गरोठ (यशस्वी दुनिया)। गरोठ जनपद की ग्राम पंचायत बररामा के पास स्थित रामनगर गांव के निवासियों को चंबल नदी में केमिकल युक्त पानी की वजह से गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दिनों हुई भारी बारिश के बाद से चंबल नदी में आए इस दूषित पानी की बदबू इतनी तेज है कि ग्रामीणों को सिर दर्द, घबराहट और उल्टी जैसी समस्याएं हो रही हैं। गांव के लोग नदी किनारे 2 मिनट भी खड़े नहीं हो पा रहे हैं।
गांव के लोग परेशान, शासन से समाधान की मांग
रामनगर के निवासी कैलाश गुप्ता ने बताया, “पानी में आए इस केमिकल की बदबू इतनी भयानक है कि गांव के लोग दहशत में जी रहे हैं। हमें समझ नहीं आ रहा कि इस केमिकल का हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर होगा। अगर इस समस्या का समाधान जल्द नहीं हुआ तो गांव वालों की जान को खतरा हो सकता है। हम चाहते हैं कि शासन जल्द से जल्द इस समस्या का निराकरण करे।”
पीने के पानी की सप्लाई प्रभावित होने का खतरा
गांव के लोगों ने चिंता जताई है कि अगर नदी में केमिकल की मात्रा बढ़ती रही तो पीने के पानी की सप्लाई पर भी असर पड़ सकता है। बर्मा से गरोठ के लिए पीने का पानी सप्लाई होता है, और इस पानी का स्रोत चंबल नदी है। ऐसे में बड़ी मात्रा में केमिकल आने पर ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।
PHE विभाग ने लिया सैंपल, जांच व्यवस्था नदारद
PHE के एसडीओ आदित्य सोनी ने बताया, “हमने घटनास्थल का दौरा किया है और पानी के स्रोतों के सैंपल भी लिए हैं। लेकिन, इस केमिकल की जांच की सुविधा ब्लॉक स्तर पर नहीं है। इसके सैंपल उच्च स्तर पर जांच के लिए भेजे जाएंगे ताकि समस्या की सटीक जानकारी मिल सके।”
औद्योगिक इकाइयों का केमिकल नदी में आना बना समस्या
रामनगर गांव, गांधी सागर जलाशय के नजदीक स्थित है। यह क्षेत्र चंबल नदी के कैचमेंट एरिया में आता है, जहां औद्योगिक इकाइयों द्वारा छोड़ा गया केमिकल नदी के पानी में मिल रहा है। इंदौर, पीथमपुर, उज्जैन, नागदा, रतलाम और जावरा जैसी औद्योगिक नगरीयों का पानी भी चंबल में आता है, जिससे जलाशय का पानी दूषित हो रहा है। पहले भी इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन इस बार स्थिति गंभीर है।
स्वास्थ्य संकट का खतरा, शासन की तत्परता जरूरी
गांव के लोग बदबू से परेशान हैं और उन्हें बीमारी फैलने का डर सता रहा है। अगर समस्या का समाधान जल्द नहीं किया गया तो ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर इसका गहरा असर पड़ सकता है। शासन को इस दिशा में तुरंत कार्रवाई कर इस संकट का समाधान निकालना चाहिए, ताकि ग्रामीणों को राहत मिल सके।