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अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा: कोर्ट ने याचिका स्वीकार की, नोटिस जारी

2 weeks ago 0 3

अजमेर, 27 नवंबर 2024:
अजमेर सिविल कोर्ट ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को सुनने योग्य मानते हुए इसे स्वीकार कर लिया है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दाखिल इस याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह का निर्माण मंदिर के मलबे पर हुआ है।

कोर्ट का फैसला और अगली सुनवाई
अदालत ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर 2024 को तय की है।

याचिका के दावे
याचिका में रिटायर्ड जज हरविलास शारदा की 1911 में लिखी किताब अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला दिया गया है। इसमें दरगाह के गर्भगृह और बुलंद दरवाजे में मंदिर के अवशेष होने की बात कही गई है। हिंदू सेना ने ASI से दरगाह परिसर का सर्वेक्षण कराने की भी अपील की है।

दरगाह कमेटी की प्रतिक्रिया
दरगाह कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने इसे देश की एकता और सहिष्णुता के लिए खतरा बताते हुए द प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के दावों से धार्मिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंचेगा।

दरगाह का महत्व
अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भारत के पवित्र स्थलों में से एक मानी जाती है। यहां सभी धर्मों और जातियों के लोग श्रद्धा के साथ आते हैं। इस विवाद ने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखने वाली दरगाह को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।

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