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October 10, 2025 1:46 pm

हरियाली तीज 2025: कब है, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व

हरियाली तीज हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो मुख्य रूप से उत्तर भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है और महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं, जबकि कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने की कामना से पूजा करती हैं। हरियाली तीज 2025 में 27 जुलाई को मनाई जाएगी लेकिन इस लेख में हम इसके शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। यह त्योहार प्रकृति की हरियाली से जुड़ा है, जहां महिलाएं झूले झूलती हैं, मेहंदी लगाती हैं और पारंपरिक गीत गाती हैं। अगर आप हरियाली तीज 2025 के बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा।

हरियाली तीज 2025: कब है, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व

हरियाली तीज क्या है और क्यों मनाई जाती है?

हरियाली तीज, जिसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है, सावन माह की हरियाली और वर्षा से जुड़ा एक पर्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसलिए, यह त्योहार शिव-पार्वती के मिलन का प्रतीक है। महिलाएं इस व्रत को रखकर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। यह पर्व मुख्य रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में मनाया जाता है। महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं और सावन के झूलों पर झूलती हैं। यह त्योहार प्रकृति की सुंदरता और वैवाहिक सुख को दर्शाता है। हरियाली तीज का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह महिलाओं को अपनी सांस्कृतिक परंपराओं से जोड़ता है और परिवार में खुशहाली लाता है।

हरियाली तीज 2025 की तिथि और समय

हरियाली तीज हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह तिथि 26 जुलाई को रात 10:41 बजे शुरू होकर और 27 जुलाई को रात 10:41 बजे समाप्त होगी । उदया तिथि के आधार पर हरियाली तीज 2025 का पर्व 27 जुलाई, रविवार को मनाया गया। इस दिन सूर्योदय का समय सुबह करीब 5:40 बजे था, और महिलाओं ने सुबह उठकर व्रत का संकल्प लिया। पंचांग के अनुसार, यह तिथि नागपंचमी से दो दिन पहले आती है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है। अगर आप हरियाली तीज कब है 2025 की खोज कर रहे हैं, तो याद रखें कि यह हमेशा सावन की तृतीया पर पड़ती है।

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त

हरियाली तीज 2025 का शुभ मुहूर्त पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पंचांग के अनुसार, अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से 12:55 बजे तक रहा। प्रदोष काल में पूजा का समय शाम 7:15 बजे से 8:33 बजे तक था, जो सबसे उत्तम माना जाता है। रवि योग शाम 4:23 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 5:40 बजे तक रहा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:17 बजे से 4:58 बजे तक था, जिसमें व्रत का संकल्प लिया जा सकता है। महिलाओं को शाम की पूजा प्रदोष काल में करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इस समय पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है। हरियाली तीज मुहूर्त 2025 के अनुसार, इन समयों में पूजा करने से शिव-पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

## हरियाली तीज पूजा सामग्री सूची

हरियाली तीज की पूजा अधूरी रह जाती है अगर सामग्री पूरी न हो। यहां हरियाली तीज पूजा सामग्री की पूरी सूची दी गई है: – शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र – पीला वस्त्र और नए वस्त्र – बेलपत्र, धतूरा, शमी के पत्ते – कच्चा सूत, केले के पत्ते, आक का फूल – जटा वाला नारियल, कलश, पूजा की चौकी – सुपारी, अक्षत, दूर्वा घास, घी, कपूर – धूप, श्रीफल, जनेऊ, चंदन – गाय का दूध, गंगाजल, पंचामृत – पांच प्रकार के फल, मिठाई – माता पार्वती के लिए सोलह श्रृंगार की सामग्री (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी, कुमकुम, काजल, कंघी, चुनरी, बिछिया, दर्पण, इत्र आदि) ये सामग्री पूजा को पूर्ण बनाती हैं और दान करने से पुण्य मिलता है। हरियाली तीज पूजा सामग्री 2025 में इन चीजों को पहले से तैयार रखें।

हरियाली तीज पूजा विधि

हरियाली तीज की पूजा विधि सरल लेकिन विधिपूर्वक की जाती है। सुबह उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन उपवास रखें। शाम को 16 श्रृंगार करें और हरे रंग के वस्त्र पहनें। घर के ईशान कोण में चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। सबसे पहले गणेशजी का ध्यान करें। फिर शिवजी का गंगाजल से अभिषेक करें और माता पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित करें। पुष्प, फल, मिष्ठान चढ़ाएं। व्रत कथा पढ़ें या सुनें, आरती करें और प्रसाद बांटें। पूजा के बाद बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें। अगर पहली बार व्रत रख रही हैं, तो इन विधियों का पालन जरूर करें। हरियाली तीज पूजा विधि 2025 में राशि अनुसार विशेष उपाय भी अपनाएं, जैसे मेष राशि वाले पंचामृत चढ़ाएं।

हरियाली तीज व्रत कथा

हरियाली तीज व्रत कथा भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को सुनाई गई थी। कथा इस प्रकार है: भगवान शिव ने पार्वतीजी को उनके पूर्व जन्म के बारे में याद दिलाने के लिए यह सुनाई थी। शिवजी कहते हैं- हे पार्वती! बहुत समय पहले तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किए थे। किसी भी मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया। तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुखी थे। ऐसी स्थिति में नारदजी तुम्हारे घर पधारे। जब तुम्हारे पिता ने नारदजी से उनके आगमन का कारण पूछा, तो नारदजी बोले- ‘हे गिरिराज! मैं भगवान् विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं। आपकी कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर वह उससे विवाह करना चाहते हैं। इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूं।’ नारदजी की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्नता के साथ बोले- हे नारदजी। यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं, तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती। मैं इस विवाह के लिए तैयार हूं।’ फिर शिवजी पार्वतीजी से कहते हैं- ‘तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारदजी, विष्णुजी के पास गए और यह शुभ समाचार सुनाया। लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ। तुम मुझे यानि कैलाशपति शिव को मन से अपना पति मान चुकी थी। तुमने अपने व्याकुल मन की बात अपनी सहेली को बताई। तुम्हारी सहेली से सुझाव दिया कि वह तुम्हें एक घनघोर वन में ले जाकर छुपा देगी और वहां रहकर तुम शिवजी को प्राप्त करने की साधना करना। इसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुखी हुए। वह सोचने लगे कि यदि विष्णुजी बारात लेकर आ गए और तुम घर पर ना मिली तो क्या होगा। उन्होंने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक करवा दिए लेकिन तुम ना मिली। तुम वन में एक गुफा के भीतर मेरी आराधना में लीन थी। भाद्रपद तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना की जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की। इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा कि ‘पिताजी, मैंने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिताया है और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी कर लिया है। अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे।’ पर्वतराज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर ली और तुम्हें घर वापस ले गए। कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि-विधान से हमारा विवाह किया।’ भगवान शिव ने इसके बाद कहा कि- ‘हे पार्वती! तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका। इस व्रत का महत्व यह है कि मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मनवांछित फल देता हूं। भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा। यह कथा सुनने से व्रत का फल प्राप्त होता है।

हरियाली तीज का महत्व और मान्यताएं

हरियाली तीज का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों रूपों में है। यह व्रत अखंड सौभाग्य का प्रतीक है और महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन प्रदान करता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से पति की आयु बढ़ती है और घर में समृद्धि आती है। कुंवारी लड़कियां शिव जैसा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं। यह त्योहार वर्षा ऋतु की हरियाली से जुड़ा है, इसलिए इसे हरियाली तीज कहते हैं। महिलाएं इस दिन काले, सफेद या भूरे रंग के कपड़े नहीं पहनतीं।

हरियाली तीज पर क्या करें और क्या न करें – क्या करें

सुबह उठकर संकल्प लें, पूजा सामग्री तैयार रखें, शाम को प्रदोष काल में पूजा करें, कथा सुनें, दान दें। – क्या न करें काले रंग के कपड़े न पहनें, नमक वाला भोजन न करें, झूठ न बोलें, क्रोध न करें।

हरियाली तीज के उपाय और दान

हरियाली तीज पर दान का विशेष महत्व है। सुहाग की सामग्री जैसे चूड़ी, बिंदी आदि सुहागिन महिला को दान करें। अन्न और धन दान से पुण्य मिलता है। राशि अनुसार उपाय अपनाएं, जैसे सिंह राशि वाले रुद्राष्टक पढ़ें। इन उपायों से जीवन में सुख-शांति आती है। निष्कर्ष में, हरियाली तीज 2025 एक ऐसा पर्व जो महिलाओं को अपनी परंपराओं से जोड़ता है। यदि आप हरियाली तीज मुहूर्त, पूजा विधि या व्रत कथा की तलाश में हैं, तो यह लेख पूरी जानकारी प्रदान करता है। इस त्योहार को श्रद्धा से मनाएं और शिव-पार्वती की कृपा प्राप्त करें।

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