बांग्लादेश में इस्कॉन (अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ) पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर शुक्रवार को देशभर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। जुम्मे की नमाज के बाद हजारों की संख्या में मुसलमानों ने ढाका, चटगांव, और अन्य शहरों में रैलियां निकालीं। कट्टरपंथी संगठनों ने इस्कॉन को “हिंदू उग्रवादी संगठन” बताते हुए सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
ढाका और चटगांव में भारी प्रदर्शन
ढाका और चटगांव में सबसे बड़े प्रदर्शन हुए। कट्टरपंथी समूहों जैसे हिफाजत-ए-इस्लाम, खिलाफत मजलिस, और इस्लामिक आंदोलन के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर दबाव बनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस्कॉन देश के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास कर रहा है।
हिफाजत-ए-इस्लाम के नेताओं ने कहा, “देश की शांति भंग करने के लिए पराजित ताकतें हिंदुओं का इस्तेमाल कर रही हैं।”
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और इस्कॉन की प्रतिक्रिया
चटगांव में इस्कॉन प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से इस मामले ने तूल पकड़ा। उन्हें एक रैली में दिए गए भाषण के बाद गिरफ्तार किया गया था, जिसमें भगवा ध्वज लहराए जाने का मुद्दा भी शामिल है। इस्कॉन ने उनकी रिहाई की मांग करते हुए कोलकाता में विरोध कीर्तन आयोजित किया और रविवार को वैश्विक प्रार्थना सभा की घोषणा की है।
17 बैंक अकाउंट सीज
बांग्लादेश फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (BFIU) ने इस्कॉन से जुड़े 17 लोगों के बैंक अकाउंट्स 30 दिनों के लिए सीज कर दिए हैं। इनमें चिन्मय कृष्ण दास का अकाउंट भी शामिल है। प्रशासन ने इन खातों से हुई लेन-देन की जानकारी तलब की है।
सरकार की प्रतिक्रिया
धार्मिक मामलों के मंत्री खालिद हुसैन ने कहा कि एक स्थानीय और विदेशी गुट सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। चटगांव में वकील सैफुल इस्लाम की हत्या पर उन्होंने कहा कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
क्या है विवाद?
इस्कॉन प्रमुख चिन्मय दास पर आरोप है कि उन्होंने धार्मिक भावनाएं भड़काने का प्रयास किया।
चटगांव में उनके नेतृत्व में रैली के दौरान भगवा ध्वज फहराया गया, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया।
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर सनातन जागरण मंच के जरिए उन्होंने कई विरोध प्रदर्शन किए।
आगे की योजना
इस्कॉन ने रविवार को वैश्विक प्रार्थना सभा का आयोजन करने की घोषणा की है। यह सभा दुनियाभर के इस्कॉन मंदिरों में आयोजित की जाएगी, जिसमें बांग्लादेश के हिंदू भक्तों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना की जाएगी।
बांग्लादेश में इस घटनाक्रम ने धार्मिक और राजनीतिक माहौल को और संवेदनशील बना दिया है। देश में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस पर नजर बनाए हुए है।