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October 10, 2025 3:41 pm

हतुनिया की गोशाला बनी इंतजार की बस्ती, न बिजली न पानी — गोमाता दर-दर भटकने को मजबूर

शामगढ़ (कैलाश विश्वकर्मा)
गरोठ जनपद की ग्राम पंचायत हतुनिया में लाखों रुपये की लागत से तैयार की गई गौशाला आज भी गायों के बिना सूनी पड़ी है। गौ माता के लिए तैयार इस आवासीय परिसर में ना तो बिजली की व्यवस्था है, ना ही पीने के पानी की। परिणामस्वरूप बरसात के इस भीगते मौसम में भी गौ माता खुले आसमान के नीचे भटकने को मजबूर हैं।

हतुनिया की गोशाला
हतुनिया की गोशाला
भटकने को मजबूर गौ माता

✅ गौशाला तैयार, सुविधाएँ अधूरी

स्थानीय ग्रामीणों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हतुनिया में पंचायत द्वारा गौशाला का निर्माण पूरा कर लिया गया है। परिसर में गायों के लिए हरा चारा भी डाला गया है और बाड़े भी पूरी तरह से तैयार हैं। लेकिन सुविधाओं की कमी के चलते अब तक एक भी गाय इस गौशाला में नहीं लाई गई है।

हतुनिया की गोशाला
गौशाला में पड़ा हुआ ग्रामीणों द्वारा इकट्ठा किया गया सुखला

बिजली और पानी बना बाधा

इस विषय में जब यशस्वी दुनिया की टीम ने ग्राम पंचायत हतुनिया के सरपंच किशोर पाटीदार से बात की तो उन्होंने बताया:

“ग्राम पंचायत ने अपनी ओर से प्रयास करते हुए डीपी (Distribution Point) मंगवा ली है, और विद्युत विभाग को इसे लगाने हेतु आवेदन भी दिया गया है। लेकिन अभी तक विभाग द्वारा वर्क ऑर्डर जारी नहीं किया गया, जिसके कारण डीपी नहीं लग पाई और गौशाला में बिजली नहीं पहुँच पाई है।”

उन्होंने आगे बताया कि पानी के लिए भी मोटर लगाई गई है, और पास के कुंए से अस्थायी रूप से पीने के पानी की व्यवस्था की जा रही है। जैसे ही बिजली और पानी की सुविधा पूरी तरह बहाल होगी, गायों को शिफ्ट किया जाएगा।

हतुनिया की गोशाला
पंचायत द्वारा मंगवाई गई डीपी

सड़कों पर खुले में घूम रही गायें दुर्घटनाओं की शिकार हो रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि गौशाला का पूरा उपयोग नहीं हुआ तो इसका उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।

📝 जिम्मेदार कौन?

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि जब पंचायत ने अपनी ओर से डीपी खरीद कर तैयार कर ली है, तो विद्युत विभाग द्वारा वर्क ऑर्डर जारी करने में इतनी देरी क्यों हो रही है? क्या यह लापरवाही नहीं, बल्कि प्रशासनिक असंवेदनशीलता नहीं कही जाएगी?

📣 ग्रामीणों की माँग

विद्युत विभाग तत्काल डीपी लगाने का कार्य पूर्ण कर
पीने के पानी की स्थायी व्यवस्था की जाए।
ग्राम की सभी बेसहारा गायों को जल्द से जल्द गौशाला में लाया जाए।
नियमित देखरेख के लिए गौसेवक की नियुक्ति की जाए।

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