हरदा से उठी लाठीचार्ज की चिंगारी, प्रदेशभर में फैला जनाक्रोश
हरदा, मध्यप्रदेश | 13 जुलाई 2025

हरदा में करणी सेना परिवार के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हुए पुलिस लाठीचार्ज ने पूरे मध्यप्रदेश को झकझोर दिया है। दो दिन में तीन बार हुए बलप्रयोग, आंसू गैस और वाटर कैनन के इस्तेमाल से न सिर्फ राजनीतिक हलकों में हलचल मची है, बल्कि राजपूत समाज और युवाओं में गहरा आक्रोश पनप गया है।
इस घटना ने लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी और पुलिस के दमनकारी रवैये पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

water cannon

aasu gas
क्या हुआ हरदा में?
बीते शनिवार और रविवार को करणी सेना परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर और उनके समर्थकों ने हरदा में प्रदर्शन किया। पुलिस ने दावा किया कि यह प्रदर्शन उग्र रूप ले रहा था, वहीं प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि वे शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे।
पुलिस ने पहले आंसू गैस के गोले छोड़े, फिर वाटर कैनन चलाया और लाठीचार्ज कर कार्यकर्ताओं को खदेड़ दिया। लगभग 60 लोगों को गिरफ्तार कर जिला जेल भेज दिया गया, जिनमें जीवन सिंह शेरपुर भी शामिल हैं।
करणी सेना प्रदर्शन का कारण क्या था?
यह प्रदर्शन एक आर्थिक धोखाधड़ी के मामले को लेकर शुरू हुआ था। करणी सेना परिवार के पदाधिकारी आशीष राजपूत ने हीरा खरीदने के नाम पर 18 लाख रुपए की ठगी का आरोप विकास लोधी, मोहित वर्मा और उमेश तपानिया पर लगाया था। आरोपियों में से एक की गिरफ्तारी के समय करणी सेना के कार्यकर्ता पुलिस से आरोपी को उनके हवाले करने की मांग करने लगे, जिससे विवाद बढ़ गया।
शनिवार को लाठीचार्ज कर 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिसकी प्रतिक्रिया में रविवार को ज़ोरदार प्रदर्शन हुआ।

हरदा के बाहर भी फैला विरोध
इस बर्बरता के विरोध में भोपाल, देवास, रतलाम, बदनावर, ब्यावरा, आष्टा और शुजालपुर में करणी सेना ने चक्काजाम किया। सड़कों पर टायर जलाए गए, हाईवे जाम कर दिए गए और युवाओं ने सरकार विरोधी नारे लगाए।

ratlam sejavata
भोपाल में 11 मील पर प्रदर्शन के दौरान पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया।
देवास और रतलाम में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच फिर झड़प हुई।
ब्यावरा में थाने के सामने टायर जलाकर विरोध जताया गया।
विवादित बिंदु: छात्रावास में घुसकर लाठीचार्ज?
करणी सेना और राजपूत परिषद का आरोप है कि पुलिस ने छात्रावास में घुसकर निर्दोष युवाओं और छात्रों को मारा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। मांग की गई है कि सीसीटीवी फुटेज के आधार पर मजिस्ट्रियल जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज
- भाजपा विधायक चिंतामणि मालवीय (आलोट) बोले – “यह लाठीचार्ज दुखद और पीड़ादायक है, इसे टाला जा सकता था।”

- कांग्रेस के पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा – “कलेक्टर-एसपी को बर्खास्त किया जाए, यह मोहन सरकार में अन्याय की खुली तस्वीर है।”
- पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी ट्वीट कर कहा – “राजपूत समाज के युवाओं पर डंडे बरसाकर पुलिस ने क्रूरता की हद पार कर दी।”
- कांग्रेस के नेता लक्ष्मीनारायण पंवार ने इसे काला दिवस बताया।
प्रशासन की सफाई और पुलिस की कार्यवाही
हरदा कलेक्टर सिद्धार्थ जैन ने कहा –
“लॉ एंड ऑर्डर हमारी प्राथमिकता है। बल प्रयोग सीमित रूप से और आवश्यक हालात में किया गया। यह कार्रवाई किसी समाज के खिलाफ नहीं थी।”
वहीं पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों द्वारा कानून तोड़ने और आरोपी को सौंपने की ज़िद से स्थिति बेकाबू हो गई थी।
करणी सेना का रुख अब क्या?
करणी सेना परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर, जिनकी गिरफ्तारी के बाद आंदोलन और भड़का, उन्होंने जेल से एक फेसबुक पोस्ट कर सभी कार्यकर्ताओं से शांति बनाए रखने और चक्काजाम न करने की अपील की है।
लेकिन प्रदेश संगठन मंत्री शैलेन्द्र सिंह झाला ने घटना की न्यायिक जांच और शेरपुर की रिहाई की मांग करते हुए कहा कि “अगर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन प्रदेशव्यापी हो जाएगा।”
इस घटना से उठते हैं बड़े सवाल
- क्या लोकतंत्र में विरोध की आवाज़ को इस तरह दबाना न्यायोचित है?
- क्या पुलिस बल का इस्तेमाल इतना ही आवश्यक था?
- क्या यह एक समुदाय विशेष के खिलाफ प्रशासनिक पूर्वाग्रह का संकेत है?
