्ट की सफलता टीमवर्क का नतीजा है। इस उपलब्धि में संकेत एवं दूरसंचार विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मेहनत, गहन योजना और विभागों के बीच उत्कृष्ट समन्वय शामिल है। इस वजह से यह कार्य रिकॉर्ड समय में और बिना किसी बाधा के पूरा हो पाया।
तकनीक और विकास की नई राह
रतलाम मंडल ऑटोमैटिक सिग्नलिंग का कमीशनिंग इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि भारतीय रेलवे तकनीकी दृष्टि से कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह सिस्टम रेलवे संचालन को सुरक्षित, तीव्र, सटीक और भविष्य उन्मुख बनाता है। आने वाले समय में जैसे-जैसे अधिक खंड इस प्रणाली से जुड़ेंगे, भारतीय रेलवे का चेहरा पूरी तरह बदल जाएगा।
निष्कर्ष
रतलाम मंडल ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है बल्कि यह यात्रियों की सुरक्षा, समयबद्धता और सुविधा के लिए भी एक बड़ा कदम है। यह ऐतिहासिक सफलता न केवल रेलवे के आधुनिकरण की दिशा में मील का पत्थर है बल्कि भारत को भविष्य की उच्च गति वाली रेल सेवाओं के लिए भी तैयार करती है।
