मंदसौर। जिलें को हिला देने वाले फिरौती अपहरण कांड में मंदसौर पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल की है। 50 लाख की फिरौती मांगने वाला यह मामला तब और भी चौंकाने वाला बन गया, जब जांच में सामने आया कि अपहरण कोई तीसरा व्यक्ति नहीं, बल्कि खुद कथित “अपहृत” हर्षल जैन ने ही अपने दोस्तों के साथ मिलकर रचा हुआ नाटक था!

घटना ने पूरे जिले को झकझोर दिया है। पुलिस ने सिर्फ 24 घंटे में इस हाई-प्रोफाइल केस का पर्दाफाश करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, जबकि दो फरार हैं।


यह कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं—परिवार दहशत में, पिता को फिरौती कॉल, और पीछे से पूरी साजिश का मास्टरमाइंड वही युवक, जिसे बचाने के लिए शहर की पुलिस दिन-रात एक कर रही थी।
फिरौती कॉल: “50 लाख की व्यवस्था करो… बाकी समझदार हो”
13 नवंबर 2025 की शाम को शामगढ़ निवासी कमल जैन के मोबाइल पर अचानक एक कॉल आती है। कॉल करने वाला कहता है कि उनका बेटा हर्षल जैन (26) का अपहरण हो गया है और उसे छोड़ने के लिए 50 लाख रुपये की तत्काल व्यवस्था करनी होगी। आवाज में खतरे की झलक, और पिता को धमकी—“बाकी आप समझदार हो…”
घबराए पिता तुरंत थाना शामगढ़ पहुंचे और पुलिस से मदद मांगी। मामला दर्ज हुआ और मंदसौर पुलिस के लिए यह टॉप प्रायोरिटी केस बन गया।

SP विनोद कुमार मीना ने बनाई 7 टीमें – कोटा, बूंदी से लेकर हिंडोली तक दबिश
मामला संवेदनशील था, बेटे की जान दांव पर दिखाई दे रही थी। मंदसौर पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार मीना (भा.पु.से.) ने इसे गंभीरता से लेते हुए गरोठ ASP हेमलता कुरील के पर्यवेक्षण में दो SDOP—
- नरेन्द्र सोलंकी (SDOP मल्हारगढ़)
- दिनेश प्रजापति (SDOP सीतामऊ)
के संयुक्त नेतृत्व में 7 स्पेशल टीमें बनाई।
टीमें अलग-अलग दिशाओं में रवाना की गईं—
✔ शामगढ़
✔ वायडीनगर
✔ नारायणगढ़
✔ मल्हारगढ़
✔ सीतामऊ
✔ कोटा
✔ बूंदी
✔ हिंडोली
सायबर सेल को भी लगाया गया और हर तकनीकी डिटेल खंगाली गई—
मोबाइल लोकेशन, फास्टैग, वाहन मूवमेंट, दोस्तों के कनेक्शन, आर्थिक लेन-देन, सबकुछ।
जांच में बड़ा सुराग: हर्षल का सबसे करीबी दोस्त गणपत गायब!
पुलिस की जांच ने एक महत्वपूर्ण मोड़ तब लिया जब पता चला कि हर्षल का सबसे अच्छा दोस्त गणपत सिंह हाडा (19) कोटा में उसके साथ रहता था—लेकिन वह भी अचानक गायब हो गया।
पुलिस ने तकनीकी आधार पर गणपत का लोकेशन ट्रेस किया और उसे हिरासत में लिया। कड़ाई से पूछताछ में गणपत टूट गया और सारा सच उगल दिया।

बड़ा खुलासा: हर्षल ने खुद रचा था “अपहरण का नाटक”
पूछताछ में गणपत ने बताया—
- हर्षल पर काफी कर्ज था।
- कर्ज चुकाने के लिए पैसे की बड़ी जरूरत थी।
- इसलिए उसने खुद ही अपहरण का ड्रामा रचने का प्लान बनाया।
यह प्लान उसने अपने दो और दोस्तों के साथ मिलकर बनाया—
- जनरेल सिंह (बालोला, हिंडोली)
- कुलदीप कहार (अमरतिया चौराहा, बूंदी)
चारों ने तय किया कि—
▶ परिवार को झूठा अपहरण बताकर 50 लाख की फिरौती मांगी जाएगी।
▶ पैसे मिलते ही चारों बांट लेंगे।
▶ हर्षल कुछ समय गायब रहकर पुलिस और परिवार को गुमराह करेगा।
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पुलिस के लिए सदमे जैसा सच – 24 घंटे की मेहनत का खुलासा
जब पुलिस ने गणपत, जनरेल और कुलदीप के मूवमेंट की डिटेल जोड़ना शुरू किया, तब सारा फर्जीवाड़ा उजागर हो गया।
सायबर सेल की टीम ने हर्षल की पूरी लोकेशन हिस्ट्री, कॉल रिकॉर्ड और डिजिटल ट्रेल जुटाकर आखिरकार मामले को सुलझा लिया।
कड़ी मेहनत के बाद पुलिस ने हर्षल जैन और गणपत सिंह को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपी
- हर्षल जैन, पिता कमल जैन, उम्र 26 वर्ष, निवासी शामगढ़
- गणपत सिंह हाडा, पिता महेंद्र सिंह, उम्र 19 वर्ष, निवासी सलमपुर, हिंडोली (राजस्थान)
फरार आरोपी
- जनरेल सिंह, निवासी बालोला, हिंडोली (राजस्थान)
- कुलदीप कहार, उम्र 22 वर्ष, निवासी अमरतिया चौराहा, बूंदी (राजस्थान)
पुलिस इन दोनों की तलाश में दबिश दे रही है।
कौन-कौन रहे कार्रवाई में शामिल?
इस पूरे मामले में जिन अधिकारियों और कर्मचारियों ने दिन-रात मेहनत की, उनके नाम इस प्रकार हैं—
निरीक्षक स्तर:
- कमलेश प्रजापति (टीआई सीतामऊ)
- राजेंद्र पंवार (टीआई नारायणगढ़)
- अभिषेक बोरासी (टीआई शामगढ़)
- मनोज महाजन (चौकी प्रभारी चंदवासा)
- कपिल सौराष्ट्रीय (चौकी प्रभारी मुल्तानपुरा)
- विनय बुंदेला (टीआई वायडीनगर)
- संजय प्रताप सिंह (टीआई मल्हारगढ़)
सायबर एवं अन्य स्टाफ:
- प्रआर आशीष बैरागी
- प्रआर मुजफ्फर खान
- आर. मनीष (सायबर सेल)
- आर. कमलपाल (मुल्तानपुरा)
- प्रआर दशरथ मालवीय
- प्रआर धनपाल
- आर. हीरा यादव
- आर. इरफान (शामगढ़)
- आर. नरेन्द्र सिंह
- आर. जितेन्द्र सिंह शक्तावत (मल्हारगढ़)
इन सभी की सामूहिक मेहनत से यह जटिल मामला बेहद कम समय में सुलझ गया।
निष्कर्ष: पुलिस की सतर्कता की जीत, और एक कड़वी सच्चाई
यह केस सिर्फ एक अपराध का खुलासा नहीं—बल्कि यह बताता है कि
👉 आर्थिक दबाव
👉 गलत संगत
👉 तत्काल पैसा कमाने की चाह
किस तरह युवाओं को खतरनाक रास्तों पर ले जाती है।
मंदसौर पुलिस ने अपनी तत्परता, तकनीकी दक्षता और जमीनी खोजबीन से यह स्पष्ट कर दिया कि अपराध कितना ही चालाक क्यों न हो—कानून के शिकंजे से बच नहीं सकता।