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प्रीतिश नंदी: भारतीय कला के स्तंभ का निधन

1 week ago 0 3

प्रीतिश नंदी: बहुआयामी व्यक्तित्व का अंत

भारत के प्रसिद्ध पत्रकार, कवि, लेखक, फिल्म निर्माता और समाजसेवी प्रीतिश नंदी का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन की खबर ने कला, साहित्य और सिनेमा जगत में शोक की लहर दौड़ा दी है। उनकी बहुआयामी प्रतिभा और योगदान ने उन्हें भारतीय कला और साहित्य के इतिहास में एक अमिट स्थान दिलाया।

एक संक्षिप्त परिचय

प्रीतिश नंदी का जन्म 15 जनवरी 1951 को हुआ था। वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने पत्रकारिता, साहित्य, फिल्म निर्माण और समाजसेवा में अतुलनीय योगदान दिया। उनकी शिक्षा कोलकाता के प्रतिष्ठित ला मार्टिनियर स्कूल और प्रेसिडेंसी कॉलेज में हुई। प्रारंभिक जीवन से ही उन्हें लेखन और साहित्य में गहरी रुचि थी।

नंदी ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की और बाद में उन्होंने लेखन और कविता के क्षेत्र में कदम रखा। 1982 में वे द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया के संपादक बने और उनकी संपादकीय क्षमता ने इस पत्रिका को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

साहित्यिक और पत्रकारिता का सफर

प्रीतिश नंदी ने अपने जीवन में 30 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें कविताओं के साथ-साथ विचारोत्तेजक निबंध शामिल हैं। उनकी काव्यकृतियों ने न केवल भारतीय साहित्य में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ी। वे अंग्रेजी और हिंदी साहित्य में समान रूप से सक्रिय रहे।

पत्रकारिता में भी उन्होंने नई धाराएं स्थापित कीं। दूरदर्शन, ज़ी टीवी और सोनी टीवी जैसे चैनलों पर 500 से अधिक न्यूज और करंट अफेयर्स शो का संचालन किया। उनकी तीव्र सोच और सटीक विश्लेषण ने उन्हें पत्रकारिता जगत में विशिष्ट स्थान दिलाया।

सिनेमा और प्रोडक्शन का योगदान

प्रीतिश नंदी ने न केवल साहित्य और पत्रकारिता में बल्कि फिल्म निर्माण में भी अपनी पहचान बनाई। उनकी प्रोडक्शन कंपनी ‘प्रीतिश नंदी कम्युनिकेशंस’ ने कई बेहतरीन फिल्मों और वेब सीरीज का निर्माण किया। उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में चमेली, प्यार के साइड इफेक्ट्स, सुर, कांटे, हजारों ख्वाहिशें ऐसी, एक खिलाड़ी एक हसीना और अनकही शामिल हैं।

उनकी प्रोडक्शन कंपनी द्वारा निर्मित वेब सीरीज Four More Shots Please! को 2020 में इंटरनेशनल एमी नॉमिनेशन मिला। उनकी फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को नए आयाम दिए और युवा दर्शकों को आकर्षित किया।

राजनीतिक और सामाजिक योगदान

प्रीतिश नंदी ने 1998 से 2004 तक राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी सेवा दी। एक सांसद के रूप में उन्होंने समाज और संस्कृति के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया। वे पर्यावरण संरक्षण और पशु अधिकारों के बड़े समर्थक थे।

व्यक्तिगत जीवन और प्रेरणा स्रोत

प्रीतिश नंदी के व्यक्तिगत जीवन में उनकी सादगी और मानवता का विशेष महत्व था। उन्होंने साहित्य और कला के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास किया। वे नए लेखकों और कलाकारों को प्रोत्साहन देने में हमेशा आगे रहते थे।

मृत्यु और श्रद्धांजलि

प्रीतिश नंदी के निधन की खबर से फिल्म इंडस्ट्री, साहित्य और पत्रकारिता जगत में गहरा शोक छा गया। अभिनेता अनुपम खेर ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, “मुंबई में मेरे शुरुआती दिनों में वह मेरे सपोर्ट सिस्टम और ताकत का बड़ा स्रोत थे।”

फिल्म निर्देशक और उनके बेटे कुशन नंदी ने इस दुखद खबर की पुष्टि की। उनके योगदान और रचनात्मकता को याद करते हुए साहित्य और सिनेमा जगत ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

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एक अमिट छाप

प्रीतिश नंदी का निधन भारतीय कला, साहित्य और सिनेमा के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी रचनात्मकता और अद्वितीय व्यक्तित्व ने उन्हें एक ऐसा स्थान दिया है जिसे भुलाना कठिन होगा।

उनकी कृतियों और विचारों ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया और उनकी अनुपस्थिति में भी उनका कार्य समाज को प्रेरित करता रहेगा।

प्रीतिश नंदी की यादें उनके लेखन, कविताओं, फिल्मों और समाज सेवा के माध्यम से हमेशा जीवित रहेंगी। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि एक व्यक्ति अपने विचारों और कर्मों से समाज में कितना बड़ा परिवर्तन ला सकता है। नंदी का निधन केवल एक व्यक्ति का अंत नहीं है, बल्कि एक युग का अंत है। उनका योगदान हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने विचारों और रचनात्मकता से दुनिया को बेहतर बनाना चाहता है। उनके निधन से कला, साहित्य और सिनेमा की दुनिया में जो खालीपन आया है, उसे भर पाना आसान नहीं होगा।

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