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केंद्र सरकार ने लॉन्च किया पैन 2.0: जानिए नया वर्जन क्यों है खास

2 weeks ago 0 7

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 25 नवंबर को पैन कार्ड का नया वर्जन पैन 2.0 लॉन्च करने की घोषणा की। यह पहल वित्तीय लेन-देन में सुरक्षा बढ़ाने और नागरिकों के लिए बेहतर सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे “सुरक्षा और तकनीकी सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम” बताया।

क्या है पैन 2.0 और इसकी जरूरत क्यों पड़ी?

पैन 2.0, परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) का उन्नत संस्करण है। यह वर्तमान पैन कार्ड की जगह लेगा और इसे नए QR कोड और उन्नत सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ डिजाइन किया गया है।
मंत्री ने बताया कि पुराने पैन कार्ड सिस्टम में 15-20 साल पुरानी तकनीकों का उपयोग हो रहा था, जो डेटा लीक और पहचान चोरी जैसे धोखाधड़ी के मामलों को रोकने में विफल हो रही थीं। इसके चलते पैन कार्ड को अपडेट करना आवश्यक हो गया।

पैन 2.0 की खासियतें:

1. QR कोड के साथ डेटा सुरक्षा: पैन 2.0 पर एक अद्वितीय QR कोड होगा, जिसे स्कैन करके कार्डधारक की सत्यापन जानकारी तुरंत प्राप्त की जा सकेगी।


2. फर्जीवाड़ा पर रोक: नई सुरक्षा प्रणाली पहचान चोरी और अन्य धोखाधड़ी रोकने में सक्षम होगी।


3. डिजिटल इंटीग्रेशन: पैन 2.0 को आधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और ई-गवर्नेंस सिस्टम्स के साथ एकीकृत किया जाएगा।


4. स्मार्ट डिज़ाइन: यह कार्ड अधिक टिकाऊ सामग्री और आधुनिक डिजाइन के साथ आएगा।



सरकार का बजट और जनता पर असर:

इस योजना के लिए सरकार ने 1,435 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है। हालांकि, इस पर सवाल भी उठ रहे हैं कि केवल QR कोड और सुरक्षा सुधार के लिए इतनी बड़ी राशि खर्च करना कितना सही है।

जनता पर क्या होगा असर?

अनिवार्यता: सरकार ने पैन 2.0 को जल्द ही अनिवार्य करने की योजना बनाई है। जिनके पास पुराना पैन कार्ड है, उन्हें इसे नए वर्जन में बदलना होगा।

सुविधा: कार्डधारक अब तेज और सुरक्षित वित्तीय लेन-देन कर सकेंगे।

मुश्किलें: अगर कोई नया पैन कार्ड नहीं बनवाता, तो उसका पुराना कार्ड अमान्य हो सकता है, जिससे वित्तीय लेन-देन प्रभावित होंगे।


आम नागरिकों की प्रतिक्रिया:

इस कदम को मिलाजुला समर्थन मिल रहा है। एक ओर, लोग बेहतर सुरक्षा और डिजिटल सुविधाओं का स्वागत कर रहे हैं, तो दूसरी ओर, सरकार पर गैर-जरूरी खर्च का आरोप भी लगा रहे हैं।

सरकार का कहना है कि यह कदम भविष्य में भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और नागरिकों के लिए एक सुरक्षित वित्तीय ढांचा तैयार करेगा।

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