दीवाली 2025: भारत का सबसे बड़ा त्योहार
दीवाली 2025 भारत में सबसे बड़े और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह रोशनी, खुशी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस साल दीवाली 2025 की तैयारियाँ पहले से ही शुरू हो चुकी हैं और लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि आखिर दिवाली कब है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, दीवाली 2025 मुख्य रूप से 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। दीपावली का पर्व पाँच दिनों तक चलता है, जिसमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज शामिल हैं। इसके अलावा, देव दीपावली 2025 वाराणसी में 5 नवंबर को मनाई जाएगी, जहाँ गंगा घाटों पर तीन लाख दीप जलाए जाएंगे।

दीवाली 2025 का इतिहास और महत्व
दीवाली का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है और इसका गहरा धार्मिक तथा सांस्कृतिक महत्व है।
- भगवान राम का अयोध्या आगमन – मान्यता है कि जब भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्षों का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे, तो नगरवासियों ने घी के दीप जलाकर उनका स्वागत किया।
- मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा – दिवाली को धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी तथा विघ्नहर्ता गणेश की पूजा का पर्व माना जाता है।
- जैन धर्म – जैन समुदाय दिवाली को महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाता है।
- सिख धर्म – सिख इसे बंदी छोड़ दिवस कहते हैं, जब गुरु हरगोबिंद साहिब जी को कैद से मुक्ति मिली थी।
इस प्रकार दिवाली न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक एकता और नई शुरुआत का भी प्रतीक है।
दीवाली 2025 का कैलेंडर और तिथियाँ
दीवाली पाँच दिनों का पर्व है। यहाँ दीवाली 2025 का पूरा कैलेंडर प्रस्तुत है:
- धनतेरस – 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
- नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली – 19 अक्टूबर 2025 (रविवार)
- दीवाली / लक्ष्मी पूजा – 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
- गोवर्धन पूजा – 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)
- भाई दूज – 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
इस बार अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को सुबह 03:44 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर को सुबह 05:54 बजे तक रहेगी।

लक्ष्मी पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त और विधि
दीवाली 2025 में लक्ष्मी पूजन सबसे अहम होता है। इस साल पूजन का शुभ समय –
- लक्ष्मी पूजन मुहूर्त – शाम 07:08 बजे से 08:18 बजे तक
पूजा विधि
- घर की अच्छी तरह सफाई कर रंगोली बनाएं।
- पूजा स्थल पर मां लक्ष्मी, गणेश और कुबेर की मूर्तियाँ स्थापित करें।
- घी का दीपक जलाकर मंत्र जपें – “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः”।
- फल, मिठाई, कौड़ियाँ और धूप-दीप चढ़ाएँ।
- परिवार संग आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
मान्यता है कि इस समय पूजन करने से धन, समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है।
धनतेरस 2025: महत्व और खरीदारी
धनतेरस, दिवाली का पहला दिन है और इसे धन और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए शुभ माना जाता है।
- तारीख – 18 अक्टूबर 2025, शनिवार
- इस दिन सोना, चांदी, वाहन, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ खरीदना शुभ रहता है।
- शाम को यम दीपक जलाने की परंपरा है, जिससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
नरक चतुर्दशी 2025: छोटी दिवाली
नरक चतुर्दशी 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं।
- इस दिन कृष्ण द्वारा नरकासुर वध की याद में दीप जलाए जाते हैं।
- सुबह उबटन लगाकर स्नान करने और शाम को दीपक जलाने की परंपरा है।
- मान्यता है कि इस दिन 14 दीपक जलाने से पापों से मुक्ति मिलती है।
गोवर्धन पूजा और भाई दूज 2025
- गोवर्धन पूजा – 21 अक्टूबर 2025 को होगी। इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाकर अन्नकूट तैयार किया जाता है।
- भाई दूज – 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी। बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं।
देव दीपावली 2025: काशी का भव्य उत्सव
देव दीपावली 5 नवंबर 2025 को कार्तिक पूर्णिमा पर मनाई जाएगी।
- काशी के गंगा घाटों पर लगभग 3 लाख दीप जलाकर देवताओं का स्वागत किया जाएगा।
- इस दिन शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था।
- गंगा आरती और आतिशबाजी इस आयोजन को विश्व प्रसिद्ध बनाते हैं।
दीवाली 2025 की क्षेत्रीय विविधताएँ
- उत्तर भारत – राम की अयोध्या वापसी और लक्ष्मी पूजन।
- दक्षिण भारत – कृष्ण की नरकासुर पर विजय।
- पश्चिम बंगाल – काली पूजा।
- गुजरात – नए साल की शुरुआत।
- मालवा क्षेत्र (मध्य प्रदेश) – गोवर्धन पूजा के दिन छोड़-फाड़ का आयोजन, जिसमें युवक कुश्ती और पराक्रम का प्रदर्शन करते हैं।
इको-फ्रेंडली दीवाली 2025
आज प्रदूषण की समस्या को देखते हुए इको-फ्रेंडली दिवाली का महत्व और बढ़ गया है।
- पटाखों की जगह दीपक, लेज़र शो और सजावट का प्रयोग करें।
- मिट्टी के दीये और प्राकृतिक रंगोली बनाएं।
- अपशिष्ट वस्तुओं को पुनः उपयोग कर सजावट करें।
दीवाली 2025 केवल दीपों का पर्व नहीं है, बल्कि यह अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और नकारात्मकता पर सकारात्मकता की जीत का प्रतीक है।
- धनतेरस की खरीदारी,
- नरक चतुर्दशी की परंपरा,
- लक्ष्मी पूजन,
- गोवर्धन पूजा,
- भाई दूज,
- और वाराणसी की देव दीपावली –
ये सभी मिलकर इस पर्व को और भी खास बनाते हैं।
दीवाली 2025 हमें सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाई क्यों न हो, एक छोटा सा दीपक जलाकर अंधकार को दूर किया जा सकता है।
