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November 3, 2025 1:21 pm

गरोठ में सरकारी ज़मीन पर बलराम तालाब घोटाला! परिवारिक रंजिश में फूटा धोखाधड़ी का बम — सीताराम धाकड़ पर सरकारी भूमि हड़पने का आरोप, FIR दर्ज

गरोठ (मंदसौर)। KAILASH VISHWAKARMA मंदसौर जिले की गरोठ तहसील के ग्राम देथली खुर्द में सामने आया बलराम तालाब घोटाला अब सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार की जमीनी सच्चाई को उजागर कर रहा है। सरकारी योजना के नाम पर की गई यह भूमि धोखाधड़ी अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बन चुकी है।
यह मामला केवल ज़मीन कब्ज़े तक सीमित नहीं है, बल्कि परिवारिक रंजिश से उपजा एक बड़ा खुलासा है, जिसने बलराम तालाब योजना के दुरुपयोग की परतें उधेड़ दी हैं।

बलराम तालाब घोटाला
CREDIT GOOGLE IMAGE

💥 कैसे हुआ सरकारी ज़मीन पर तालाब निर्माण का फर्जीवाड़ा?

जानकारी के मुताबिक सीताराम पिता किशनलाल धाकड़, निवासी ग्राम देथली खुर्द, ने वर्ष 2012 में बलराम तालाब योजना के अंतर्गत तालाब निर्माण का आवेदन किया था।
आवेदन में उन्होंने अपनी भूमि सर्वे क्रमांक 55 दर्शाई, जबकि वास्तविक निर्माण शासकीय भूमि सर्वे क्रमांक 64 (रकबा 1.370 हेक्टेयर) पर कर दिया।
इस चालाकी के ज़रिए सीताराम ने सरकारी ज़मीन को अपनी निजी संपत्ति में मिलाते हुए 80,000 रुपये की योजना राशि का अवैध लाभ कमाया।

बलराम तालाब घोटाला
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परिवारिक विवाद ने किया घोटाले का पर्दाफाश…?

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, यह धोखाधड़ी उस समय सामने आई जब सीताराम के परिजन जीवन धाकड़, जिनसे उनकी पुरानी पारिवारिक रंजिश चल रही थी, ने इस धोखाधड़ी की शिकायत की।
शिकायत के बाद विभागीय जांच शुरू हुई और रिपोर्ट में यह स्पष्ट पाया गया कि तालाब शासकीय भूमि पर निर्मित किया गया था।

इस खुलासे के बाद कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी मंदसौर ने त्वरित कार्रवाई करते हुए थाना गरोठ पुलिस को वैधानिक कार्यवाही के निर्देश दिए।
थाना गरोठ पुलिस ने आरोपी सीताराम धाकड़ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।


🧾 जितेंद्र आंजना का खुलासा — “जीवन धाकड़ की शिकायत पर जांच चल रही थी”

इस मामले पर गरोठ कृषि विभाग के अनुविभागीय कृषि अधिकारी जितेंद्र आंजना ने “यशस्वी दुनिया” से बातचीत में बताया —

“जीवन धाकड़ द्वारा की गई शिकायत के बाद मामले की जांच सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी के माध्यम से करवाई जा रही थी। जांच में स्पष्ट हुआ कि तालाब शासकीय भूमि पर बना है। इसके बाद रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को प्रेषित की गई थी।”

आंजना के इस बयान के बाद यह साफ हो गया है कि मामला न केवल व्यक्तिगत धोखाधड़ी का है, बल्कि सरकारी योजना के गलत उपयोग का एक गंभीर उदाहरण भी है।


💰 बलराम तालाब योजना बनी निजी मुनाफे का ज़रिया

कृषि विभाग की बलराम तालाब योजना का उद्देश्य किसानों को सिंचाई सुविधा और जल संरक्षण के लिए प्रोत्साहित करना था, लेकिन यह मामला दिखाता है कि कैसे कुछ लोग सरकारी योजनाओं को निजी मुनाफे का जरिया बना लेते हैं।
सूत्रों का कहना है कि निर्माण के दौरान सीमांकन में हेरफेर, नक्शों में गड़बड़ी, और शासकीय अधिकारियों की संभावित मिलीभगत की भी जांच की जा रही है।


💣 जांच का दायरा बढ़ा तो फंस सकते हैं कई ग्राम पंचायतें

“यशस्वी दुनिया” को प्राप्त जानकारी के अनुसार, गरोठ तहसील की अन्य ग्राम पंचायतों में भी बलराम तालाब योजना में भारी अनियमितताएं सामने आ सकती हैं।
कई तालाब कागज़ों पर तो बने दिखाए गए, लेकिन वास्तविकता में मिट्टी से भर दिए गए या निजी ज़मीन में बदल दिए गए हैं।
यदि प्रशासन इस योजना की व्यापक जांच करवाता है, तो कई करोड़ों के फर्जी तालाब घोटाले उजागर हो सकते हैं।


⚠ अधिकारी भी जांच के घेरे में!

पुलिस और राजस्व विभाग यह जांच कर रहे हैं कि तालाब निर्माण के समय कृषि विभाग, पंचायत या राजस्व अधिकारियों की कोई भूमिका तो नहीं रही।
पुराने नक्शे, मापी रिपोर्ट और राजस्व रिकॉर्ड की जांच जारी है।
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि यदि विभागीय मिलीभगत साबित होती है, तो कई अधिकारी और कर्मचारी भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।

बलराम तालाब घोटाला
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🚨 निष्कर्ष

गरोठ का बलराम तालाब घोटाला अब केवल एक किसान की धोखाधड़ी का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह सरकारी तंत्र की कमजोर निगरानी और योजनाओं के दुरुपयोग का प्रतीक बन गया है।
अनुविभागीय कृषि अधिकारी जितेंद्र आंजना का बयान इस घोटाले को और गंभीर बनाता है, क्योंकि यह सिद्ध करता है कि शिकायत, जांच और फर्जीवाड़े की परतें लंबे समय से चल रही थीं।

अब देखना यह है कि क्या शासन-प्रशासन इस मामले को नजीर बनाकर कार्रवाई करेगा, या यह भी किसी और घोटाले की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा…?


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